'मोगैंबो खुश हुआ...', '..जा सिमरन जी ले अपनी जिंदगी...' ये ऐसे फिल्मी डायलॉग हैं जो आज भी दोहराए जाते हैं. ऐसे अभिनेता बिरले ही हुए हैं जिनके मुंह से निकले हुए डायलॉग उनके निधन के बरसों बाद भी लोगों की जुबान पर रहते हैं. अमरीश पुरी ऐसे ही कलाकार थे. आज भले ही वो हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी दमदार आवाज़, बेहतरीन एक्टिंग आज भी फैंस के दिलों में ज़िंदा है. अपने 30 साल के करियर में अमरीश पुरी ने करीब 450 से ज्यादा फिल्मों में काम किया, जिनमें से कुछ किरदार दर्शकों के दिलों में इस तरह बसे हैं की शायद ही कभी उनकी यादों से मिट सकेंगे. आज हम नज़र डालेंगे अमरीश पुरी के कुछ ऐसे ही किरदारों पर जो उनके दमदार परफॉरमेंस के चलते अमर हो गए.
मोगैम्बो (मिस्टर इंडिया)
'मोगैम्बो खुश हुआ' फिल्म मिस्टर इंडिया का ये डायलॉग आज भी लोगों की जुबां पर है.फ़िल्म के इस डायलॉग को सुनते ही सिनेमाहॉल में सन्नाटा छा जाता था. 1987 में रिलीज हुई फ़िल्म 'मिस्टर इंडिया' में अमरीश पुरी की एक्टिंग से लेकर, उनके ड्रेसिंग सेंस और हेयरस्टाइल सब बहुत पसंद किया गया. अमरीश पुरी का मोगैम्बो का किरदार बॉलीवुड के आइकॉनिक कैरेक्टर्स में से एक बन गया.
भैरवनाथ (नगीना)
1986 में आई फिल्म 'नगीना' में भैरवनाथ का रोल तो आपको याद ही होगा. अमरीश पुरी का तांत्रिक बाबा भैरवनाथ का किरदार फिल्म की जान थी. इस फ़िल्म में अमरीश पुरी के जबरदस्त गेटअप और शानदार एक्टिंग को लोगों ने खूब सराहा.
वकील इंद्रजीत चड्ढा (दामिनी)
फ़िल्म दामिनी में सनी देओल के "ढाई किलो का हाथ... " वाले डायलॉग ने खूब तारीफ बटोरी थी, लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि इस फिल्म में सनी के कैरेक्टर और डायलॉग्स को उभारने में फिल्म के विलन वकील चड्ढा की बड़ी भूमिका थी. अमरीश पुरी ने ये किरदार इस शिद्दत से निभाया था कि दर्शक वकील चड्ढा से नफरत करते हैं और नायक सनी जब वकील चड्ढा की क्लास लेते हैं तो सनी का किरदार और डायलॉग्स दर्शकों को खूब पसंद आते हैं.
बलदेव सिंह (दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे)
'जा सिमरन जा जी ले अपनी ज़िंदगी', ये डायलॉग आज तक लोगों की जुबां पर है. एक सख्त मगर बेहद प्यार करने वाले पिता की भूमिका में अमरीश पुरी जबरदस्त थे. इस फिल्म से पहले और बाद में भी अमरीश पुरी ने कई फिल्मों के सख्त पिता की भूमिका बेहद प्रभावी ढंग से निभाई थी.
मुख्यमंत्री बलराज चौहान (नायक)
इस फिल्म में अनिल कपूर एक दिन के मुख्यमंत्री बनाए गए थे. फिल्म में विलेन बलराज चौहान के अदायगी की खूब सराहना की गई. एक भ्रष्ट राजनेता के किरदार में अमरीश खूब फबे थे.
शम्भूनाथ (घातक)
इस फ़िल्म में अमरीश पुरी के अभिनय ने लोगों पर जादू कर दिया था.बेबस बाप के रूप में कात्या के सामने गिड़गिड़ाना अमरीश पुरी की अदाकारी का सबसे यादगार पल है. इस फ़िल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था.
अशरफ अली (गदर)
2001 में रिलीज हुई फ़िल्म गदर एक प्रेम कथा में भी अमरीश पुरी ने अशरफ अली की दमदार भूमिका निभाई थी. सनी देओल के साथ उनकी डायलॉग डिलीवरी को लोगों ने खूब सराहा था. सनी देओल और अमरीश पुरी के बीच नायक-खलनायक की केमेस्ट्री इस फिल्म में भी जबरदस्त रही.
चुनिया मामा (सौदागर)
सौदागर फिल्म के 'चुनिया मामा' को अपनी चालाकी और अजब-गजब गेटअप के लिए पहचाना जाता है. इस फिल्म में दिलीप कुमार, राजकुमार, अनुपम खेर जैसे दिग्गजों की मौजूदगी में अमरीश पुरी ने अपनी अलग ही छाप छोड़ी थी.
कॉन्सटेबल साठे (गर्दिश)
इस फिल्म में उनका किरदार था कॉन्सटेबल साठे का. एक पुलिस कॉन्सटेबल जो अपने बेटे को पुलिस अधिकारी बनाने का सपना देखता है. पिता और पुत्र के गहरे प्रेम और टकराव दोनों ही भावनाओं का अनूठा मिश्रण अमरीश पुरी के इस किरदार में देखा जा सकता था. जैकी श्राफ के साथ उनकी पिता-पुत्र की केमेस्ट्री भी दर्शकों को खूब पसंद आई.
जेलर (सजा ए कालापानी)
जिसने भी ये फिल्म देखी है वह अंडमान जेल के उस अत्याचारी जेलर के किरदार को कभी नहीं मिल सकता. जुल्म की हदें पार करने वाले खूंखार जेलर का ये रोल अमरीश पुरी ने कुछ इस तरह निभाया था कि दर्शकों की रूह कांप जाए.
अमरीश पुरी द्वारा निभाई गई सभी कालजयी भूमिकाओं की जिक्र करना यहां मुमकिन नहीं है. तमस, गांधी, अर्ध सत्य जैसी फिल्मों में छोटी किंतु सशक्त भूमिकाएं हो या फिर कोयला, करण-अर्जुन, आज का अर्जुन, राम-लखन का अत्याचारी विलन हो, अमरीश पुरी ने सभी तरह की भूमिकाओं के साथ इंसाफ किया है. सिनेमा जगत और दर्शकों को उनकी कमी हमेशा महसूस होती रहेगी.