कुर्सी की पेटी बांध लें! इस दिन रिलीज हो रही 'गुड लक', 80 के उम्र में बॉलीवुड डेब्यू करने जा रहीं मालती माथुर

दर्शकों को रोमांचित करने के लिए ब्रिजेंद्र काला अभिनीत 'गुडलक' अब पांच अप्रैल को रिलीज होने को तैयार है. इसमें एक 75 वर्षीय महिला के अनोखे गर्भावस्था वाले ट्विस्ट पर आधारित व्यंग्य पोस्टर भी जारी हो चुका है. 

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5 अप्रैल को रिलीज हो रही गुड लक
नई दिल्ली:

दर्शकों को रोमांचित करने के लिए ब्रिजेंद्र काला अभिनीत 'गुडलक' अब पांच अप्रैल को रिलीज होने को तैयार है. इसमें एक 75 वर्षीय महिला के अनोखे गर्भावस्था वाले ट्विस्ट पर आधारित व्यंग्य पोस्टर भी जारी हो चुका है. अनुभवी अभिनेता बृजेंद्र काला अभिनीत और प्रखर श्रीवास्तव द्वारा निर्देशित फिल्म "गुड लक" का पोस्टर रिलीज होने के साथ ही फ‍िल्‍म की चर्चा शुरू हो गई है. आशा आज़ाद फिल्म्स के बैनर तले डॉ. (इं.) आजाद जैन द्वारा निर्मित फिल्म अपने मूल में एक दिल छू लेने वाली कहानी के साथ आज के दौर को लेकर व्यंग्यात्मक दृष्टिकोण भी पैदा करती है. पोस्‍टर रिलीज के साथ ही "गुड लक" अब पांच अप्रैल को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज होने के लिए तैयार है.

"गुड लक" फ‍िल्‍म में बुजुर्ग महिला के किरदार में मालती माथुर मुख्य अभिनेत्री के रूप में बृजेंद्र काला की मां का किरदार निभा रही हैं. फ‍िल्‍म की कहानी के केंद्र में अंगूरी नामक बुजुर्ग महिला है, जो उम्र के इस पड़ाव पर आकर गर्भवती हो जाती है. इसके बाद उनके अपने परिवार में उपजे हास्य भरे उथल-पुथल की कहानी नई चुनौती पेश करती है. वहीं बेटे पप्पी की राजनीतिक आकांक्षाओं के कारण स्थिति उनकी गर्भावस्‍था की वजह से और जटिल हो जाती है. फ‍िल्‍म के आखिर में अंगूरी की बुद्धिमत्ता के प्रयासों के माध्‍यम से पप्‍पी की सियासी जीत होती है. इसी के साथ ही रहस्यमय परिणाम के साथ फ‍िल्‍म का संदेश लोगों पर स्थायी प्रभाव डालता है. फिल्म में प्रतिभाशाली कलाकारों की टीम शामि‍ल है. फ‍िल्‍म में मनीषा चित्रोड, डॉ. (इं.) आजाद जैन, तूलिका बनर्जी, आशुतोष उपाध्याय, पंकज वागले, सागर शेंडे, आयुषी शुक्ला, केशव शर्मा, भूषण जैन और वीरेंद्र नथानिएल जैसे मंझे कलाकार शामिल हैं.

फ‍िल्‍म के निर्माता और क्रिएटिव डायरेक्टर डॉ. (इं.) आजाद जैन ने इसके जरिए पुरानी पीढ़ी के लिए फिल्म के खास संदेश पर जोर दिया है. उन्होंने बताया क‍ि, "यह फिल्म व्यंग्य के जरिए एक शक्तिशाली लेकिन महीन सामाजिक संदेश देती है. हास्य के भावों के साथ ही अनुभवों का संयोजन और चयन सामाजिकता के इस बदलते दौर में हर इंसान के लिए प्रासंगिक भी बनाता है. वह विश्वास भी जताते हैं कि फिल्म यकीनन दर्शकों पर अमिट छाप छोड़ेगी". वहीं फिल्म के बारे में निर्देशक प्रखर श्रीवास्तव बताते हैं क‍ि, "हमारा लक्ष्य सहज अभिव्‍यक्‍ति के साथ ही आकर्षक कहानी संग भरोसेमंद पारिवारिक कहानी का प्रस्तुतिकरण था जो इंसान की बुनियादी भावनाओं को इसके जरिए परदे पर सफलतापूर्वक उतारती है. हमने रोजमर्रा की जिंदगी के सार को जोड़ते हुए शानदार स्थानों पर इसका फिल्मांकन किया है". 

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