गांव के एक शख्स ने खोला इस एक्टर की किस्मत का ताला, आज भी बच्चे-बच्चे की जुबां पर हैं इनके मशहूर डायलॉग, पहचाना क्या?

बॉलीवुड में जब भी किसी खूंखार विलेन का जिक्र होता है तो जेहन में इस एक्टर का नाम जरूर आता है, जिसने अपने अनोखे अंदाज से बड़े पर्दे पर ऐसी इमेज क्रिएट की कि आज भी 50-50 कोस दूर जब इनका नाम लिया जाता है, तो बच्चा-बच्चा डर से कांप जाता है. पहचाना क्या?

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इस फोटो में नजर आ रहा शख्स था बॉलीवुड का खूंखार विलेन
नई दिल्ली:

बॉलीवुड में जब भी किसी खूंखार विलेन का जिक्र होता है तो जेहन में इस एक्टर का नाम जरूर आता है, जिसने अपने अनोखे अंदाज से बड़े पर्दे पर ऐसी इमेज क्रिएट की कि आज भी 50-50 कोस दूर जब इनका नाम लिया जाता है, तो बच्चा-बच्चा डर से कांप जाता है. अगर इस हिंट के बाद भी आप इस एक्टर को पहचान नहीं पाए हैं, तो इस तस्वीर को जरा गौर से देखिए और बताइये लेडीज लुक में नजर आ रहे इस एक्टर का नाम.  इस ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर को जरा गौर से देखें, इसमें फीमेल कैरेक्टर मैं नजर आ रहे हैं इस एक्टर को पहचान पाए क्या आप? अगर नहीं तो आपको बता दें कि माथे पर बिंदिया, अनारकली सूट और बेगम टोपी पहले नजर आ रही ये मोहतरमा कोई एक्ट्रेस नहीं बल्कि अपने जमाने का खूंखार विलेन है जिसके नाम से ही बच्चा-बच्चा कांपता है. अगर नहीं पहचान पाए तो हम आपको बता दें कि यह कोई और नहीं बल्कि फिल्म शोले के गब्बर (Gabbar of Sholay) यानी कि अमजद खान (Amjad Khan) है, जो इस तस्वीर में बहुत ही अलग अंदाज़ में नजर आ रहे हैं और एक फिल्म में महिला का किरदार उन्होंने निभाया था.

गांव के एक शख्स ने यूं बना डाला एक्टर 
शोले फिल्म के गब्बर अपने डायलॉग के लिए आज भी मशहूर है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अमजद खान को इस तरह से एक्टिंग करना किसी डायरेक्टर या स्क्रिप्ट राइटर ने नहीं बताया, बल्कि अमजद खान के गांव का एक शख्स रोज सुबह इसी अंदाज में कपड़े मांगा करता था. अमजद खान उनके स्टाइल से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने शोले में गब्बर का रोल करने के लिए उसी के हाव-भाव को कॉपी किया.

बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट की करियर की शुरुआत 
12 नवंबर 1940 को पेशावर (अब पाकिस्तान) में जन्मे अमजद खान ने 1951 में आई फिल्म नाजनीन से बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट अपने करियर की शुरुआत की थी, इसके बाद 1973 में वो फिल्म हिंदुस्तान की कसम में नजर आए, हालांकि शोले में उनका गब्बर किरदार आज भी याद किया जाता है. 27 जुलाई 1992 को अमजद खान का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया, लेकिन आज भी उनकी फिल्में और उनके डायलॉग 'कितने आदमी थे' लोगों के जहन में बसा हुआ है.

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