इस परिवार को पहचानते हैं क्या, एक बावर्ची ने बदल दी थी इनकी जिंदगी, घर में क्लेश मिटाकर ला दी थी सुख-शांति

बॉलीवुड की कई ऐसी फिल्में हैं जिन्हें कभी भी देखा जा सकता है, वह उतना ही ताजगी का एहसास देती हैं. आइए बात करते हैं राजेश खन्ना की ऐसी ही एक फिल्म की.

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राजेश खन्ना की बावर्ची के बारे में खास बातें
नई दिल्ली:

साल 1972 में रिलीज हुई ऋषिकेश मुखर्जी के डायरेक्शन में बनी फिल्म बावर्ची को रिलीज हुए 50 साल पूरे हो गए हैं. जॉइंट फैमिली के खट्टे मीठे रिश्तों को दिखाती ये फिल्म बांग्ला फिल्म ‘गोल्पो होलेओ शोत्यि' की हिंदी रीमेक थी. फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा दिया था. फिल्म में राजेश खन्ना के अलावा जया भादुरी, असरानी और ए के हंगल जैसे दिग्गज कलाकार थे. इस फिल्म को खूब पसंद किया गया था और यह बॉलीवुड की सदाबहार फिल्मों में से एक मानी जाती है.

ऋषिकेश मुखर्जी की राजेश खन्ना के साथ बॉन्डिंग भी कमाल की थी. उस दौर में वह एक इकलौते निर्देशक थे, जो राजेश खन्ना को सेट पर डांट भी दिया करते थे. 1970 के दशक में सुपरस्टार राजेश खन्ना जब स्क्रीन पर एक सहज अवतार में गुदगुदाने की कोशिश करते हैं, तो देखने वाला खुद को तालियां बजाने से रोक नहीं पाता. इस फिल्म में राजेश खन्ना को बर्तन मांजते और रोटी बनाते भी दिखाया गया है. फिल्म इतनी रियल दिखती है कि ये दर्शकों को अपने घर की कहानी लगी.

फिल्म ‘बावर्ची' में एक जॉइंट फैमिली की कहानी को दिखाया गया है. घर के मुखिया यानी दादूजी पुराने जमाने के बुजुर्गों को बखूबी रिप्रेजेंट करते हैं जो अपनी कमाई से बनाए जेवर संदूक में ताला लगाकर रखते हैं और उसे बिस्तर के नीचे छिपाकर रखा करते हैं. उनकी दो बहुएं है, जो घर के काम से भागती हैं. दादूजी की एक अनाथ पोती है, जिसके माता-पिता बचपन में ही छोड़ गए. घर में हर कोई एक दूसरे से ईर्ष्या करता है. इन सबके बीच एक बावर्ची आता है, जो हर काम में माहिर है और परिवार में क्लेश को मिटाकर हंसी-खुशी का माहौल ले आता है. 
 

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