गोविंदा, संजय, मिथुन की ये फिल्म सिनेमाघरों में लेकर आई थी कोहराम, एक सीट के लिए 15 दिन तक लोगों ने किया था इंतजार, कमाई चौगुना

1987 में रिलीज हुई इस मल्टीस्टारर फिल्म ने तीन जबरदस्त हीरोज के साथ पूरे पंद्रह दिन तक सिनेमाघरों में जबरदस्त गदर काटा. इस फिल्म को देखने के लिए लोगों ने एक टिकट की खातिर 15-15 दिन तक इंतजार किया

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नई दिल्ली:

एक दौर ऐसा था जब फिल्में सिनेमा घरों में रिलीज होती थीं और अगर दर्शकों को वो फिल्म पसंद आई तो वर्ड ऑफ माउथ से ही सिनेमा घर खचाखच भर जाते थे. ना कई महीनों के प्रमोशन की जरूरत पड़ती थी, ना फिल्म के टीजर प्रोमो रिलीज हुआ करते थे. दर्शक सिर्फ फिल्म के हीरो, हीरोइन और कहानी के नाम पर ही सिनेमाघरों में खिंचे चले आते थे. किसी फिल्म को हाउसफुल करने के लिए उस दौर के हिट हीरो का नाम ही काफी हुआ करता था. अब जरा सोचिए कि किसी फिल्म में अगर एक साथ तीन तीन जबरदस्त हीरो दिखाई दें तो उस फिल्म के लिए पब्लिक का क्या हाल होगा. ऐसा ही कुछ प्यार मिला था गोविंदा, संजय दत्त और मिथुन चक्रवर्ती की एक फिल्म को.

ये थी वो फिल्म

जिस फिल्म का हमने अभी जिक्र किया है उस फिल्म का नाम है जीते हैं शान से. इस फिल्म में उस दौर के एक से बढ़कर एक हिट सितारे थे. जिनके स्टाइल, एक्शन और डांस की दुनिया दिवानी थी. 1987 में रिलीज हुई इस मल्टीस्टारर फिल्म ने तीन जबरदस्त हीरोज के साथ पूरे पंद्रह दिन तक सिनेमाघरों में जबरदस्त गदर काटा. हाल ये था कि पूरे चौदह से पंद्रह दिन तक फिल्म के शोज हाउसफुल ही जाते रहे. मुंबई में इस फिल्म को देखने के लिए लोगों ने एक टिकट की खातिर पंद्रह-पंद्रह दिन तक इंतजार किया. इस क्रेज के चलते फिल्म दो करोड़ में बनी फिल्म अपनी लागत से चार गुना ज्यादा कमाई करने में कामयाब हुई और आठ करोड़ रुपए का कलेक्शन किया.

ऐसी थी स्टोरी

फिल्म में तीन लीड हीरोज के अलावा दो हीरोइन्स भी थीं. इन हीरोइनों के नाम थे मंदाकिनी और विजेता पंडित. उस दौर के सुपरहिट विलेन डैनी डेंग्जोंग्पा भी फिल्म का हिस्सा थे. फिल्म की कहानी सोशल मैसेज देने वाली थी. जिसमें तीन दोस्त होते हैं जो अपना मिशन पूरा करने के लिए आगे बढ़ते हैं. इस बीच दुश्मन उन्हें अलग करने की कोशिश में जुटे रहते हैं.

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