फिल्म इंड्स्ट्री में एक मुकाम हासिल करना और अपनी जगह बनाना कोई पीस ऑफ केक नहीं है. संघर्षों से भरा लंबा रास्ता तय करना पड़ता है. तब जाकर ग्लैमर से भरी इस दुनिया की हकीकतें रास आती हैं और जगह बन पाती हैं. बॉलीवुड में ऐसे ही एक डायरेक्टर कम एक्टर हुए सतीश कौशिक, जिन्होंने पहले अपने घरेलू हालातों से संघर्ष कर बॉलीवुड में एंट्री ली. उसके बाद कामयाबी के लिए जीतोड़ मेहनत की. इस दरम्यान हालात कभी मुश्किल बन कर टूटे तो कभी आंसू बन कर छलके. लेकिन मजबूत इरादों वाले सतीश कौशिक ने कभी हार नहीं मानी. पर, उन्हें क्या मालूम होगा कि इरादे तो मजबूत थे लेकिन कमबख्त दिल ही कमजोर निकला.
ऐसे मिला काम
सतीश कौशिक को बचपन से ही फिल्मों का बहुत शौक था. खासतौर से महमूद उनके फेवरेट आर्टिस्ट थे जिनकी वो नकल भी किया करते थे. मिमिक्री का ये शौक पैशन में बदला और सतीश कौशिक सब कुछ छोड़ कर एनएसडी में आ गए. वहां एक्टिंग के और डायरेक्शन के गुर सीखे. शुरूआत में कैमरे के पीछे का काम मिला. सतीश कौशिक ने मिस्टर इंडिया फिल्म में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम किया. फिल्म जाने भी दो यारों जैसे आइकोनिक मूवी के डायलोग लिखे. लेकिन उनकी पहली डायरेक्टेड मूवी रूप की रानी चोरों का राजा बुरी तरह फ्लॉप रही. इसके बाद लंबा अरसा गुजरा सतीश कौशिक पहचान बनाने की कोशिश में लगे रहे. फिर तेरे नाम मूवी के डायरेक्शन ने उनकी पकड़ मजबूत की.
बार बार टूटा दिल
सतीश कौशिक ने करियर के लिए संघर्ष तो खूब किया. यहां भी कई बार फ्लॉप फिल्में दी तो काम बमुश्किल आगे बढ़ा. तेरे नाम से उन्होंने खुद को साबित किया. इसके अलावा फैमिली लाइफ में भी कुछ दुख साथ चलते रहे. उनकी शादी के बाद उन्हें बेटा हुआ जो दो साल में ही गुजर गया. इस हादसे के बाद सतीश कौशिक बुरी तरह टूट गए थे. इसके बाद अगली संतान के लिए उन्हें डेढ़ दशक से ज्यादा का इंतजार करना हुआ. तब उन्हें प्यारी सी बिटिया हुई. इसके बाद ग्यारह साल तक सब ठीक चलता रहा. जिंदगी का सितम देखिए कि जब सतीश कौशिक को हालात से नहीं हरा सकी तो उनकी दिल की धड़कने ही छीन लीं. जिसके बाद सतीश कौशिक अलविदा कह, हमेशा के लिए रुखस्त हो गए.
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