सूफी संगीत को नई पहचान दिलाने वाला बैंड: उसूल की अद्भुत यात्रा

हमारा बैंड दस सदस्यों का है. इसमें ढोलक, तबला, कीबोर्ड, गिटार जैसे वाद्ययंत्रों का उपयोग होता है. हम सूफी रॉक का एक अलग ही अंदाज पेश करते हैं.

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मोहित जोशी का इंटरव्यू
नई दिल्ली:

साक्षात्कारकर्ता: आनंद कश्यप
साक्षात्कारित: मोहित जोशी, लीड सिंगर, उसूल बैंड
तारीख: [27-11-2024]


सवाल: मोहित जी, क्या आप हमें अपने बैंड उसूल के बारे में बता सकते हैं? यह कैसे काम करता है?

मोहित जोशी: आनंद जी, असूल एक वेस्टर्न सूफी बैंड है. हम लोग उस्ताद नुसरत फतेह अली खान साहब और ताली खान साहब की कव्वालियों से प्रेरित हैं. उनकी कव्वालियों को एक नए टेस्ट और फ्लेवर के साथ प्रस्तुत करते हैं. हमारा बैंड दस सदस्यों का है. इसमें ढोलक, तबला, कीबोर्ड, गिटार जैसे वाद्ययंत्रों का उपयोग होता है. हम सूफी रॉक का एक अलग ही अंदाज पेश करते हैं.

सवाल: यह बहुत रोचक है. आपने अभी बताया कि आप जल्द ही परफॉर्म करने वाले हैं. इसके बारे में कुछ बताइए.

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मोहित जोशी: जी हां, 8 दिसंबर को हम देहरादून के राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम में 'दून म्यूजिक फेस्टिवल' में परफॉर्म करेंगे. इस शो के लिए हमने नई कव्वालियां और शायरियां तैयार की हैं, जिन्हें पब्लिक के सामने पेश करेंगे.

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सवाल: एक बड़े कॉन्सर्ट की तैयारी करते समय किन बातों का विशेष ध्यान रखते हैं?

मोहित जोशी: सर, हमारे शोज़ अक्सर बैक-टू-बैक होते हैं. हम अपने शेड्यूल को प्लान करते हैं और जब भी थोड़ा समय मिलता है, जैम (रिहर्सल) के लिए समय निकालते हैं. अगर फ्लाइट से आते हैं, तो सीधे अपने जैम पैड पहुंचते हैं और वहीं प्रैक्टिस करते हैं.
कई बार ऐसा होता है कि ऑडियंस को लगता है कि कलाकार सिर्फ 2 घंटे परफॉर्म करता है, लेकिन असल में उसकी पूरी ट्रैवलिंग, रिहर्सल और शो की तैयारियां बहुत लंबी होती हैं. इसे ध्यान में रखते हुए हम अपने रिहर्सल्स को प्लान करते हैं.

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सवाल: मोहित, बॉलीवुड को लेकर आपकी क्या योजनाएं हैं?

मोहित जोशी: सर, कई प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है. हाल ही में मैंने हिमाचल सरकार के लिए हिमाचल के 50 साल पूरे होने पर एक टाइटल सॉन्ग "ये मेरा हिमाचल है" गाया था. बॉलीवुड में भी हमारी कई मीटिंग्स हो चुकी हैं. आने वाले जनवरी और फरवरी में आप हमारे कुछ नए प्रोजेक्ट्स देखेंगे.

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सवाल: अभी तक आपने कितने परफॉर्मेंस किए हैं?

मोहित जोशी: जी, अब तक 500 से अधिक परफॉर्मेंस कर चुका हूं.

सवाल: क्या आपने भारत के बाहर भी परफॉर्म किया है?

मोहित जोशी: जी हां, हमने दुबई, थाईलैंड और बांग्लादेश में भी परफॉर्म किया है. खासकर बांग्लादेश में, जहां कव्वाली को काफी पसंद किया जाता है. वहां के लोगों ने हमें बहुत प्यार दिया.

सवाल: आप नुसरत फतेह अली खान साहब की कव्वालियां ही क्यों गाते हैं?

मोहित जोशी: सर, नुसरत साहब की कव्वालियों के बोल और उनकी वाइब सीधे ऊपरवाले से जुड़ने का अहसास कराती हैं. उनकी कव्वालियां इतनी इमोशनल होती हैं कि कभी-कभी स्टेज पर गाते हुए मेरी आंखें नम हो जाती हैं. उनकी कव्वालियां और संगीत आज भी अमर हैं. मैं बचपन से उन्हें सुनता आया हूं और उनकी कव्वालियों ने मुझे गहराई से प्रेरित किया है.

सवाल: संगीत के प्रति आपकी रुचि कब और कैसे जगी?

मोहित जोशी: बचपन से ही मैं नुसरत साहब को सुनता था. उनकी पहली कव्वाली "अंखियां उडीक दियां" सुनी थी, जिसने मुझे अंदर तक छू लिया. इसके बाद मैंने सूफी म्यूजिक में गहराई से रुचि ली. मेरे माता-पिता का इसमें बहुत बड़ा योगदान रहा. मैं एक मिडिल क्लास परिवार से हूं, जहां लोग नौकरी या इंजीनियरिंग को प्राथमिकता देते हैं. मैंने इंजीनियरिंग भी की, लेकिन संगीत के लिए मेरा जुनून अलग ही था.

सवाल: आपके माता-पिता ने आपका साथ कैसे दिया?

मोहित जोशी: मेरे माता-पिता ने मुझे हमेशा सपोर्ट किया. उन्होंने कहा कि जो तुम्हें सही लगे, वह करो. उनके इस समर्थन की वजह से मैं आज यहां हूं. मैंने ठान लिया था कि कुछ बड़ा करूंगा और सूफी म्यूजिक को वर्ल्डवाइड ले जाऊंगा.
 

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