हीरो बनने के लिए बचपन में ही आ गया मुंबई, 65 साल पहले एक छोटे से किरदार से शुरू हुआ था फिल्मी सफर, कम उम्र में छोड़ी दुनिया

हम जिस शानदार एक्टर की बात कर रहे हैं उन्होंने 6 नवंबर 1985 को 47 वर्ष की उम्र में हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
6 नवंबर को दुनिया को अलविदा कह गए थे संजीव कुमार
Social Media
नई दिल्ली:

Sanjeev kumar death anniversary: संजीव कुमार हिंदी सिनेमा के उन कलाकारों में से थे, जिनका अभिनय हर दौर में मिसाल माना जाता है. वे ऐसे अभिनेता थे, जिनके चेहरे पर किसी भी भाव को सहजता से पढ़ा जा सकता था. उन्होंने पर्दे पर हर तरह का किरदार निभाया, रोमांटिक हीरो भी बने, गंभीर पिता भी, और हंसाने वाले किरदार भी किए. लेकिन उनके अभिनय की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वे उम्र के हर पड़ाव को बड़ी सहजता से जी लेते थे. कम उम्र में भी उन्होंने इतने शानदार तरीके से उम्रदराज किरदार निभाए.

क्या था संजीव कुमार का असली नाम?

संजीव कुमार का असली नाम हरिहर जेठालाल जरीवाला था. उनका जन्म 9 जुलाई 1938 को गुजरात के सूरत में हुआ था. बचपन से ही उन्हें अभिनय का शौक था और बहुत कम उम्र में उन्होंने ठान लिया था कि वह फिल्मों में ही करियर बनाएंगे. परिवार साधारण था, लेकिन उन्होंने सपनों को सीमित नहीं रखा. वह किशोरावस्था में ही मुंबई आ गए और थिएटर से अपने अभिनय की शुरुआत की. इंडियन नेशनल थिएटर से जुड़कर उन्होंने अभिनय की बारीकियां सीखीं. थिएटर के दिनों में उन्हें सब 'हरीभाई' कहा करते थे. अभिनय की उनकी समझ इतनी गहरी थी कि जल्द ही फिल्मी दुनिया के लोग भी उनके काम को नोटिस करने लगे.

1960 में शुरू हुआ फिल्मी सफर?

फिल्मों में उनका सफर साल 1960 में 'हम हिंदुस्तानी' से शुरू हुआ. इसमें उन्होंने पुलिस इंस्पेक्टर का छोटा सा रोल किया था, लेकिन उनके अभिनय ने दर्शकों का ध्यान खींचा. इसके बाद उन्हें साल 1965 में आई फिल्म 'निशान' में बतौर लीड अभिनेता मौका मिला. धीरे-धीरे उन्होंने अपनी जगह बनाई, लेकिन बड़ी सफलता साल 1970 की फिल्म 'खिलौना' से मिली. इस फिल्म में उन्होंने एक मानसिक रूप से अस्थिर व्यक्ति का किरदार निभाया था. किरदार इतना गहरा था कि दर्शकों ने उनके दर्द को महसूस किया.

हर उम्र के किरदार में थे फिट

संजीव कुमार अपने किरदार को निभाते नहीं, बल्कि जीते थे. उनके जीवन का सबसे दिलचस्प पहलू यह था कि वह अपनी उम्र से कई गुना बड़े किरदार निभाने में सबसे सहज लगते थे. उन्होंने कई फिल्मों में उम्रदराज व्यक्तियों की भूमिका निभाई, जिनमें उनकी सबसे प्रसिद्ध फिल्म 'शोले' रही, जो 1975 में रिलीज हुई थी. इसमें उन्होंने ठाकुर बलदेव सिंह का किरदार निभाया था, जो दोनों हाथ खो चुका है और गब्बर सिंह से बदला लेने की ठानता है. उस वक्त संजीव कुमार की उम्र सिर्फ 37 साल थी, लेकिन उन्होंने एक बूढ़े और गंभीर व्यक्ति की भूमिका को इतनी सच्चाई से निभाया कि दर्शक भूल गए कि पर्दे पर खड़ा इंसान उनकी ही उम्र का है.

एक फिल्म में निभाए थे 9 किरदार

यही नहीं, 1974 में आई फिल्म 'नया दिन नई रात' में तो उन्होंने नौ अलग-अलग किरदार निभाए. हर किरदार की उम्र, स्वभाव और बोली अलग थी. उन्होंने हर रोल को अलग लहजे और अंदाज में निभाकर दिखा दिया कि अभिनय उनके लिए सिर्फ पेशा नहीं, बल्कि पूजा थी. बाद में यही फिल्म तमिल में बनी, जिसमें कमल हासन ने उनके किरदारों को दोहराया. इसके अलावा फिल्म 'मौसम' में उन्होंने एक उम्रदराज डॉक्टर का किरदार निभाया, जबकि 'कोशिश' में वे एक बधिर व्यक्ति बने.

हार्टअटैक से हुआ निधन

संजीव कुमार ने अपने करियर में 'आंधी', 'दस्तक', 'अंगूर', 'पति, पत्नी और वो', 'नमकीन', 'परिचय', 'सिलसिला' और 'त्रिशूल' जैसी कई यादगार फिल्में दीं. उन्हें दो बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया, पहली बार 'दस्तक' (1970) और दूसरी बार 'कोशिश' (1972) के लिए. उन्होंने गुलजार, रमेश सिप्पी और एल. वी. प्रसाद जैसे निर्देशकों के साथ काम किया. गुलजार की फिल्मों 'आंधी' और 'अंगूर' में उनका अभिनय आज भी याद किया जाता है. 1978 के बाद उन्हें दिल से जुड़ी बीमारियां शुरू हो गईं, और 6 नवंबर 1985 को 47 वर्ष की उम्र में हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया.
 

Advertisement
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Rabri Devi News: बंगले पर एक्शन, RJD में क्यों टेंशन? | Bihar Latest News | Sucherita Kukreti