भारतीय विज्ञापन जगत के सबसे रचनात्मक और प्रेरणादायक चेहरों में से एक, पीयूष पांडे का आज सुबह निधन हो गया. वे पिछले कुछ समय से संक्रमण से जूझ रहे थे और इसी बीमारी के कारण उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन की खबर से पूरे मीडिया, विज्ञापन और कॉर्पोरेट जगत में शोक की लहर है. उनका अंतिम संस्कार शिवाजी पार्क में किया जाएगा. जो लोग नहीं जानते पियूष पांडे ने भारतीय विज्ञापन को एक नई दृष्टि दी. ऐसी दृष्टि जिसमें भावनाएं, सादगी और भारतीयता की झलक थी. ओगिल्वी इंडिया से लंबे समय तक जुड़े रहे पीयूष ने ऐसे अनेक विज्ञापन बनाए जो न सिर्फ लोकप्रिय हुए बल्कि समाज को गहराई से छू गए. ‘हर घर कुछ कहता है', ‘फेवीकॉल – जोड़े रहने की ताकत', ‘कैडबरी डेयरी मिल्क – कुछ मीठा हो जाए', और ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा' जैसे कैंपेन उनके रचनात्मक जादू के उदाहरण हैं.
पीयूष पांडे के निधन पर अमिताभ बच्चन ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया, जिसमें फेविकोल का एक पुराना विज्ञापन का वीडियो शेयर करते हुए बिग बी ने कैप्शन में लिखा- पांडे ब्रदर्स द्वारा एक शानदार कॉन्सेप्ट और निष्पादन . पीयूष और प्रसून. शाबाश पीयूष जी . इतना ओरिजनल और प्यारा .. कोई आश्चर्य नहीं कि आप विश्व चैंपियन हैं ..!!!
शाहरुख खान ने अपने एक्स अकाउंट पर पीयूष पांडे को याद करते हुए लिखा, 'पीयूष पांडे के साथ काम करना और उनके साथ रहना हमेशा सहज और मजेदार लगता था. उनकी ओर से रचे गए अद्भुत जादू का हिस्सा बनना सम्मान की बात थी. उन्होंने अपनी प्रतिभा को इतनी सहजता से पेश किया और भारत के विज्ञापन उद्योग में क्रांति ला दी. मेरे दोस्त, आपकी आत्मा को शांति मिले. आपकी बहुत याद आएगी.'
सुधीर मिश्रा ने एक्स पर एक पोस्ट को रिशेयर करते हुए लिखा, अब इस घर में पीयूष नहीं रहता है. RIP मेरी तरफ से श्रद्धांजलि. वहीं इसके साथ उन्होंने पीयूष की बहन ईला अरूण को भी टैग किया.
फ़िल्म और ऐड डायरेक्टर शूजीत सरकार ने कहा, “पीयूष पांडे का जाना वास्तव में इंडस्ट्री के लिए बहुत बड़ी क्षति है. मुझे नहीं पता हम इस खालीपन को कैसे भर पाएंगे. वे विज्ञापन की दुनिया के असली दिग्गज थे. बड़ी मूंछें और हमेशा ज़ोर से हंसने वाले इंसान. मुझे गुजरात में उनके साथ बहुत समय बिताने का मौका मिला जब मैंने गुजरात टूरिज़्म के लिए ‘खुशबू गुजरात की' किया था. उस समय माननीय मुख्यमंत्री श्री मोदी थे. उस दौरान मैंने उनके साथ बहुत समय बिताया. हमने कई बड़े प्रोजेक्ट किए. जैसे पोलियो, महिला सशक्तिकरण और घरेलू हिंसा पर. चुपचाप वे बहुत शानदार रचनात्मक काम करते थे. पियूष पांडे की बहुत याद आएगी. हम सब उन्हें बहुत मिस करेंगे.”
शूजीत के इन शब्दों में उनके प्रति गहरा सम्मान झलकता है. पियूष पांडे के विज्ञापनों में आम भारतीय की आत्मा बसती थी. उन्होंने हर ब्रांड को भावनाओं से जोड़ा और अपने काम में मानवीयता को केंद्र में रखा. फ़िल्म डायरेक्टर और ऐड फिल्ममेकर आशु तिखा ने कहा, “हमने एक लीजेंड, एक जीनियस खो दिया है. पीयूष ने अपने पीछे शानदार काम की विरासत छोड़ी है.”
वास्तव में, पियूष पांडे सिर्फ़ एक ऐडमैन नहीं थे, बल्कि कहानियां कहने वाले कवि थे, जिन्होंने भारतीय विज्ञापन को अपनी ज़ुबान, अपनी खुशबू और अपनी आत्मा दी. ‘हर घर कुछ कहता है', ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा' और ‘चाय पियो ज़रा मुस्कुरा दो' जैसे अभियानों के ज़रिए उन्होंने लोगों के दिलों में जगह बनाई. उनकी मुस्कान, उनके शब्द और उनकी सोच हमेशा भारतीय विज्ञापन की प्रेरणा बने रहेंगे.
पीयूष पांडे के कई विज्ञापनों में समाज के लिए संदेश और दर्शकों के लिए मनोरंजन की झलक साथ-साथ दिखाई देती थी. वे जानते थे कि किसी उत्पाद की बात करते हुए भी दिल को छू लेने वाली कहानी कैसे कही जाए. यही कारण था कि उनके बनाए विज्ञापन सिर्फ बेचते नहीं थे. वे जोड़ते थे, भावनाएं जगाते थे. पियूष पांडे को उनके असाधारण योगदान के लिए अनेक सम्मान मिले. भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था. इसके अलावा वे एशिया पेसिफिक एडवरटाइजिंग हॉल ऑफ फेम में शामिल होने वाले पहले भारतीय थे. उनका जाना भारतीय विज्ञापन जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है. उन्होंने सिर्फ ब्रांड नहीं बनाए, उन्होंने देश के भीतर की संवेदनाओं को आवाज दी और यही उन्हें ‘ऐड गुरु' बनाता है.