ट्रेन में सफर के दौरान कई घटनाएं हो जाती हैं. आए दिन ऐसी वारदातें पढ़ने सुनने को मिलती हैं. ऐसी ही एक घटना घटती है कमांडो के साथ. कहानी एक फिल्म की है और चलती ट्रेन में कुछ घंटों की है. कुछ घंटों में ही इतनी मारकाट हो जाती है कि दिल दहल जाता है. कमांडो अमृत को पता चलता है कि रांची में रहने वाली उसकी प्रेमिका तूलिका की सगाई होने वाली है. सगाई के बाद तूलिका को दिल्ली जाना होता है. वह अमृत को दिल्ली बुलाती है, लेकिन तूलिका को भगाने के इरादे से अमृत रांची पहुंच जाता है. उसका साथ देने उसका दोस्त विरेश आता है, लेकिन तूलिका इनकार कर देती है. अगले दिन तूलिका अपने रसूखदार पिता बलदेव सिंह ठाकुर, बहन आहना और परिवार के बाकी सदस्यों के साथ दिल्ली के लिए ट्रेन से यात्रा पर निकलती है. इसी ट्रेन के दूसरे कोच में अमृत और उसका दोस्त भी है. अगले स्टेशन पर करीब चार दर्जन बदमाश ट्रेन में डकैती के इरादे से चढ़ जाते हैं. वे जैमर से मोबाइल नेटवर्क बंद कर देते हैं. देखते ही देखते ट्रेन में हर तरफ खून और मासूम लोगों की लाशें नजर आती हैं.
यह कहानी हैं फिल्म किल की. फिल्म का निर्देशन निखिल नागेश भट्ट ने किया है. तभी उनके नापाक इरादों में रोड़ा बनते हैं अमृत और वीरेश. वे डकैतों को मारते हैं, लेकिन जान से नहीं. फिर कुछ ऐसा होता है अमृत डकैतों को ऐसी मौत देते हैं कि देखने वाले की रूह कांप जाए. एक दृश्य में डकैतों के सरगना का बेटा फणी (राघव जुयाल) अमृत से कहता है कि ऐसे कोई मारता है क्या बे? तुम राक्षस हो, हमारे परिवार के चालीस लोगों को मार डाला. आखिर में अमृत का सपना भले ही पूरा नहीं होता, लेकिन तूलिका से किया वादा पूरा होता है.
फिल्म में कई दृश्य इतने वीभत्स हैं कि देखना मुश्किल है. इस फिल्म में लक्ष्य लालवानी लीड रोल मे हैं. लक्ष्य टीवी पर पोरस धारावाहिक में दिखे थे, इसके बाद उन्होंने सिनेमा का रुख किया. किल की कहानी निखिल ने आयशा सैयद के साथ मिलकर लिखी हैं.