मलयालम में कई ऐतिहासिक फिल्मों के लिए पहचाने जाने वाले प्रख्यात फिल्मकार और पटकथा लेखक मोहन का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. फिल्म उद्योग के सूत्रों ने बताया कि मोहन का कुछ समय से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर इलाज चल रहा था और आज उन्होंने अंतिम सांस ली. वह 76 वर्ष के थे. मोहन को मलयालम सिनेमा के 1980 के दशक के स्वर्ण काल के दौरान जाने-माने फिल्मकारों में से एक माना जाता था. वह भारतन, पद्मराजन जैसे दिग्गज फिल्म निर्देशकों का दौर था.
लोगों के अंतर्द्वंद्व और पारिवारिक मूल्यों को काव्यात्मक ढंग से दर्शाने वाली उनकी फिल्मों को कलात्मक उत्कृष्टता और लोकप्रियता के लिए जाना जाता है. त्रिशूर जिले के इरिन्जालाकुडा के रहने वाले मोहन ने एम कृष्णन नायर और हरिहरण जैसे दिग्गजों के सहायक के रूप में अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी. उनकी प्रसिद्ध फिल्मों में ‘‘पक्षे'', ‘‘शालिनी एंते कोट्टुकरी'', ‘‘इसाबेल'', ‘‘अंगले ओरु आवधिकलात'', ‘‘विदा परायुम मुन्पे'' और ‘‘मुखम'' शामिल हैं.
मोहन के परिवार में उनकी पत्नी एवं जानी-मानी कुचिपुडी नृत्यांगना अनुपमा तथा दो संतान हैं. मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने उनके निधन पर शोक जताया और कहा कि मोहन ऐसे फिल्म निर्देशक थे जिन्होंने भावनात्मक ढंग से पारिवारिक कहानियों को पेश करने में असाधारण कौशल दिखाया. उन्होंने कहा कि मोहन का निधन मलयालम फिल्म जगत के लिए बड़ी क्षति है.
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