मुंबई आने के लिए बेच दी कॉलेज की किताबें, बड़े शहर में कभी गटर में रातें बिताता था बॉलीवुड का ये मशहूर विलेन

अजीत के बेटे शहजाद खान ने मुंबई में एक न्यू कमर के तौर पर अपने पिता के संघर्ष के दिनों का एक और किस्सा याद किया और बताया कि अजीत को कई दिनों तक गटर में सोना पड़ा था.

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अजीत के बेटे शहजाद ने याद किया पिता का संघर्ष
नई दिल्ली:

लीजेंड्री एक्टर अजीत के बेटे शहजाद खान ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने दिल की बातें कहीं और बताया कि उनके पिता को अपने करियर के दौरान कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. वही अजीत जो 1960 और 1970 के दशक के सबसे मशहूर विलेन में से एक के तौर पर याद किए जाते हैं लेकिन जब उन्होंने अपना करियर शुरू किया तो वह कई सपोर्टिंग रोल में दिखाई दिए. उनकी सबसे यादगार परफॉर्मेंसेज में से एक दिलीप कुमार और वैजयंतीमाला की फिल्म नया दौर में थी. इस फिल्म में वो सपोर्टिंग रोल में थे. इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर पुरस्कार जीता.

अवॉर्ड के बाद भी नहीं मिला काम

शहजाद ने कहा कि इस फिल्म के बाद उनके पिता ने अपने करियर में गिरावट देखी क्योंकि उन्हें 4-5 साल तक कोई काम नहीं मिला. "नया दौर के बाद उनका बुरा समय शुरू हुआ. उनके पास 4-5 साल तक कोई काम नहीं था." उन्होंने सिद्धार्थ कन्नन के साथ बातचीत में ये बातें बताईं. जब पूछा गया कि ऐसा क्यों है तो शहजाद ने कहा कि लीड हीरो "इन्सिक्योर" थे और उन्हें लगा कि अजीत उनकी लाइमलाइट चुरा लेंगे. उन्होंने कहा, "हीरोज को यह डर नहीं था कि अगर हम उनके साथ काम करेंगे तो वह अवॉर्ड ले लेंगे और हमें पहचान नहीं मिलेगी."

गटर में सोकर गुजारी रातें

उन्होंने मुंबई में एक न्यू कमर के तौर पर अपने पिता के संघर्ष के दिनों का एक और किस्सा याद किया और बताया कि अजीत को कई दिनों तक गटर में सोना पड़ा था. उन्होंने बताया, "उन्होंने मुझे मोहम्मद अली रोड के पास एक गटर दिखाया और कहा कि जब वह हैदराबाद से मुंबई आए थे तो उन गटरों में सोया करते थे." शहजाद ने कहा कि उनके पिता ने अपनी कॉलेज की किताबें बेच दीं ताकि वह मुंबई आने के लिए पैसा इकट्ठा कर सकें."

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अजीत की पत्नी का कैंसर से हुआ निधन 

साल 1998 में अजीत का निधन हो गया. उसके कुछ साल बाद शहजाद की मां सारा को कैंसर हो गया. शहजाद ने कहा कि उनके भाइयों ने खर्च शेयर करने से मना कर दिया जबकि वे फाइनैंशियली अच्छा कर रहे थे. उन्होंने बताया कि उनके पिता के छोड़े गए पैसे उनके रिश्तेदारों और उनके भाई ने ले लिए थे जिस वजह से उनके लिए अपनी मां का इलाज कराना मुश्किल हो गया था. “जब मेरी मां की मृत्यु हुई तो मेरे भाई ने 5000 रुपये के अस्पताल के बिल का भुगतान करने से इनकार कर दिया. उसके पास पैसे थे और उसने उसका कुछ कीमती सामान भी ले लिए लेकिन अस्पताल में पैसे चुकाने से मना कर दिया." 

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