जानवर था वो...पूर्व पुलिस अधिकारी ने किए 18 रेप और मर्डर, मिलनी थी फांसी लेकिन...129 मिनट की ये सच्ची कहानी उड़ा देगी होश

कई बार हमारी सुरक्षा में तैनात पुलिस वाला ही समाज के किसी शख्स के लिए जानलेवा मुसीबत बन सकता है. अगर आप को इस बात पर यकीन नहीं होता तो नेटफ्लिक्स की एक पेशकश देखकर आप अपनी सोच बदलने पर मजबूर हो सकते हैं.

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Netflix Series: पूर्व पुलिस अधिकारी, 18 महिलाओं का रेप, इस सीरीज को देख खड़े होंगे रोंगटे
नई दिल्ली:

पुलिस वालों पर अक्सर लोग भरोसा करते हैं कि वो हैं तो हम सुरक्षित हैं. लेकिन कई बार हमारी सुरक्षा में तैनात पुलिस वाला ही समाज के किसी शख्स के लिए जानलेवा मुसीबत बन सकता है. अगर आप को इस बात पर यकीन नहीं होता तो नेटफ्लिक्स की एक पेशकश देखकर आप अपनी सोच बदलने पर मजबूर हो सकते हैं. कहने को तो आप इसे तीन एपिसोड की वेबसीरीज मान सकते हैं. असल में ये रियल स्टोरी पर बेस्ड एक क्राइम डॉक्यू सीरीज है. जिसके तीन एपिसोड में एक पुलिस वाले का खूंखार चेहरा नजर आता है और पूरी सीरीज आपके रोंगटे खड़े कर सकती है.

ये है शो का नाम

हम जिस क्राइम डॉक्यू सीरीज की बात कर रहे हैं उसका नाम है इंडियन प्रिडेटर- बीस्ट ऑफ बैंगलोर. ये कहानी एक ऐसे शख्स की है जो पुलिस में कॉन्स्टेबल था. लेकिन ये सिर्फ उसके बेरहम और वहशी चेहरे पर चढ़ा हुआ एक नकाब था. असल में वो एक सीरियल रेपिस्ट और मर्डरर था. जो दिन में वर्दी पहन कर घूमता था और रात में उसी वर्दी की आड़ में अपने बुरे मंसूबों को अंजाम देता था. ये पुलिस वाला था उमेश रेड्डी. जिसके निशाने पर होती थीं अकेली महिलाएं. वो उन महिलाओं का पीछा करता, उनके घर में घुसता. उनका रेप करता और फिर उन्हें मार डालता था.

फांसी की जगह मिली ये सजा

इस डॉक्यू सीरीज में उमेश रेड्डी के ब्रूटल क्राइम को थ्रिलर के रूप में पेश किया गया है. जिसमें आप पुलिस, पत्रकार और केस से जुड़े कुछ और लोगों के रियल इंटरव्यूज भी देख सकते हैं. कुछ  सीन्स में क्राइम सीन को रीकंस्ट्रक्ट करने के साथ ही कोर्ट केस के भी डिटेल्स दिखाए गए हैं. उसने 18 महिलाओं के साथ बलात्कार और हत्या के जघन्य कृत्य को स्वीकार किया और इनमें से नौ मामलों में उसे दोषी पाया गया. साल 2002 में वो गिरफ्तार हुआ. जिसके बाद उसे फांसी की सुनाई गई. लेकिन बाद में इस सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया. 

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