आपने अक्सर बड़े बड़े हीरो हीरोइन को ये कहते सुना होगा कि वो डायरेक्टर की पसंद और डायरेक्शन के मुताबिक काम करना पसंद करते हैं. लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि डायरेक्टर की पर किसी एक्टर की मर्जी हावी होती है. कभी डायरेक्टर का झुकना फिल्म के नसीब पर भारी पड़ता है तो कभी कभी एक्टर की मर्जी इतनी सही साबित होती है कि फिल्म इतिहास रच देती है. सिने इतिहास में ऐसी ही एक फिल्म दर्ज है जिसमें एक हीरोइन के नाम पर देव आनंद बुरी तरह डट गए. उनकी जिद थी कि फिल्म के लिए उनकी पसंद परफेक्ट है. डायरेक्टर को उनकी पसंद से एतराज था. इसके बावजूद उसे ही हीरोइन लिया गया और फिल्म ने कामयाबी का इतिहास रच दिया.
1965 में रिलीज हुई फिल्म
ये फिल्म थी गाइड जिसमें देव आनंद की हीरोइन थीं वहीदा रहमान. हालांकि फिल्म के डायरेक्टर और देव आनंद के भाई विजय आनंद, वहीदा रहमान के नाम पर तैयार नहीं थे. उनका मानना था कि वहीदा रहमान के लुक्स और लहजा दोनों ही रोजी के रोल के लिए फिट नहीं हैं. लेकिन देव आनंद ने उनकी एक ना सुनी. वो इसी जिद पर अड़े रहे कि गाइड में उनके अपोजिट यानी कि रोजी के किरदार में वहीदा रहमान ही होंगी. देव आनंद की जिद के आगे विजय आनंद ने घुटने टेक दिए. इसके बाद फिल्म ने जो इतिहास रचा वो सबके सामने है. ये फिल्म देव आनंद और वहीदा रहमान के करियर की बेस्ट फिल्मों में से एक फिल्म है.
देव की फेवरेट वहीदा
देव आनंद और वहीदा रहमान ने एक से बढ़ कर एक फिल्में दी हैं. ऐसी ही एक फिल्म थी सीआईडी. इस फिल्म के लिए भी देव आनंद डायरेक्टर राज खोसला के सामने अड़ गए थे कि उनके साथ हीरोइन वहीदा रहमान ही होंगी. वहीदा रहमान खुद एक इंटरव्यू में कह चुकी हैं कि देव आनंद ने उन्हें हमेशा सपोर्ट किया. वो हमेशा उनसे कहते थे कि उन्हें देव साहब नहीं बल्कि देव ही कहा करें.