अक्षय कुमार ने सालभर में चार फिल्में करने के सवाल पर दिया रिएक्शन, बोले- ‘मैं महालक्ष्मी के घोड़े जैसा...’

सरफिरा की रिलीज के बीच अक्षय कुमार ने सालभर में चार फिल्में करने पर लोगों के रिएक्शन पर अपनी बात कही है.

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अक्षय कुमार ने आलोचकों पर की बात
नई दिल्ली:

साउथ सुपरस्टार कमल हासन की हिंदुस्तानी 2 को बॉक्स ऑफिस को टक्कर देने सरफिरा 12 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है, जो कि अक्षय कुमार की 2024 की दूसरी फिल्म है. इससे पहले उनकी बिग बजट फिल्म बड़े मियां छोटे मियां  रिलीज हुई थी, जो फ्लॉप साबित हुई. लेकिन फैंस की उम्मीदें सिरफिरा से है. इसी बीच, एक इंटरव्यू में अक्षय कुमार ने कड़ी मेहनत करने के लिए पूछे जाने वाले सवालों और लगातार तुलना का सामना करने वाले एक्टर्स के बारे में बात की और खुद को महालक्ष्मी को घोड़े जैसा बताया है. 

गलाटा को दिए इंटरव्यू में अक्षय कुमार ने कहा, "जब वे किसी एक्टर को नंबर एक या दो की श्रेणी में रखते हैं तो कई बार मुझे महालक्ष्मी का घोड़ा जैसा महसूस होता है, जो दौड़ में भाग रहा है. हिंदी सिनेमा एक साल में लगभग 190-200 फ़िल्में बनाता है. फिर साउथ की फ़िल्में हैं, इतनी सारी फ़िल्मों में सिर्फ़ 8 से 12 एक्टर्स हैं तो हम इस बात पर क्यों लड़ेंगे कि कौन नंबर एक है और कौन नहीं, हर किसी के पास काम है. पूरा विचार सिर्फ़ काम करना है."

आगे उन्होंने कहा, कई लोगों को प्रॉब्लम है कि मैं साल में 4 फिल्में क्यों कर रहा हूं. मुझे यह समझ नहीं आता. मेरी लाइफ में पहली बार सुना कि कोई कह रहा है कि आप इतना काम क्यों करते हो. क्या आपने कभी सुना है कि आप काम क्यों करते हैं. मैं साल में चार फिल्में करता हूं और लोगों को उससे प्रॉब्लम है. 

इसके अलावा फिल्म रिव्यू पर अक्षय कुमार ने चिंता जताते हुए खुलासा किया कि स्टार और रेटिंग्स खरीदे जा सकते हैं और वह कुछ ही क्रिटिक्स के फीडबैक की वैल्यू करते हैं. उन्होंने कहा, "इतने लंबे समय तक इंडस्ट्री में रहने के कारण आप मोटी चमड़ी वाले हो जाते हैं, कुछ भी आपको अफेक्ट नहीं करता. लेकिन जब कोई मूल्यवान व्यक्ति जैसे कि आलोचक इसके बारे में बात करता है तो मैं इसे स्वीकार करता हूं और इसकी कद्र करता हूं. इंडस्ट्री में होने के कारण आपको पता चल जाता है कि कौन अच्छा क्रिटिक है और कौन बुरा. हम जानते हैं कि ऐसी चीजें हैं, जिन्हें लोग खरीद लेते हैं, ऐसे सितारे हैं, जिन्हें आप खरीद सकते हैं. जब मैं अच्छे आलोचकों को पढ़ता हूं. मैं इसे स्वीकारता हूं, लेकिन यहां तो कोई भी उठके आ जाता है, यह बहुत अव्यवस्थित हो गया है."

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