गैंगस्टर के निशाने पर था बॉलीवुड डायरेक्टर, CID से मिली ट्रेनिंग, फिल्में छोड़ीं, खुद को बचाने के लिए...

डायरेक्टर राजीव राय, जिन्होंने गुप्त और मोहरा जैसी फिल्में बनाईं. उन्होंने बताया कि उन्हें मिलने वाली धमकियों के कारण उन्होंने देश छोड़ने और यूके में बसने का फैसला किया.

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Bollywood director was on target of gangster : इस डायरेक्टर को मिली थी धमकी
नई दिल्ली:

काजोल और बॉबी देओल की 1997 में रिलीज हुई फिल्म गुप्त के डायरेक्टर राजीव राय ने मोहरा फिल्म को भी डायरेक्ट किया था, जिसमें अक्षय कुमार और रवीना टंडन लीड रोल में नजर आए थे. हालांकि उनका करियर इतना लंबा नहीं चला, जिसकी वजह का खुलासा उन्होंने हाल ही में सिद्धार्थ कनन को दिए इंटरव्यू में किया. डायरेक्ट ने बताया कि उन्हें गैंगस्टर्स द्वारा जान से मारने मिली थी. इतना ही नही जब बॉलीवुड को अंडरवल्ड से धमकियां मिल रही थीं तब उनके ऑफिस पर भी हमला हुआ था, जिसके बाद वह यूके शिफ्ट हो गए. लेकिन वह अब भारत लौट आए हैं.

इंटरव्यू में 90 के दशक में अपने डरावने समय के बारे में बात करते हुए डायरेक्टर ने खुलासा किया कि पुलिस ने उन्हें अंडरवर्ल्ड की कॉल्स लेने से मना किया था. वहीं उन्हें सुरक्षा के लिए सीआईडी से ट्रेनिंग लेने के लिए कहा था. डायरेक्टर ने कहा, "गुप्त के बाद प्रॉब्लम शुरू हुई उसके बाद, मैंने दो फिल्में की, जो उम्मीद के मुताबिक नहीं थीं तो, यह भी मेरे लिए बहुत परेशान करने वाला था. अगले दिन मेरे लैंडलाइन पर फोन आया. किसी ने पैसे नहीं मांगे. मैंने कुछ नहीं कहा, मैं कभी फोन पर नहीं आया, हमने कभी बात नहीं की. मैंने तुरंत पुलिस को फ़ोन किया और उन्होंने मुझे बात न करने को कहा."

आगे उन्होंने कहा, "हमारे ऑफिस में रिकॉर्डर थे, सब कुछ रिकॉर्ड करके पुलिस को भेज दिया गया. मैंने पहली कॉल पर ही हैलो कहा होगा, मैं समझ गया कुछ गलत है. मैंने चार सेकंड तक बात की, फिर मैंने ऐसा दिखावा किया जैसे मैं कोई और हूं. मुझे लगता है कि उस समय मुझे जितनी कॉल आती थीं, मकसद तो पैसा ही होगा."

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1997 में ऑफिस पर हुए हमले को याद करते हुए डायरेक्टर ने कहा, मेरे ऊपर अटैक हुआ, मैंने काम छोड़ा था. मेरे ऑफिस में यह सब हुआ था. मैं इस बारे में ज्यादा बात करना नहीं चाहता. वह बंदूक और गोलियों के साथ आए. अगर मेरे आगे आते (बॉडीगार्ड) तो मैं अभी होती ही नहीं. मैं अंदर था. लेकिन मेरे बॉडीगार्ड्स वहीं थे. वो भागे तो डर गए. वह अजीब था. चार नीचे, चार ऊपर, इन का मिशन कन्फ्यूजन में ही खराब हो जाता. 90 प्रतिशत समय पुलिस मुझे कहती कि उन्होंने वे पेशेवर रूप से असफल होते हैं.

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धमकियों के कारण देश छोड़ने पर राजीव राय ने कहा, प्रेशर के कारण मैं गया था. मेरे पिता की तबीयत ठीक नही थी. मुझे उनका ख्याल रखना था. मैं उनकी मौत बर्दाशत नहीं कर सकता था. मैंने सोचा अगर मुझे गोली लग गई तो कौन ध्यान रखेगा. मेरे बेटे की भी तबीयत ठीक नहीं थी. वह ऑटिस्टिक है और मुझे उसे पढ़ाना था. बहुत सारी धमकियां थीं. तो मेरे पास बहुत सारे कारण थे. मैंने सोचा मुझे फैसला कर लेना चाहिए. भगवान ने मुझे थोड़ा बहुत पैसा दिया है. और जब 20 साल तक जब मैंने काम नहीं किया. तो मैंने अपनी पुरानी फिल्मों से पैसा कमाया. मुझे और पैसा चाहिए था. जितना मैंने उन दिनों में नही बनाया जब मैं काम कर रहा था.

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धमकी भरे कॉल आने के बाद, पुलिस ने राजीव राय को क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट से ट्रेनिंग लेने की सलाह दी. उन्होंने कहा, "मैं हर तीन महीने में अपने पिता का हालचाल जानने के लिए उनके पास जाता रहता था. मैं कई देशों में गया, मुझे पुलिस ने बोला था कभी बोलना नहीं. जब यह हमला हुआ, तो मुझे ट्रेनिंग लेनी पड़ी. तो, मैं ट्रेनिंग के लिए सीआईडी में जाता था. जब फोन आया तो मुझे बोल गया की ट्रेनिंग लो. वे सिखाते थे कि गाड़ी कैसे बदलनी है, हमेशा कंधे पर नजर रखना... बहुत कुछ. मेरे पास लाल बत्ती पार करने की पुलिस की अनुमति थी, क्योंकि उस समय, जब आपकी गाड़ी रुकती है, तो वे आपको गोली मार सकते हैं."

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