कभी कुली तो कभी बना कनडक्टर, विलेन बनकर ली फिल्मों में एंट्री लेकिन किस्मत ने बना दिया सबसे अमीर हीरो

इस एक्टर को फिल्मों में आने से पहले अपना नाम बदलना पड़ा क्योंकि इनका नाम उस समय के एक पॉपुलर एक्टर से मिलता जुलता था.

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क्या है रजनीकांत का असली नाम ?
नई दिल्ली:

इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में गरीबी से निकलकर चमचमाती सिल्वर स्क्रीन तक पहुंचने की कई कहानियां हैं. ऐसी कई कहानियां है जिनमें डेब्यू से पहले फिल्म स्टार्स रेलवे प्लेटफॉर्म पर सोते और खर्च चलाने के लिए छोटी-मोटी नौकरी पकड़ लिया करते थे...लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि ये 'स्ट्रगलर्स' आखिरकार कितनी ऊंचाई तक पहुंचते हैं. भारतीय सिनेमा में हाइएस्ट पेड एक्टर बनने की कहानी कर्नाटक के एक मराठी व्यक्ति की भी है जिसने फिल्मों में विलेन बनने से पहले एक बस कंडक्टर के तौर पर शुरुआत की और आखिर में दशकों तक सिनेमा स्क्रीन पर राज किया...आज भी इनका वही जलवा कायम है.

रजनीकांत की कहानी

रजनीकांत का असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है. उनका जन्म बेंगलुरु में एक मराठी परिवार में हुआ था. एक पुलिस कांस्टेबल के बेटे, रजनीकांत ने 60 के दशक के आखिर में अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद छोटे-मोटे काम करना शुरू कर दिया. बेंगलुरु ट्रांसपोर्ट सर्विस में बस कंडक्टर की नौकरी से पहले उन्होंने कुली के तौर पर भी काम किया. कन्नड़ नाटककार टोपी मुनियप्पा ने उन्हें अपने एक नाटक में रोल ऑफर किया जिसके बाद उनके एक्टिंग करियर के सफर की शुरुआत हुई. 70 के दशक में अपने परिवार की इच्छा के खिलाफ उन्होंने मद्रास फिल्म इंस्टिट्यूट में एक्टिंग कोर्स में एडमिशन लेने का फैसला किया. इंस्टिट्यूट में उन पर तमिल फिल्म मेकर के बालाचंदर की नजर पड़ी. उन्होंने रजनीकांत को तमिल बोलना सीखने की सलाह दी और बाद में उन्हें रोल ऑफर किया.

शिवाजी राव कैसे बने रजनीकांत?

रजनी ने अपना स्टेज नाम इसलिए अपनाया क्योंकि वह सुपरस्टार शिवाजी गणेशन के नाम के साख कनफ्यूजन से बचना चाहते थे. वो तमिल सिनेमा में सबसे बड़े नामों में से एक थे. उन्हें रजनीकांत नाम उनके गुरु बालाचंदर ने दिया था. उन्होंने यह नाम अपनी 1966 की फिल्म मेजर चंद्रकांता से लिया था. इसमें एवीएम राजन ने इसी नाम का किरदार निभाया था. रजनीकांत ने बालाचंदर की अपूर्वा रागंगल से अपनी शुरुआत की. इसमें उन्होंने श्रीविद्या के पति का रोल किया. अपनी अगली फिल्म में उन्होंने एक रेपिस्ट का रोल किया और 70 के दशक के में एंथुलेनी कथा, बालू जेनु और गायत्री जैसी हिट फिल्मों में नेगेटिव रोल्स के लिए जाने गए.

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जब रजनीकांत ने क्रिटिक्स को गलत साबित कर दिया

70 के दशक के आखिर में कई फिल्मों में लीड रोल्स करने के बावजूद रजनी खुद को एक लीड के तौर पर सेट नहीं कर पाए. सिगरेट पलटने की उनके स्टाइल और उनका अंदाज जनता के बीच पॉपुलर थे. लेकिन फिर भी उन्हें एक विलेन के रूप में देखा जाता था. 1978 में जब कई लोगों ने हीरो के तौर पर उनका करियर खत्म कहा था...रजनी ने बैरवी में काम किया, जहां उन्होंने लीड हीरो का रोल किया. एक ऐसा शख्स जो अपने दोस्त (कमल हासन) के लिए अपने प्यार का बलिदान देता है. फिल्म की सक्सेस ने उन्हें सुपरस्टार का खिताब दिला दिया. बिल्ला (डॉन की रीमेक) के साथ आगे की सक्सेस ने उन्हें एक एक्शन स्टार बनाया. 80 और 90 के दशक में रजनीकांत तमिल सिनेमा के सबसे बड़े स्टार बन गए. अपनी लेटेस्ट रिलीज जेलर की सक्सेस के साथ रजनीकांत ने शाहरुख खान और विजय को पीछे छोड़ते हुए भारत के हाइएस्ट पेड एक्टर बन गए. फिल्म के लिए 210 करोड़ रुपये लिए थे.

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