एआर रहमान गंगा घाटों पर रचेंगे संगीत का जादू, बोले- 'वाराणसी की ऊर्जा और कहानियां ही सबसे बड़ा तोहफा हैं'

संगीत के जादूगर ए.आर. रहमान अब अपनी सुरों की महक से वाराणसी के पवित्र घाटों को रोशन करने जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश के इस ऐतिहासिक शहर में रहमान पहली बार प्रस्तुति देंगे, जो एनडीटीवी गुड टाइम्स के नए प्लेटफॉर्म के तहत आयोजित होगी.

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वाराणसी में परफॉर्म करेंगे एआर रहमान
नई दिल्ली:

संगीत के जादूगर ए.आर. रहमान अब अपनी सुरों की महक से वाराणसी के पवित्र घाटों को रोशन करने जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश के इस ऐतिहासिक शहर में रहमान पहली बार प्रस्तुति देंगे, जो एनडीटीवी गुड टाइम्स के नए प्लेटफॉर्म के तहत आयोजित होगी. यह प्लेटफॉर्म लाइव कॉन्सर्ट्स और सांस्कृतिक अनुभवों का नया अध्याय है. एक खास बातचीत में अभिनेत्री और सिंगर श्रुति हासन से रहमान ने अपने इस परफॉर्मेंस, वाराणसी से जुड़ी यादों और वहां की आध्यात्मिक ऊर्जा के बारे में खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि गंगा किनारे पर गाना उनके लिए एक भावनात्मक और आध्यात्मिक अनुभव होगा.

रहमान ने बातचीत में बताया कि उन्हें कई बार वाराणसी जाने का मौका मिला, लेकिन किसी न किसी कारण से वह जा नहीं पाए. उन्होंने कहा, "मैं 1997 में वहां जाने वाला था, पर नहीं जा सका. फिर आनंद एल. राय ने ‘रांझणा' के लिए बुलाया, लेकिन उस वक्त भी बात नहीं बनी. लगता है अब वक्त आ गया है. मैं हमेशा उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के परिवार से मिलना चाहता था, पर अब जाकर वह मौका मिला है".

गंगा तट पर सुरों का संगम

रहमान ने बताया कि वह अपने राग आधारित बैंड ‘झाला' (Jhaala) के साथ परफॉर्म करेंगे, जिसे उन्होंने WAVES Summit 2025 के लिए तैयार किया है. यह समूह 500 प्रविष्टियों में से चुने गए 12 कलाकारों का है. रहमान के अनुसार, इसका उद्देश्य भारतीय शास्त्रीय संगीत को एक नए वैश्विक रूप में प्रस्तुत करना है. उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि लोग भारतीय संगीत को सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि एक आधुनिक अनुभव के रूप में महसूस करें".

शांति और आध्यात्मिकता का संदेश

उस्ताद बिस्मिल्लाह खान को याद करते हुए रहमान ने कहा कि उनका योगदान सीमाओं से परे है. रहमान ने बताया, "वाराणसी में झाला के बाद हम सूफी गीत पेश करेंगे, जो किसी एक धर्म तक सीमित नहीं हैं. यह संगीत प्रेम और दोस्ती का संदेश देगा. उम्मीद है कि यह वही 'पीस कॉन्सर्ट' होगा जिसकी लोगों को जरूरत है". रहमान का यह प्रदर्शन सिर्फ एक संगीत कार्यक्रम नहीं, बल्कि संस्कृति, शांति और आध्यात्मिकता का संगम बनने जा रहा है. गंगा की लहरों के बीच जब रहमान के सुर गूंजेंगे, तो वाराणसी एक बार फिर 'संगीत की आत्मा' से भर उठेगा.
 

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