बॉलीवुड के भगवान जीते थे लग्जरी लाइफ, कभी 25 कमरों वाले बंगले में था आशियाना, लेकिन चॉल में ली आखिरी सांस

बॉलीवुड के शुरुआती दिनों में इसे खड़ा करने में कई लोगों ने योगदान दिया, जिन्हें बाद के एक्टर्स ने भी फॉलो किया. ऐसा ही एक नाम है भगवान दादा. फिल्म इंडस्ट्री के पहले डांसिंग और एक्शन स्टार भगवान दादा को फिल्म इंडस्ट्री का भगवान कहा गया.

विज्ञापन
Read Time: 20 mins
बॉलीवुड के भगवान ने आखिरी समय चॉल में गुजारी
नई दिल्ली:

बॉलीवुड के शुरुआती दिनों में इसे खड़ा करने में कई लोगों ने योगदान दिया, जिन्हें बाद के एक्टर्स ने भी फॉलो किया. ऐसा ही एक नाम है भगवान दादा. फिल्म इंडस्ट्री के पहले डांसिंग और एक्शन स्टार भगवान दादा को फिल्म इंडस्ट्री का भगवान कहा गया. एक अगस्त 1913 को जन्मे भगवान दादा का पूरा नाम भगवान आभाजी पालव था. भगवान दादा ने शुरुआती दिनों में मजदूरी कर के गुजारा किया. बाद में फिल्मों के शौक  के कारण वह एक्टर बने. उनके डांस के स्टाइल को आज तक कॉपी किया जाता है. 

भगवान दादा ने मूक सिनेमा के दौर में फिल्म क्रिमिनल से डेब्यू किया. उनकी पहली बोलती फिल्म थी साल 1934 में आई हिम्मत-ए-मर्दा. इस फिल्म उनके साथ ललिता पवार नजर आई थीं. भगवान दादा ने एक के बाद एक कई हिट फिल्में की. कहा जाता है कि उन्हें शेवरले कारों का शौक था और उनके पास लेटेस्ट डिजाइन की 7 कारें थीं. वह हर रोज सेट पर नई कार से जाते थे. वह हॉलीवुड एक्टर डगलस फेयरबैंक्स के फैन थे. वह बिना किसी बॉडी डबल के अपने स्टंट खुद किया करते थे, जिसकी वजह से उनके स्टंट काफी असली लगते थे. राज कपूर उन्हें इंडियन डगलस कहते थे.  

Advertisement

भगवान दादा लाजवाब डांसर भी थे. उनके डांस स्टेप्स को अमिताभ बच्चन, गोविंदा और मिथुन भी फॉलो करते थे. फिल्मों में काम करते करते उन्होंने मेकिंग भी सीखी. 1931 से लेकर 1996 तक यानी करीब 65 साल तक उन्होंने एक्टर, डायरेक्टर और कॉमेडियन के रोल में काम किया.  

Advertisement

भगवान दादा की पहली निर्देशित फिल्म ‘बहादुर किसान' थी. वहीं उन्होंने हाॅलीवुड फिल्म ‘डोरोथी लैमौर' की रीमेक तमिल फिल्म ‘वाना मोहिनी' का निर्देशन किया जो भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण फिल्म है.राज कपूर के सलाह पर भगवान दादा ने अलबेला बनाई, फिल्म हिट रही. लेकिन एक फिल्म अर्श से उन्हें फर्श पर ला  दिया. वह फिल्म थी हंसते रहना. इस फिल्म के लिए उन्होंने अपना सबकुछ दाव पर लगा दिया था. फिल्म के हीरो थे एक्टर किशोर कुमार. लेकिन कहा जाता है कि किशोर कुमार ने इतने नखरे दिखाए कि फिल्म को बंद करनी पड़ी और दादा का बंगला और कारें बिक गई. आर्थिक तंगी के कारण दादा को मुंबई की चॉल में रहना पड़ा. उन्होंने छोटे रोल्स फिल्मों में किए. और 4 फरवरी 2002 को हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया.  
 

Advertisement

VIDEO: अभिनेत्री उर्वशी रौतेला ब्लैक आउटफिट में हुई स्पॉट

Featured Video Of The Day
Maharashtra Politics: मिट गई उद्धव और राज ठाकरे के बीच की दूरियां?