स्कीइंग स्पोर्ट्स चैंपियन की एक अनोखी कहानी है फिल्म 'नो मीन्स नो'

भारत में स्पोर्ट्स के प्रति बढ़ती दीवानगी और खेलों में जीत के जूनून को आपने देखा ही होगा. अब उसी दीवानगी को नयी उचाईयों पर ले जाने के लिए फिल्ममेकर विकाश वर्मा लेकर आ रहे हैं पहली इंडो-पोलिश फिल्म 'नो मीन्स नो'.

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फिल्म 'नो मीन्स नो'
नई दिल्ली:

भारत में स्पोर्ट्स के प्रति बढ़ती दीवानगी और खेलों में जीत के जूनून को आपने देखा ही होगा. अब उसी दीवानगी को नयी उचाईयों पर ले जाने के लिए फिल्ममेकर विकाश वर्मा लेकर आ रहे हैं पहली इंडो-पोलिश फिल्म 'नो मीन्स नो'. अब तक भारत में क्रिकेट, फुटबॉल और हॉकी जैसे लोकप्रिय खेलों पर बहुत सी फिल्में बन चुकी है जैसे चक दे इंडिया, दंगल, इत्यादि और उन्हें दर्शकों का बहुत ज़्यादा प्यार भी मिला पर दर्शक अब कुछ नया देखना चाहते हैं. उसी को ध्यान में रखते हुए, इस फिल्म के निर्देशक विकाश वर्मा ने दर्शकों की नब्ज़ पकड़ने की कोशिश की है और इस फिल्म के जरिए उन्होंने वो जज़्बा, वो मेहनत और लगन भी दिखाई है जो खूबियां जीतने के पहले एक चैंपियन को अपने अंदर लानी होती हैं.

विकाश वर्मा खुद भी एक नैशनल लेवल के स्पोर्ट्सपर्सन रह चुके हैं, इसलिए स्पोर्ट्स का विषय हमेशा से उनके दिल के करीब रहा है. विकाश महाराष्ट्र सरकार की सुरक्षा समिति के सलाहकार भी रह चुके हैं, जिसको महाराष्ट्र सरकार ने 2005 के गैज़ेट में प्रकाशित किया था. वो खिलाड़ी होने के साथ ही सिक्योरिटी एक्सपर्ट भी हैं, इसलिए वो फिल्म के हर शॉट को बहुत बारीकी से और वास्तविकता के साथ फिल्माते हैं. इस फिल्म में हीरो का रोल निभाया है बॉलीवुड के आकाश पर ध्रुव तारे की तरह अपनी जगह बनाने वाले ध्रुव वर्मा ने. 

उनकी फिल्म के ट्रेलर देख कर बहुत से प्रसिद्ध फिल्म विश्लेषकों और जाने-माने फ़िल्मी सितारों ने उनकी प्रतिभा का लोहा माना है, विशेषकर उनके स्कीइंग करते हुए ऐक्शन सीन्स तो इस फिल्म की विशेषता हैं, जो भारतीय सिनेमा में पहली बार हुआ है. ध्रुव ने इस फिल्म में स्की चैंपियन की भूमिका निभाई है और इसके लिए उनकी लगन देखिए कि ना केवल उन्होंने स्कीइंग लगन के साथ सीखी बल्कि पोलैंड में हाई लेवल ट्रेनिंग कर के प्रोफेशनल खिलाड़ी के बराबर एक्सपरटाइज भी किया. यही नहीं फिल्म के दूसरे सीन्स जैसे घुड़सवारी, गन हैंडलिंग और गोताखोरी के लिए भी उन्होंने पूरा प्रशिक्षण लेकर प्रोफेशनल लेवल का एक्सपरटाइज हासिल किया. इसीलिए उन्होंने इस फिल्म में डबल का इस्तेमाल ना करके ये सारे मुश्किल और खतरनाक सीन्स खुद शूट किए हैं, जिससे फिल्म के सारे सीन्स ज़्यादा नेचुरल लगेंगे और दर्शक ज़्यादा अच्छे से कहानी का आनंद उठा सकेंगे.

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भारत में स्नो स्पोर्ट्स अभी शुरुआती अवस्था में हैं और विकाश वर्मा की इस फिल्म से भारत में इन खेलों को बढ़ावा मिलेगा. हमारे देश में ये खेल कुछ ही क्षेत्रों जैसे लद्दाख, कश्मीर और शिमला में उपलब्ध है, जहां अधिकतर महीनों में स्नो होती है पर अब भारत के कई शहरों में आर्टिफिशियल आइस-स्केटिंग रिंक भी खुल चुके हैं. यदि आप इन खेलों में हाथ आजमाना चाहें तो इनमें आपको स्केट्स के साथ सिखाने वाले ऐक्सपर्ट भी मिलेंगे, जिससे आप इस खेल को अच्छी तरह से सीखें और इसका पूरा आनंद लें. भारत सरकार भी इन खेलों को बढ़ावा देने के लिए खेलो इंडिया के तहत विंटर गेम्स आयोजित करती है.

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मनाली की आंचल ठाकुर ने 2018 में तुर्की में स्कीइंग की अंतर्राष्ट्रीय इवेंट अल्पाइन एजडर कप में काँस्य पदक जीत कर भारत का नाम रोशन किया था जिसकी सराहना स्वयं मोदी जी ने भी अपने ट्विटर हैंडल पर करी थी. इससे पता लगता है कि हम भारतीय भी इस तरह के स्पोर्ट्स में कामयाबी हासिल कर सकते हैं और ये इस बात का भी प्रतीक है कि भारतीय जनमानस में इस खेल के प्रति रूचि तेजी से बढ़ रही है. किसी स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने के लिए एक अच्छी फिल्म से बेहतर कुछ भी नहीं हो सकता और उम्मीद है कि विकाश वर्मा की यह फिल्म 'नो मीन्स नो' लोगों को अधिक से अधिक संख्या में इस खेल में आने के लिए प्रेरित करेगी.

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