खत्म नहीं हो रही इंडस्ट्री, इसे पटरी पर लाने की जरूरत : हंसल मेहता

निर्देशक हंसल मेहता ने सोशल मीडिया पर एक वैचारिक पोस्ट शेयर किया, जिसमें वह कहते नजर आए कि इंडस्ट्री को फिर से पटरी पर लाने की जरूरत है

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
बॉलीवुड इंडस्ट्री को लेकर हंसल मेहता ने कही बड़ी बात
नई दिल्ली:

निर्देशक हंसल मेहता ने सोशल मीडिया पर एक वैचारिक पोस्ट शेयर किया, जिसमें वह कहते नजर आए कि इंडस्ट्री को फिर से पटरी पर लाने की जरूरत है और अभिनेताओं, फिल्म निर्माताओं और लेखकों की एक नई पीढ़ी है, जो शानदार काम करने के लिए तैयार है. उन्होंने लक्ष्य लालवानी, आदर्श गौरव, ईशान खट्टर, जहान कपूर का जिक्र करते हुए फिल्म इंडस्ट्री में प्रतिभाओं पर भी बात की. 

एक्स पर मेहता ने लिखा, “ हिंदी सिनेमा को री-सेट की जरूरत है. बॉलीवुड के खत्म होने की भविष्यवाणी करने वालों रुको. इंडस्ट्री खत्म नहीं हो रही है. समस्या यह नहीं है कि दर्शकों की रुचि खत्म हो रही है. हिंदी सिनेमा का भविष्य कच्ची प्रतिभा, बोल्ड स्टोरीटेलिंग और ऐसे निर्देशकों पर दांव लगाने में है, जो स्क्रिप्ट लेकर उसे बेहतरीन तरीके से निर्देशित कर सकें. पिछले कुछ सालों ने यह साबित कर दिया है कि दर्शकों को जुटाने के लिए स्टार जरूरी नहीं हैं, बल्कि मंझे हुए कलाकारों, फिल्म निर्माताओं और लेखकों की एक नई पीढ़ी खेल को बदलने के लिए तैयार है. लेकिन इसके लिए दूरदर्शी निर्माता, आंकड़ों की बजाय कहानियों का समर्थन करने वाले प्लेटफॉर्म और जान पहचान की बजाय प्रामाणिकता की मांग करने वाले निर्देशकों की आवश्यकता होगी."

उन्होंने आगे लिखा, "इसके लिए प्रदर्शन, रणनीति, अच्छी तरह से सोची-समझी मार्केटिंग की आवश्यकता होगी ना कि टेम्पलेट पेड पब्लिसिटी की जो प्रचारकों को अमीर और इंडस्ट्री को गरीब बना रही है.” इसके साथ ही उन्होंने कुछ प्रतिभाओं का भी परिचय दिया. उन्होंने लिखा, “प्रतिभा को विश्वास की आवश्यकता होती है, ना कि अनुमान की, अगर सही तरीके से गाइड किया जाए, तो वे भविष्य हैं.”

Advertisement

आदर्श गौरव :- ‘द व्हाइट टाइगर' से लेकर ‘गन्स एंड गुलाब्स', ‘खो गए हम कहां' तक, आदर्श एक ऐसे अभिनेता हैं जो भूमिकाओं को निभाने में डूब जाते हैं. वह कोई स्टार नहीं है, वह एक गिरगिट है. हॉलीवुड पहले से ही उस पर दांव लगा रहा है (एलियन टीवी सीरीज). बॉलीवुड को भी उस पर विश्वास करने की जरूरत है. यह लड़का एक लंबी रेस का घोड़ा है. मेरे शब्दों पर ध्यान दें.” 

Advertisement

वेदांग रैना :- ‘आर्चीज' तो सिर्फ परिचय था. ‘जिगरा' में उन्होंने ऐसा काम किया, जो सहज और स्वाभाविक था. अगर उन्हें ऐसी स्क्रिप्ट दी जाए जो उन्हें चुनौती दे, तो उनमें एक गंभीर लीडिंग मैन के रूप में उभरने की क्षमता है.

