18 साल की उम्र में छूटा मां-बाप का साथ, छिन गया बड़ा घर, कभी इस हीरो ने बसों में सामान बेचकर किया है गुजारा

ये एक्टर आज एक बड़ा स्टार बन चुका है लेकिन फिल्मों में आने का इसका सफर बहुत ही मुश्किलों भरा रहा है.

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इन्हें पहचाना आपने ?
नई दिल्ली:

फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने चेहरों में से एक अरशद वारसी को आज किसी इंट्रोडक्शन की जरूरत नहीं है उन्होंने अपनी एक्टिंग से लाखों दिल जीते. लेकिन क्या आप जानते हैं उनका एक्टर बनने का सफर आसान नहीं था. ग्रांट रोड पर एक आलीशान बंगले और दो इमारतों के मालिक होने के बाद कैसे वह एक कमरे किचन के छोटे से घर में रहने लगे. अरशद वारसी ने उतार-चढ़ाव दोनों देखे फिर भी उन्होंने काम करने की लगन को कभी नहीं छोड़ा. आज हम सर्किट, मानव और आदि जैसे यादगार किरदारों के पीछे छिपे मल्टी टैलेंटेड एक्टर के बारे में आपको बताने जा रहे हैं.

18 साल की उम्र में छूट गया माता-पिता का साथ

अरशद वारसी के पिता अहमद अली खान ना केवल एक कवि थे बल्कि एक गायक भी थे. सूफी संत वारिस पाक के प्रति अपनी निष्ठा के सम्मान में उन्होंने नाम में वारसी जोड़ा. दुर्भाग्य से जब अरशद सिर्फ 18 साल के थे तब उनके पिता की हड्डी के कैंसर से मृत्यु हो गई. दो साल बाद अरशद की मां का निधन हो गया. वो किडनी फेल होने के चलते इस दुनिया से चली गईं.

छोड़ना पड़ा बड़ा घर

अपने माता-पिता को खोने के बाद अरशद वारसी को खुद की देखभाल करने की हार्ड रियलिटी का सामना करना पड़ा. दुर्भाग्य से उन्हें और मुश्किलें देखनी पड़ीं. क्योंकि कानूनी पेचीदगियों के कारण उन्हें ग्रांट रोड पर अपना बड़ा घर छोड़ना पड़ा. किरायेदार अपने कब्जे वाले फ्लैटों के मालिक बन गए. चुनौतियां जारी रहीं क्योंकि अरशद को अपने जुहू बंगले को अलविदा कहना पड़ा. विपरीत हालातों का सामना करते हुए वह और उनका भाई एक मामूली 1आरके घर में रहने लगे.

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नेल पॉलिश बेचकर काटे दिन

10वीं के बाद अरशद ने स्कूल छोड़ दिया और सेल्समैन की नौकरी करने लगे. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक अरशद बोरीवली और बांद्रा के बीच बसों में लिपस्टिक और नेल पॉलिश बेचते थे. उन्होंने एक फोटो लैब में काम किया है और यहां तक ​​कि काश और ठिकाना  में महेश भट्ट को असिस्ट भी किया.

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करियर: जब जया बच्चन ने की उनकी मदद

एंटरटेनमेंट की दुनिया में अरशद वारसी का सफर तब शुरू हुआ जब वह अकबर सामी के डांस ग्रुप में शामिल हो गए. डांस के प्रति उनके जुनून ने उन्हें कोरियोग्राफर बना दिया. उन्होंने एलीक पदमसी और भरत दाभोलकरी की गाइडेंस में कोरियोग्राफी शुरू की. जॉय ऑगस्टीन से एक फिल्म ऑफर मिलने के बावजूद एक कोरियोग्राफर के रूप में परफेक्ट अरशद ने एक्टिंग में उतरने से झिझक महसूस की. हालांकि एक अहम मोड़ तब आया जब जया बच्चन ने ऑफर दिया. इसके चलते अरशद को अपनी पहली फिल्म "तेरे मेरे सपने" मिली और उनके फिल्मी करियर की शुरुआत हुई.
 

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