कभी खुशी कभी गम जिसने भी देखी है उसे शाहरुख खान औऱ ऋतिक रोशन की दादी तो याद ही होगी. अगर नहीं तो दिलवाले दुल्हनिया में काजोल की दादी का ख्याल कर लीजिए. लेकिन अगर आप अभी भी समझ नहीं पाए हैं कि हम किनकी बात कर रहे हैं तो यश चोपड़ा की टाइमलेस क्लासिक फिल्म वक्त को जरुर याद कर लीजिए, जिसमें एक खूबसूरत अदाकारा ने बलराज साहनी की वाइफ का किरदार निभाया था. वह एक्ट्रेस, जिन पर ऐ मेरी जोहरा जबीं गाना फिल्माया गया था. जी हां हम बात कर रहे हैं एक्ट्रेस अचला सचदेव की, जिनका करियर कई दशकों का रहा है और वह इंडस्ट्री की टॉप एक्ट्रेसेस में शुमार हैं.
20 की उम्र में निभाया मां का किरदार
20 साल की उम्र में उन्हें फिल्म फैशनेबल वाइफ में एक रोल ऑफर हुआ, जिसमें संयोग से उन्होंने एक मां की भूमिका निभाई. अपनी यंग होने के बावजूद, उन्होंने इस रोल के लिए हां कह दी और अपने करियर की शुरूआत की. अचला की पहली परफॉर्मेंस को अच्छा रिएक्शन मिला. लेकिन इसके बाद वह मां की भूमिकाओं में टाइपकास्ट हो गईं.इच्छा ना होते हुए भी उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो में अपनी नौकरी बनाए रखते हुए ऐसी भूमिकाएं करना जारी रखा. 1950 के दशक में उन्होंने मदर, राही, फुटपाथ, चांदनी चौक, नौकरी, आज़ाद, मिस मैरी और अदालत जैसी समीक्षकों द्वारा प्रशंसित फिल्मों में काम किया. लेकिन यह 1965 में यश चोपड़ा की वक़्त के साथ था, जब उनका करियर मोड़ पर पहुंचा.
इन सालों में अचला सचदेव ने दिग्गज फिल्म निर्माताओं और को स्टार्स के साथ काम किया, जिनमें संगम और मेरा नाम जोकर में राज कपूर, अंदाज़ और दाग में राजेश खन्ना, और बाद में श्रीदेवी के साथ चांदनी में वह नजर आईं. हालांकि उन्हें पेशेवर रूप से सफलता मिली, लेकिन अचला का निजी जीवन उतना अच्छा नहीं रहा. उन्होंने सहायक निर्देशक ज्ञान सचदेव से शादी की और उनका एक बेटा ज्योतिन हुआ. लेकिन यह शादी मुश्किलों भरी रही और अक्सर झगड़े होते रहे. आखिरकार, दोनों का तलाक हो गया और ज्योतिन विदेश चले गए, जिससे अचला को अकेलेपन का सामना करना पड़ा.
मीना कुमारी से दोस्ती में पड़ी दरार
लेकिन अचला को इंडस्ट्री में कल्पना कार्तिक, सुनील दत्त और राज कपूर जैसे दोस्त मिले. कहा जाता है कि मीना कुमारी के साथ भी उनका गहरा रिश्ता था. हालांकि, जब मीना कुमारी की दौलत में उनकी दिलचस्पी होने की अफवाहें उड़ीं, तो अचला ने उनसे दूरी बना ली. रिपोर्ट्स का कहना है कि मीना कुमारी के पर्सनल लाइफ की कुछ बातें उन्हें असहज करने लगे, जो गॉसिप बन गई और उन्होंने दोस्ती खत्म कर दी.इसके कुछ साल बाद यश चोपड़ा की एक फिल्म की शूटिंग के दौरान अचला की मुलाकात क्लिफोर्ड डगलस पीटर्स से हुई, जो एक विदेशी थे और अपनी पत्नी को खो चुके थे. अकेलेपन के कारण दोनों के बीच गहरी दोस्ती हुई और आखिरकार दोनों ने शादी कर ली. अचला पुणे चली गईं, जहां क्लिफोर्ड एक फैक्ट्री चलाते थे. बाद में, वे हडपसर में बस गए.दुर्भाग्य से, शादी के कुछ साल बाद ही क्लिफोर्ड का निधन हो गया और अचला फिर अकेली रह गईं. वह दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में आखिरी बार नजर आई थीं. लेकिन पर्दे के पीछे, अचला को फिल्म इंडस्ट्री से लगातार निराशा हाथ लगी. खुद समय पर आने के बावजूद उन्हें अन्य कलाकारों का घंटों इंतज़ार करना पड़ता था. पेशेवर व्यवहार और सम्मान की कमी से तंग आकर, उन्होंने अभिनय छोड़ने का फैसला कर लिया.
अंतिम संस्कार में नहीं पहुंचा कोई फिल्मी सितारा
हेल्थ बिगड़ने के चलते अचला ने अपने भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक आखिरी कदम उठाया और उन्होंने अपना फ्लैट जनसेवा फाउंडेशन को दान कर दिया, इस शर्त पर कि वे उनकी आखिरी सांस तक उनकी देखभाल करेंगे. 2011 में, वह अपनी रसोई में गिर गईं, जिससे उनका पैर फ्रैक्चर हो गया और सिर में चोट लग गई. सीटी स्कैन में उनके मस्तिष्क में कई रक्त के थक्के पाए गए. वह लकवाग्रस्त और अंधी हो गईं. 30 अप्रैल, 2012 को, अपने 92वें जन्मदिन से कुछ दिन पहले, अचला सचदेव का निधन हो गया. फिल्म इंडस्ट्री में उनके योगदान के बावजूद एक भी हस्ती उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुई. केवल उनके बेटे ही उन्हें अंतिम विदाई देने अमेरिका से आए, उनके साथ कुछ रिश्तेदारों और दोस्तों समेत लगभग 40 लोग थे. अमिताभ बच्चन और एकता कपूर ने उन्हें सार्वजनिक रूप से श्रद्धांजलि दी, लेकिन इसके अलावा कोई बी उनके अंतिम दर्शन के लिए नही पहुंचा.