आलिया भट्ट की मम्मी ने जन्मदिन पर शेयर की नानी की तस्वीरें, आप भी कहेंगे ये तो आलिया से भी प्यारी थीं...

सोनी राजदान ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम पर अपनी मां की कई पुरानी तस्वीरें शेयर कीं, जिसमें बिकिनी में उनकी एक पुरानी तस्वीर भी थी. उन्होंने एक तस्वीर शेयर की, जिसमें उन्होंने अपनी मां का चेहरा छिपाया हुआ था. जबकि आलिया भट्ट अपनी दादी को गले लगाती दिख रही थीं.

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आलिया की नानी की तस्वीर वायरल
नई दिल्ली:

सोनी राजदान ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम पर अपनी मां की कई पुरानी तस्वीरें शेयर कीं, जिसमें बिकिनी में उनकी एक पुरानी तस्वीर भी थी. उन्होंने एक तस्वीर शेयर की, जिसमें उन्होंने अपनी मां का चेहरा छिपाया हुआ था. जबकि आलिया भट्ट अपनी दादी को गले लगाती दिख रही थीं. तस्वीरों में सोनी की मां की क्लोज अप तस्वीर भी थी. उसके बाद सोनी राजदान की बचपन की एक पुरानी तस्वीर थी, जिसमें वह अपनी मां के साथ थीं. उन्होंने एक चॉकलेट केक की तस्वीर भी शेयर की जिस पर लिखा था, "हैप्पी 96वां बर्थडे मम्मी." अपनी नानी के जन्मदिन पर आलिया भट्ट  ने लैवेंडर कलर की चिकनकारी कुर्ता पहना , जबकि शाहीन ने ऑल-ब्लैक लुक चुना.
  

फोटो शेयर करते हुए सोनी ने लिखा, "जब हमने मम्मी को याद दिलाया कि आज वह 96 साल की हैं, तो उनकी पहली प्रतिक्रिया थी. 'ओह,  इतनी बूढ़ी नहीं हूं.!' जन्मदिन मुबारक हो, खूबसूरत मम्मी. आप हमेशा युवा ही सोचें और लंबी उम्र जिएं."इस पोस्ट ने जल्द ही कई लोगों का ध्यान खींचा. एक्ट्रेसे अदिति राव हैदरी ने लिखा, "बहुत खूबसूरत! उन्हें जन्मदिन की बधाई और स्वस्थ जीवन की ढेरों शुभकामनाएं." अनाइता श्रॉफ ने लिखा, "हैप्पी 96वां!" हालांकि कुछ लोग उनकी नानी की क्लोज अप फोटो देख कर आलिया से तुलना करने लगे. फोटो में उनकी नानी बेहद प्यारी दिख रही थीं. लोगों ने कहा कि वह क्यूटनेस में अपनी नानी पर ही गई हैं. 

बता दें कि सोनी राजदान की मां ब्रिटिश हैं, जबकि उनके पिता नरेंद्र नाथ राजदान कश्मीरी पंडित थे. 1956 में सोनी का जन्म हुआ. वह मुंबई में पली-बढ़ी. इससे पहले, अपनी मां के 95वें जन्मदिन पर सोनी राजदान ने एक लंबे नोट में अपनी कहानी शेयर की थी. उन्होंने लिखा, “एक प्यारी सी छोटी जर्मन लड़की जिसका नाम गर्ट्रूड था, को अपनी मां के साथ जर्मनी छोड़ना पड़ा जब वह सिर्फ़ 6 साल की थी…वे चुपके से चले गए क्योंकि उसके पिता जेल में थे. उस समय वे हिटलर और नाज़ी शासन के खिलाफ़ एक अख़बार चला रहे थे. वे खुश नहीं थे. गर्ट्रूड और उनकी बहादुर मां 2 साल के लिए चेकोस्लोवाकिया चली गईं. फिर उन्हें मजबूरन वहां से जाना पड़ा, क्योंकि दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया था और हिटलर ने प्राग पर आक्रमण कर दिया था.

उन्होंने आगे कहा, यह एक लंबी कहानी है जिसका अंत सुखद है, अंततः इंग्लैंड में वे राजनीतिक शरणार्थी के रूप में  रहने लगे. सौभाग्य से गर्ट्रूड के पिता को भी रिहा कर दिया गया. एक शर्त पर कि वे फिर कभी जर्मनी में प्रवेश नहीं करेंगे..और इसलिए वे इंग्लैंड में रहने आ गए. कई सालों बाद गर्ट्रूड की मुलाकात एक खूबसूरत कश्मीरी पंडित से हुई जो लंदन में वास्तुकला की पढ़ाई कर रहा था. वे प्यार में पड़ गए. उन्होंने शादी कर ली.. कुछ समय बाद मेरा जन्म हुआ. मैं 3 महीने की उम्र में भारत आ गई. और तब से यहीं रह रही हूं."
 

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