मुश्किल में धर्मेंद्र, पटियाला हाउस कोर्ट ने धोखाधड़ी मामले में भेजा समन

धर्मेंद्र और दो लोगों के खिलाफ 'गरम धरम ढाबा' की फ्रेंचाइजी को लेकर धोखाधड़ी के आरोप में समन भेजा गया है.

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धर्मेंद्र के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला !
नई दिल्ली:

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने हाल ही में 'गरम धरम ढाबा' फ्रेंचाइजी से जुड़े धोखाधड़ी के मामले में बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर धर्मेंद्र और दो अन्य के खिलाफ समन जारी किया है. न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) यशदीप चहल द्वारा जारी समन, दिल्ली के व्यवसायी सुशील कुमार द्वारा दायर की गई शिकायत पर आधारित है, जिन्होंने आरोप लगाया है कि उन्हें फ्रेंचाइजी में निवेश करने के लिए लालच दिया गया था. न्यायाधीश ने 5 दिसंबर को पारित समन आदेश में कहा, "रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्य प्रथम दृष्टया संकेत देते हैं कि आरोपी व्यक्तियों ने अपने सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने के लिए शिकायतकर्ता को बहकाया ." "तदनुसार, धारा 420, 120बी के साथ धारा 34 आईपीसी के तहत अपराध करने के लिए क्रम संख्या 1 (धरम सिंह देओल), 2 और 3 के आरोपी व्यक्तियों को समन किया जाए. धारा 506 आईपीसी के तहत आपराधिक धमकी के अपराध के लिए क्रम संख्या 2 और 3 के आरोपी व्यक्तियों को भी समन किया जाए." अदालत ने आदेश दिया. मामले की अगली सुनवाई 20 फरवरी, 2025 को होगी.

अदालत ने कहा कि यह पूरी तरह से तय है कि समन जारी करने के चरण में अदालत को प्रथम दृष्टया मामले की जांच करनी होती है और मामले के गुण-दोषों की सावधानीपूर्वक जांच की आवश्यकता नहीं होती. रिकॉर्ड में मौजूद दस्तावेज गरम धरम ढाबा से संबंधित हैं और आशय पत्र पर उक्त रेस्टोरेंट का लोगो भी लगा हुआ है. अदालत ने कहा, यह स्पष्ट है कि पक्षों के बीच लेन-देन गरम धरम ढाबा से संबंधित है और सह-आरोपी द्वारा आरोपी धरम सिंह देओल की ओर से इसे आगे बढ़ाया जा रहा है.

9 अक्टूबर, 2020 को अदालत ने एफआईआर दर्ज करने के निर्देश देने की मांग वाली एक अर्जी खारिज कर दी. हालांकि, अदालत ने शिकायत का संज्ञान लिया था और शिकायतकर्ता को सबूत पेश करने का निर्देश दिया था. शिकायतकर्ता सुशील कुमार की ओर से अधिवक्ता डीडी पांडे पेश हुए. शिकायतकर्ता सुशील कुमार का मामला यह है कि अप्रैल 2018 में सह-आरोपी ने धर्मेंद्र की तरफ से उनसे संपर्क किया था और उत्तर प्रदेश के NH-24/NH-9 पर गरम धर्म ढाबा की फ्रेंचाइजी खोलने का ऑफर दिया था. शिकायतकर्ता को कथित तौर पर इस बहाने से फ्रेंचाइजी में निवेश करने का लालच दिया गया था कि दिल्ली के कॉनॉट प्लेस और हरियाणा के मुरथल में उक्त रेस्टोरेंट की शाखाओं से लगभग ₹70 से 80 लाख का मासिक कारोबार हो रहा है.

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शिकायतकर्ता से वादा किया गया था कि उसे अपने निवेश पर सात प्रतिशत लाभ के आश्वासन के बदले ₹41 लाख की राशि का निवेश करना होगा. शिकायतकर्ता से यह भी वादा किया गया था कि उत्तर प्रदेश में फ्रेंचाइजी स्थापित करने के लिए उसे पूरी सहायता मिलेगी. यह कहा गया कि इस संबंध में शिकायतकर्ता और सह-आरोपी के बीच कई ईमेल का आदान-प्रदान हुआ और बैठकें हुईं. आरोप है कि सह-आरोपियों में से एक ने शिकायतकर्ता से 63 लाख रुपये और कर का निवेश करने तथा उक्त व्यवसाय के लिए भूमि की व्यवस्था करने को कहा और तदनुसार, शिकायतकर्ता, उसके व्यापारिक सहयोगियों, सह-आरोपियों के बीच 22 सितंबर, 2018 को एक आशय पत्र निष्पादित किया गया. पत्र के अनुसार, शिकायतकर्ता और उसके व्यापारिक सहयोगियों को व्यवसायिक फ्रेंचाइजी प्राप्त करने के लिए 31 जनवरी, 2019 तक 63 लाख रुपये का भुगतान करना था.

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इसके बाद, शिकायतकर्ता द्वारा 22 सितंबर, 2018 को 17.70 लाख रुपये की राशि का चेक सह-आरोपियों को सौंपा गया और इसे प्रतिवादियों के खाते में भुनाया गया. यह कहा गया है कि उनके बीच समझौते को आगे बढ़ाते हुए, शिकायतकर्ता और उसके व्यापारिक सहयोगियों द्वारा 2 नवंबर, 2018 को गजरौला, जिला अमरोहा, यूपी के पास राजमार्ग पर भूमि भी खरीदी गई थी. बाद में उन्होंने व्यवसाय को जल्द से जल्द चलाने के लिए तेजी से काम शुरू करने के लिए प्रतिवादी संख्या 2 से संपर्क किया, लेकिन आज तक, प्रतिवादियों में से किसी ने भी उक्त खरीदी गई भूमि का निरीक्षण नहीं किया और न ही वे शिकायतकर्ता से मिले.
 

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