हिंदी फिल्म इंडस्ट्री यानी बॉलीवुड इन दिनों एक अनिश्चित दौर से गुजर रही है. फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कोई भी करिश्मा करने में सफल नहीं रह पा रही हैं. 2025 के पांच महीने बीत चुके हैं लेकिन हिट के नाम पर बॉलीवुड के हाथ सिर्फ छावा और रेड 2 जैसी फिल्में ही लगी हैं. रेड 2 भी कोई ब्लॉकबस्टर कमाई नहीं कर सकी है. वहीं जहां सलमान खान जैसे सितारे बॉक्स ऑफिस पर संघर्ष कर रहे हैं तो वहीं प्रोडक्शन हाउस कोई रिस्क ना लेते हुए पुरानी ही फिल्म को रिलीज कर रहे हैं. लेकिन इस बीच देव डी फम एक्ट्रेस कल्कि केकलां ने बॉलीवुड में मंदी का ऐलान कर दिया है.
मंदी की शिकार हिंदी फिल्म इंडस्ट्री
reddit.com पर वायरल पॉडकास्ट के एक वीडियो में देव डी फेम एक्ट्रेस कल्कि केकलां ने कहा कि बॉलीवुड में कोई नहीं जानता कि दर्शकों को क्या चाहिए. बॉलीवुड में मंदी है; इसलिए वे सब कुछ फिर से रिलीज कर रहे हैं. कोई कंटेंट नहीं है. इसलिए, सब कुछ रुका हुआ है. उन्हें भी पता है लेकिन वे डरे हुए हैं. उन्हें नहीं पता कि क्या काम कर रहा है, क्या नहीं. इसलिए, सब कुछ रुका हुआ है, सब कुछ अटका हुआ है. बड़े निर्माता करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हैं, लेकिन उनकी फिल्मों को रिलीज के लिए मंच नहीं मिल रहा. वहीं, छोटे कलाकारों को दो-दो साल से काम नहीं मिला है. क्रिएटिव टीम इस अनिश्चितता के चलते लगातार बदली जा रही हैं. कई प्रोजेक्ट्स रुके हुए हैं, और इंडस्ट्री में एक ठहराव सा आ गया है.' कल्कि का मानना है कि बॉलीवुड को पहले इस संकट को स्वीकार करना होगा, तभी वह खुद को नया रूप दे पाएगा.
Kalki on Bollywood's current recession
byu/rumzaa inBollyBlindsNGossip
री-रिलीज के सहारे बॉलीवुड
अगर पिछले कुछ समय पर नजर दौड़ाएं तो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री समय पुरानी फिल्मों को फिर से रिलीज करने पर फोकस कर रही है. हाईवे, क्वीन, लुटेरा, नमस्ते लंदन और सनम तेरी कसम जैसी फिल्में सिनेमाघरों में दोबारा दिखाई गई है. इसके अलावा, राज कपूर और शाहरुख खान की क्लासिक फिल्मों को फिल्म फेस्टिवल्स के जरिए फिर से पेश किया जा रहा है. मल्टीप्लेक्स इस रणनीति के जरिए दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींचने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन इक्का-दुक्का फिल्मों को छोड़ दिया जाए तो कामयाबी फिर भी हाथ नहीं लग रही है.
दर्शकों के बदलते रुझानों को समझने में नाकाम बॉलीवुड
बॉलीवुड के सामने सबसे बड़ी चुनौती है दर्शकों की बदलती आदतें हैं. डिजिटल युग में शॉर्ट-फॉर्म कंटेंट जैसे रील्स और वेब सीरीज का बोलबाला है. लंबी फिल्में अब दर्शकों को बांधे रखने में मुश्किल महसूस कर रही हैं. ओटीटी प्लेटफॉर्म ने भी नई कहानियों को बढ़ावा दिया है, लेकिन वहां भी प्रतिस्पर्धा इतनी है कि हर फिल्म को जगह नहीं मिल पाती. बॉलीवुड को इस मंदी से उबरने के लिए नए प्रयोग करने होंगे. कहानी कहने के तरीके में बदलाव, नए तकनीकी माध्यमों का इस्तेमाल और दर्शकों की पसंद को समझना जरूरी है. साथ ही, छोटे बजट की फिल्मों को बढ़ावा देकर और नए कलाकारों को मौका देकर उद्योग में ताजगी लाई जा सकती है.