बॉलीवुड के पहले 'नेचुरल एक्टर',रईसी के थे खूब चर्चे, काजोल की नानी से करते थे मोहब्बत, लोग कहते थे 'ट्रेजेडी किंग'

मोतीलाल का जन्म 4 दिसंबर 1910 को शिमला में एक एजुकेशनिस्ट के घर हुआ. हालांकि वह एक साल के थे तभी उनके पिता की मौत हो गई. मोतीलाल को उनके चाचा ने पाल-पोसकर बड़ा किया, जो दिल्ली में मशहूर सर्जन थे.

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इस एक्टर को कहा गया सिनेमा का नेचुरल एक्टर
नई दिल्ली:

बीते जमाने के बेहतरीन एक्टर मोतीलाल ने करीब तीन दशक तक हिंदी फिल्मों में काम किया. इस दौरान उन्होंने करीब 60 फिल्में कीं. 1955 में आई फिल्म 'देवदास' में उन्होंने चुन्नी बाबू का किरदार निभाकर पॉपुलैरिटी पाई. बेहतरीन एक्टिंग के कारण उ्न्हें हिंदी फिल्मों का पहला नेचुरल एक्टर कहा गया. मोतीलाल नेवी में भर्ती होने के लिए बॉम्बे आए थे, किस्मत ने उन्हें सिनेमा एक्टर बना दिया. 1940 में आई फिल्म 'अछूत' में उन्होंने  अछूत व्यक्ति के किरदार को पर्दे पर जीवंत कर दिया. महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल ने भी उनकी तारीफ की. वह अपनी स्टाइल और निजी जिंदगी की वजह से ही चर्चा में रहे. रईस खानदान से ताल्लुक रखने वाले मोतीलाल अपने अंतिम समय में पाई पाई के लिए मोहताज हो गए थे. उस दौर में एक्ट्रेस शोभना समर्थ के साथ उनकी लव स्टोरी खूब चर्चा में रही. 


नेवी छोड़ कर सिनेमा में हुए थे भर्ती 

मोतीलाल का जन्म 4 दिसंबर 1910 को शिमला में एक एजुकेशनिस्ट के घर हुआ. हालांकि वह एक साल के थे तभी उनके पिता की मौत हो गई. मोतीलाल को उनके चाचा ने पाल-पोसकर बड़ा किया, जो दिल्ली में मशहूर सर्जन थे. शुरुआती पढ़ाई शिमला में करने के बाद उन्होंने दिल्ली से स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई की. पढ़ाई पूरी करने के बाद वह बॉम्बे आ गए.  यहां वो आए तो नेवी जॉइन करने के लिए थे, लेकिन ऐन वक्त पर इतना बीमार पड़ गए और टेस्ट में शामिल नहीं हो पाए. एक दिन वो बॉम्बे के सागर स्टूडियो में शूट देखने पहुंचे. फिल्म के डायरेक्टर केपी घोष थे, जो कि सागर प्रोडक्शन कंपनी के मालिक थे. केपी की नजर जब मोतीलाल पर पड़ी तो उनकी पर्सनालिटी से वे इम्प्रेस हो गए. उन्होंने तुरंत उन्हें फिल्म ऑफर कर दी. तब उनकी 24 साल थी. उन्होंने फिल्म 'शहर का जादू' से सिनेमा में  डेब्यू किया. 


एक्टिंग के बारे में तब वह कुछ नहीं जानते थे , लेकिन फिल्म रिलीज हुई तब उनकी एक्टिंग को खूब पसंद किया गया. फिर उन्हें कई फिल्मों के ऑफर मिले. 1934 में उनकी अगली फिल्म वतन परस्त आई. इसके बाद सिल्वर किंग, डॉक्टर मधुरिका, दो घड़ी की मौज, लग्न बंधन, जीवन लता, दो दीवाने, दिलावर, कोकिला, कुलवधू, जागीरदार जैसी कई फिल्मों में दिखाई दिए. 1940 में आई फिल्म 'अछूत' में मोतीलाल ने एक अछूत व्यक्ति का किरदार निभाकर  सबको चकित कर दिया. महात्मा गांधी और वल्लभभाई पटेल ने भी उनकी एक्टिंग की तारीफ की.  इस फिल्म के बाद मोतीलाल का नाम फिल्म इंडस्ट्री के बड़े एक्टर्स की लिस्ट में शामिल हो गए.

