3 दिन बाद तक नहीं मिला शव, सड़कों पर थे उनके पालतू डॉग, दिलीप कुमार की फेवरेट को-स्टार का हुआ दुखद अंत

अशोक कुमार और देव आनंद जैसे सुपरस्टार के साथ काम कर चुकी इस एक्ट्रेस को दिलीप कुमार ने अपनी फेवरेट को स्टार माना. लेकिन आखिरी दिनों में उनके परिवार ने ही उनके साथ ना खड़ा हुआ. 

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Dilip Kumar favorite co-star had tragic end : दिलीप कुमार की फेवरेट को स्टार की कहानी का हुआ दुखद अंत
नई दिल्ली:

दिलीप कुमार, अशोक कुमार और देव आनंद जैसे सुपरस्टार्स के साथ काम कर चुकी यह एक्ट्रेस बॉलीवुड का जाना पहचाना नाम हैं. वहीं करियर के पीक पर वह सबसे पॉपुलर एक्टर्स की लिस्ट में शामिल होती थीं. यहां तक कि दिलीप कुमार ने यहां तक कह दिया था कि उन्होंने उनके जैसे फाइनर परफॉर्मर के साथ कभी काम नहीं किया. लेकिन अन्य लोगों की तरह यह चमकता सितारा गायब हो गया. हम बात कर रहे हैं नलिनी जयवंत की, जिनका निधन साल 2010 में हुआ था. उनकी बॉडी 3 दिनों तक नहीं मिली. वह सालों तक सन्यासी बनी रही. वहीं उनकी रिश्तेदारों से भी बातचीत नहीं होती थी. जबकि उनके इंडस्ट्री के दोस्त या तो इस दुनिया में नहीं हैं और या फिर वह उनकी हालत के बारे में नहीं जानते थे. उनका पार्थिव शरीर एक दूर की रिश्तेदार ले गई. वह दिग्गज अदाकारा तनुजा की मौसी थीं.

नलिनी जयवंत का जन्म 1926 में बंबई शहर में समृद्ध परिवार में हुआ था. नलिनी को एक ऐसा चेहरा मिला था, जिसे 'सुन्दर' कहा जाता था. नूतन की जन्मदिन पार्टी में एक निर्माता ने उन्हें 14 साल की उम्र में खोजा था. वहीं 1941 में आई फिल्म राधिका में उन् एक्टिंग की दुनिया में कदम रखने का मौका मिला. महबूब ख़ान की फिल्म 'बहन' में जब वह नजर आईं, तब वह टीनेजर ही थीं. 1950 के दशक से पहले, उन्होंने बलराज साहनी और त्रिलोक कपूर जैसे कलाकारों के साथ काम किया था. 

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नलिनी की जोड़ी अशोक कुमार के साथ (और अंततः प्रेम-प्रसंग) ने उन्हें हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के टॉप पर पहुंचाया. समाधि और संग्राम जैसी फिल्मों से अपनी पारी शुरू करने के बाद, उन्होंने और अशोक कुमार ने जलपरी (1952), काफिला (1952), नौ बहार (1952), सलोनी (1952), लकीरें (1954), नाज़ (1954), मिस्टर एक्स (1957), शेरू (1957) और तूफान में प्यार कहां (1963) जैसी फिल्मों में काम किया. 1959 में, उन्होंने राज खोसला की काला पानी में अपनी परफॉर्मेंस के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार जीता, जिसमें देव आनंद मुख्य भूमिका में नजर आए थे. 

उनसे कई साल बड़े निर्देशक वीरेंद्र देसाई से शादी करने के बाद नलिनी कुछ समय के लिए ब्रेक ले लिया. जब उन्होंने शादी की, तब वह सिर्फ एक टीनेएजर थीं, जिसके कारण उन्हें अपने स्टूडियो से निकाल दिया गया और उनके परिवार ने उनका त्याग कर दिया. शादी टूटने के बाद वह फिल्मों में लौट आईं. कुछ समय बाद ही, अशोक कुमार के साथ उनके अफेयर की चर्चा शुरू हो गई, जिन्होंने उनके नेपाल भाग जाने की योजना भी बनाई थी. 2009 की हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, उनके देवर ने इस योजना को नाकाम कर दिया, जिन्हें इसकी भनक लग गई थी.जो लोग नहीं जानते उन्हें बता दें कि नलिनी अपनी दूसरी चचेरी बहन,एक्ट्रेस शोभना समर्थ और एक्ट्रेस काजोल की नानी थीं उनसे जलती थीं. 

नलिनी ने 1965 में फिल्म बॉम्बे रेस कोर्स में एक्टिंग करने के बाद संन्यास ले लिया. हालांकि 18 साल बाद नास्तिक फिल्म में अमिताभ बच्चन की मां का किरदार निभाकर उन्होंने फिर से फिल्मी दुनिया में वापसी की, जिसका उन्हें पछतावा हुआ. इस्टर्न आई के अनुसार, उन्होंने कहा, "उस फिल्म को स्वीकार करना एक बड़ी भूल थी क्योंकि मुझे उस भूमिका के बारे में जो कुछ भी बताया गया था, वह सब पर्दे पर झूठ साबित हुआ. यह मेरे लिए किसी सदमे से कम नहीं था. इसलिए, मैंने फ़िल्मी दुनिया की ओर कभी मुड़कर नहीं देखने का फैसला किया."

एक्ट्रेस के निधन के बाद उनके एक पड़ोसी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, "जब तक हमें इसके बारे में पता चला, सब कुछ खत्म हो चुका था. हमने अपने कर्मचारियों से सुना कि एक आदमी, जिसने खुद को दूर का रिश्तेदार बताया था, आया और शव को ले गया. पिछले तीन दिनों से घर बंद है और पूरी तरह से अंधेरा है, नौकर चले गए हैं, और नलिनीजी के पालतू कुत्ते सड़कों पर हैं. हम पड़ोसी उनकी देखभाल कर रहे हैं।"

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दिलीप कुमार से हिंदुस्तान टाइम्स के एक इंटरव्यू में अपने 90वें जन्मदिन पर जब पूछा गया कि उनका पसंदीदा को स्टार कौन है तो  उन्होंने कहा, "मैंने हमेशा नलिनी जयवंत को एक बेहतरीन को स्टार माना है. वह एकमात्र ऐसी अभिनेत्री थीं जो अपनी सहजता के कारण, अगर मैं पूरी तरह सतर्क न होता, तो भी मुझे अंतिम टेक में चौंका सकती थीं." 

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