कई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर दर्शकों की पसंद पर खरी नहीं उतर पाती हैं. इन फिल्मों में कलाकार बहुत मेहनत करते हैं, लेकिन दर्शक उसे नहीं देखते. आज हम आपको एक ऐसी फिल्म के बारे में बताने जा रहे हैं. 1980 में रिलीज़ हुई सुभाष घई की फिल्म कर्ज़ बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई. हालांकि, इसके म्यूजिक को दर्शकों ने खूब पसंद किया. ऋषि कपूर, सिमी ग्रेवाल, राज किरण और प्रेमनाथ मुख्य भूमिकाओं में थे. कहानी डॉ. राही मासूम रजा ने लिखी थी, जबकि संगीत लक्ष्मीकांत–प्यारेलाल का और गीत आनंद बख्शी के थे. इसका साउंडट्रैक 'ओम शांति ओम,' 'एक हसीना थी,' और 'मैं सोलह बरस की' — आज भी क्लासिक माना जाता है. सुभाष घई के अनुसार, फिल्म 'अपने समय से आगे' थी, इसलिए दर्शकों से जुड़ नहीं पाई.
‘कर्ज' से प्रेरित पहली ब्लॉकबस्टर फिल्म 'करण-अर्जुन'
पंद्रह साल बाद, निर्देशक राकेश रोशन ने कर्ज की पुनर्जन्म की कहानी से प्रेरित होकर करण अर्जुन बनाई. 13 जनवरी 1995 को रिलीज़ हुई यह फिल्म सुपरहिट रही. इस एक्शन–ड्रामा फिल्म में शाहरुख खान और सलमान खान पहली बार साथ नजर आए. राखी, काजोल, ममता कुलकर्णी, अमरीश पुरी और रंजीत जैसे कलाकारों ने अहम भूमिकाएं निभाईं. फिल्म का संगीत राजेश रोशन ने तैयार किया था. 'ये बंधन तो प्यार का बंधन है' और 'जय माँ काली' जैसे गाने उस दौर के सुपरहिट ट्रैक बने.
12 साल बाद आई ‘ओम शांति ओम'
करण अर्जुन की रिलीज के बारह साल बाद, शाहरुख खान ने पुनर्जन्म पर आधारित एक और फिल्म बनाई — ओम शांति ओम.9 नवंबर 2007 को रिलीज़ हुई इस फिल्म ने दीपिका पादुकोण को बॉलीवुड में शानदार शुरुआत दी. फिल्म का निर्देशन फराह खान ने किया और इसे गौरी खान ने रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट के बैनर तले प्रोड्यूस किया. फिल्म में अर्जुन रामपाल, श्रेयस तलपड़े और किरण खेर भी अहम किरदारों में थे. कॉमेडी, सस्पेंस, रोमांस और ड्रामा का बेहतरीन मिश्रण पेश करती ओम शांति ओम ने दर्शकों को भरपूर मनोरंजन दिया. विशाल–शेखर के संगीत और जावेद अख्तर के गीतों ने फिल्म को चार्टबस्टर बनाया. 40 करोड़ रुपए की लागत से बनी इस फिल्म ने ₹149 करोड़ की कमाई की और 2007 की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर साबित हुई.
बॉलीवुड में पुनर्जन्म का जादू
कर्ज, करण अर्जुन और ओम शांति ओम — तीनों फिल्मों ने अलग-अलग समय पर एक ही विचार को नए अंदाज़ में पेश किया. जहाँ कर्ज 'Ahead of its time' फिल्म साबित हुई, वहीं करण अर्जुन और ओम शांति ओम ने इसे दर्शकों के दिलों तक पहुँचा दिया. यह साबित करता है कि एक अच्छी कहानी कभी पुरानी नहीं होती, बस उसे सही समय और प्रस्तुति की ज़रूरत होती है.