1940 में टाइमलेस क्लासिक फिल्म जिंदगी को 83 साल पूरे हो गए हैं. पी.सी. द्वारा निर्देशित बरुआ और के.एल. सहगल, पहाड़ी सान्याल, आशालता वाबगांवकर और जमुना द्वारा अभिनीत इस क्लासिक फिल्म का आज भी दर्शक आनंद ले रहे हैं. जिंदगी को अब तक बनी सबसे महान हिंदी फिल्मों में से एक माना जाता है. यह एक क्लासिक प्रेम कहानी है, जो समय और संस्कृति से परे है. फिल्म का आशा और लचीलेपन का संदेश आज भी दर्शकों के बीच गूंज रहा है. इस फिल्म का बॉक्स ऑफिस भी लाजवाब रहा.
फिल्म एक बेरोजगार स्नातक अशोक की कहानी बताती है, जिसे लीला से प्यार हो जाता है, जो एक महिला है, जो अपने क्रूर पति से पीछा छुड़ाकर भागी है. लीला शुरू में अशोक के प्यार को स्वीकार करने में झिझकती रही, लेकिन अंततः वह अपनी भावनाओं के आगे झुक जाती है. हालांकि, उनकी ख़ुशी पल भर की होती है जब लीला का पति उसका पता लगा लेता है और उसे वापस ले जाने की कोशिश करता है.
इस फिल्म को रिलीज़ के बाद क्रिटिक्स और बिजनेस करने में सफल रही. सामाजिक मुद्दों, स्ट्रॉन्ंग परफॉर्मेंस और यादगार संगीत के लिए इसकी सराहना की गई. फिल्म के गाने, जैसे "सो जा राजकुमारी" और "दिल जलता है तो जलने दे" आज भी लोकप्रिय हैं और कई कलाकारों ने वर्षों से इन्हें कवर किया है.
फिल्मे से जुड़े कुछ किस्से हैं कि जिंदगी की शूटिंग बॉम्बे और कलकत्ता में लोकेशन पर की गई थी. जबकि संगीत रायचंद बोराल ने तैयार किया था और गीत पी.एल. ने लिखे थे. "सो जा राजकुमारी" गाना मूल रूप से किसी अन्य फिल्म के लिए लिखा गया था, लेकिन निर्माता ने इसे अस्वीकार कर दिया था. बरुआ इस गाने से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने जिंदगी के लिए इसके अधिकार खरीद लिए. बॉक्स ऑफिस की बात करें तो यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त हिट रही और इसने 91 लाख से ज्यादा की कमाई की. इतना ही नहीं जिंदगी को तमिल में कनमनी (1941) और तेलुगु में मायाबाजार (1957) के नाम से भी बनाया गया था.