Advertisement

ईशान खट्टर :- ‘धड़क' से ‘पिप्पा' और ‘द परफेक्ट कपल' तक, ईशान ने साबित कर दिया है कि वह शानदार अभिनय करने में सक्षम हैं. उनमें गजब की एनर्जी है. उन्हें ऐसी स्क्रिप्ट और निर्देशक चाहिए जो उन्हें आगे बढ़ाएं. 

Advertisement

जहान कपूर :- ‘फराज' में उन्होंने धैर्य और मैच्योरिटी दिखाई जो इतने कम उम्र के अभिनेता के पहले काम में दिखना आम बात नहीं है फिर उनकी शानदार ‘ब्लैक वारंट' आई, उनमें अभिनय की गहराई, ईमानदारी और आगे बढ़ने की भूख है.

आदित्य रावल:- ‘बमफाड़' ने कच्चापन दिखाया. ‘फराज' ने उन्हें फिल्मफेयर दिलाया. ‘बंबई मेरी जान' ने साबित कर दिया कि वह कलाकारों के बीच स्क्रीन पर अपनी अलग मौजूदगी दर्ज करा सकते हैं. वह स्टारडम की तलाश में नहीं है - वह भूमिकाएं तलाश रहा है और यही कारण है कि अगर निर्देशक उसकी भूख को पहचान लें तो वह बहुत आगे तक जाएगा.

स्पर्श श्रीवास्तव :- ‘जामताड़ा' से लेकर ‘लापता लेडीज' तक, स्पर्श ने ऐसे किरदार निभाने की कला में महारत हासिल कर ली है जो शानदार हैं. इंडस्ट्री में स्पर्श ऐसे अभिनेता हैं, जिन्हें ऐसे प्रोजेक्ट चाहिए जो उनकी रेंज से मेल खाते हों.

अभय वर्मा:- दर्शकों ने उन्हें 'मुंज्या' में पसंद किया, जिसने एक हॉरर-कॉमेडी को हिट में बदल दिया. लेकिन उनकी रेंज पहले से ही 'द फैमिली मैन 2' में प्रदर्शित हो चुकी थी.

लक्ष्य:- लक्ष्य ने 'किल' के साथ सिनेमा में धूम मचा दी, एक कच्चा, बेबाक अभिनय जिसमें एक अनुभवी एक्शन स्टार की झलक थी. उनकी आंखों में एक भूख है, सिर्फ मौजूदगी से परे जाने की इच्छा और एक भूमिका के लिए शारीरिक और भावनात्मक दोनों रूप से संघर्ष करना उनके व्यक्तित्व में शामिल है. अगर सही फिल्म निर्माता उन पर भरोसा जताएं, तो वे हिंदी सिनेमा के अगले बेहतरीन कलाकार बन सकते हैं.

राघव जुयाल:- राघव जुयाल सिर्फ एक डांसर, कॉमेडियन, अभिनेता ही नहीं, बल्कि उनके पास खूब नॉलेज भी है. वे ऐसे अभिनेता हैं, जिन्हें अगर जगह दी जाए, तो वे हमें बार-बार अपने काम से चौंकाएंगे.

इसके बाद हंसल मेहता ने आगे कहा, “ निर्माता थोड़ा आगे की सोचें और वीकेंड बॉक्स ऑफिस नंबर्स का पीछा करना बंद कर दें और ऐसी प्रतिभाओं को मौका दें, जो दर्शकों को वापस लाए. हिंदी सिनेमा की प्राथमिकताओं में बदलाव की जरूरत है और इसका सूत्र भी सरल है कि अभिनेताओं में निवेश करें, "स्टार्स" में नहीं. बिना किसी डर के लिखें. दृढ़ विश्वास के साथ निर्देशन करें."

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
JP Nadda On Nishikant Dubey: निशिकांत दुबे के बयान से BJP का किनारा | Breaking News | NDTV India