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मोतीलाल अपने किरदार  को इतने नेचुरल तरीके से पर्दे पर निभाते थे कि वो एक्टिंग लगती ही नहीं थी. उन्हें हिंदी फिल्मों का पहला नेचुरल एक्टर कहा गया. 1955 में आई दिलीप कुमार स्टारर 'देवदास' से मोतीलाल का सितारा बुलंदियों पर पहुंच गया. इस फिल्म में उन्होंने चुन्नी बाबू का रोल निभाया था, जिसके लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला.

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 रईसी के थे चर्चे

मोतीलाल ने  रईस खानदान से थे, इसलिए उन्हें पैसों की कोई कमी नहीं थी. उनकी लाइफस्टाइल उस दौर में चर्चा का विषय थी. वह अपने बिंदास अंदाज के लिए इंडस्ट्री में मशहूर थे. हमेशा सूट-बूट में रहने वाले मोतीलाल को हैट पहनने का भी बहुत शौक था. मोतीलाल को तेज रफ्तार में कार चलाने और प्लेन उड़ाने का भी शौक था. उन्होंने लाइसेंस भी लिया था. हॉर्स राइडिंग और क्रिकेट खेलने का भी उन्हें बहुत शौक था. शूटिंग के दौरान भी ब्रेक मिलने पर वो को-स्टार्स के साथ क्रिकेट खेलते थे. 

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इन एक्ट्रेसेज से था अफेयर

मोतीलाल से उस दौर की एक्ट्रेसेस काफी इम्प्रेस रहती थीं. उस दौर में दो एक्ट्रेसेस से उनका नाम जुड़ा. वो थीं शोभना समर्थ और नादिरा. नादिरा के साथ मोतीलाल कुछ समय तक रहे, लेकिन जल्द ही दोनों का ब्रेकअप हो गया. बाद मोतीलाल शोभना समर्थ के करीब आए. दोनों की मुलाकात फिल्मों में काम करने के दौरान हुई.  शोभना उस जमाने की दिग्गज अभिनेत्री थीं. जब मोतीलाल से वह मिली तो पहले से वह  शादीशुदा और चार बच्चों की मां थीं. शोभना की शादी कुमारसेन समर्थ से हुई थी, जिनसे उनके रिश्ते ठीक नहीं थे. शोभना समर्थ तनुजा की मां और काजोल की नानी थीं.शोभना मोतीलाल को दोस्त मानती थी, लेकिन वह उनसे एकतरफा प्यार करते थे. बाद में  शोभना की शादी टूट गई. मोतीलाल ने उन्हें प्रपोज किया. उन्होंने मोतीलाल से शादी नहीं की, लेकिन उनकी नजदीकियां हमेशा चर्चा में रहीं.

तंगहाली में गुजरा अंतिम समय 

मोतीलाल को शराब और जुए की लत थी. शराब पीने की वजह से 1960 के आसपास मोतीलाल की तबीयत खराब रहने लगी, जिसके चलते उन्होंने फिल्मों में काम करना कम कर दिया. उन्हें तीन हार्टअटैक आ चुके थे. बाद में वह एक्टिंग छोड़कर  स्क्रिप्ट राइटिंग, डायरेक्शन और प्रोडक्शन  का काम करने लगे. उन्होंने फिल्म 'छोटी छोटी बातें' लिखीं, प्रोड्यूस और डायरेक्ट की. हालांकि रिलीज से पहले ही वो चल बसे.इस फिल्म के लिए उन्हें मरणोपरांत दो नेशनल अवॉर्ड दिया गया. 

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