12वीं फेल IPS अफसर जो कभी ऑटो चलाया करते थे, उनकी लाइफ पर एक फिल्म बन रही है. इस फिल्म का नाम '12वीं फेल' है. पिछले ही महीने इस फिल्म का टीजर जारी हुआ है. इस आईपीएस अफसर का नाम मनोज कुमार शर्मा है. इस फिल्म में लीड रोल में एक्टर विक्रांत मैसी नजर आएंगे. तो चलिए जानते हैं कौन हैं आईपीएस मनोज कुमार शर्मा और उनकी स्ट्रगल और सक्सेस स्टोरी के बारें में...
IPS मनोज शर्मा की जिंदगी पर किताब
2005 बैच के महाराष्ट्र कैडर से आईपीएस मनोज शर्मा की कहानी लाखों युवाओं को इंस्पायर करती है. हाल ही में उनके ही दोस्त अनुराग पाठक ने उनकी लाइफ पर एक किताब लिखी. इस किताब का टाइटल ‘12th फेल, हारा वही जो लड़ा नहीं' है. इस किताब में मनोज शर्मा की लाइफ के उन दिनों की कहानी को बताया गया है, जब वे स्ट्रगल कर रहे थे. उनका संघर्ष इतना ज्यादा था कि कोई और इंसान होता तो टूटकर बिखर ही जाता. हालांकि, गर्लफ्रेंड से किए एक वादे ने उनकी पूरी लाइफ ही बदलकर रख दी और आज वे आईपीएस अफसर हैं.
अभी कहां पोस्टेड हैं IPS मनोज शर्मा
जानकारी के मुताबिक, अभी मनोज कुमार शर्मा CISF में डीआईजी पोस्ट पर हैं. उनका बचपन काफी संघर्षों में बिता है. मध्यप्रदेश के मुरैना में जन्में मनोज शर्मा 9वीं, 10वीं और 11वीं में थर्ड डिवीजन पास हुए थे. उन्होंने बताया कि 11वीं तो नकल करके जैसे-तैसे पास किया था. 12वीं में इसीलिए फेल हो गए क्योंकि उन्हें नकल नहीं मिली. लेकिन बाद में कुछ ऐसा हुआ कि उनकी पूरी लाइफ ही बदल गई.
IPS बनने का विचार कहां से आया
एक इंटरव्यू में मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि 'मैंने सोचा था कि नकल कर 12वीं पास कर लूंगा. ये तक प्लान कर लिया था कि एग्जाम में कहां गाइड रखनी है और कहां पर्ची छुपानी है. दिमाग में था कि इंटर पास करने के बाद टाइपिंग सीखकर कहीं जॉब करने लगूंगा. लेकिन तब वहां जो एसडीएम ने स्कूल में नकल नहीं होने दी. मुझे लगा इतना बड़ा आदमी आखिर है कौन, जिसके पास इतनी ताकत है. तब मैंने ठाना कि मुझे भी इतना ही पावरफुल बनना है.'
IPS मनोज कुमार शर्मा का स्ट्रगल
मनोज कुमार शर्मा ने इंटरव्यू में आगे बताया कि, '12वीं में मैं फैल हो गया और घर चलाने के लिए मुझे भाई के साथ टेंपो चलाना पड़ा. एक दिन हमारा टेंपो पकड़ा गया. मैंने सोचा एसडीएम से कहकर छुड़ा सकता हूं. उनके पास पहुंचा लेकिन कह नहीं पाया. बस उनसे पूछ बैठा कि आपने किस तरह यह पद हासिल किया है. तैयारी कैसे की. मैंने उनसे नहीं बताया कि मैं 12वीं फेल हूं. तब मन में निश्चय कर लिया कि मुझे यही करना है. कुछ ही दिन में घर से ग्वालियर आ गया. पैसे पास में नहीं थे तो भिखारियों के पास सोया. एक समय तो ऐसा भी आया कि खाने को ही कुछ नहीं होता था. लेकिन किस्मत मुझे लाइब्रेरियन कम चपरासी का काम मिल गया और जब कवियों की सभाएं होती तो उनके लिए बिस्तर बिछाता, उन्हें पानी पिलाया करता था.'
गर्लफ्रेंड से वादे ने बदल दी जिंदगी
मनोज शर्मा ने बताया कि' मैं जिस लड़की से प्यार करता था,उससे कहा कि अगर मेरा साथ दो तो दुनिया पलट दूंगा. इस तरह मोहब्बत में जीतने के लिए पढ़ाई शुरू की और चौथे अटेम्प्ट में आईपीएस बन गया. इस तरह मनोज कुमार ने स्ट्रगल से हार न मानते हुए सफलता का जो मुकाम हासिल किया, वो आज लाखों युवाओं की इंस्पिरेशन है.