बॉक्स ऑफिस पर अजय देवगन ने तोड़ा अपना 14 साल का रिकॉर्ड, इतनी खराब ओपनिंग कि पूछिए मत

पिछले कुछ समय में देखा गया है कि बड़े स्टार्स की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कामयाब होने में नाकाम रही हैं. चलिए एक्सपर्ट्स से जानते हैं इस मामले में उनकी राय क्या है.

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बड़े सितारे नहीं रहे हिट की गारंटी
नई दिल्ली:

बड़े सितारों के नाम पर सिनेमाघरों में भीड़ जुटाने की गारंटी वाली फिल्मकारों की सोच अब गलत साबित हो रही है. अक्षय कुमार, अजय देवगन और जाह्नवी कपूर जैसे कलाकारों की फिल्मों के देखने को मिले कलेक्शंस चिंता जनक हैं. तीनों की ही हाल की कुछ फिल्मों ने किया निराशाजनक कलेक्शन किया. देश के कई सुपरस्टार्स में से एक अजय देवगन, अपनी एक्टिंग और स्टारडम के लिए मशहूर हैं पर उनकी हाल ही में रिलीज हुई फिल्म के ओपनिंग डे के आंकड़े चौंकाने वाले रहे. फिल्म ने पहले दिन 1.70 और वीकेंड पर 5.25 करोड़ की कमाई की जिसने अजय का 14 सालों का रिकॉर्ड तोड़ा है.

पिछले 14 सालों में अजय देवगन की किसी भी फिल्म ने अपने ओपनिंग डे पर इतना कम कलेक्शन किया है. इस से पहले 2010 में रिलीज हुई टूनपूर का सुपरहीरो हीरो ने 0.44 करोड़ का कारोबार किया था. शायद अजय को भी औरों में कहां दम था की कम कमाई का अंदाजा था इसीलिए उन्होंने ट्रेलर लॉन्च के समय बोला था की उन्हें फिल्म की कहानी बहुत पसंद आयी पर वो इसके बॉक्स ऑफिस कलेक्शन को लेकर कुछ नहीं कह सकते.

ऐसा ही हाल कुछ अक्षय कुमार का है उनकी भी पिछले कुछ सालों में करीब 9 फिल्में कामयाब नहीं रहीं और उनकी आखिरी फिल्म सरफिरा की ओपनिंग डे की कमाई 2.50 करोड़ रही. इसी साल बड़े मियां छोटे मियां से पहले आयी रानीगंज ने  भी पहले दिन सिर्फ 2.80 करोड़ ही कमाए. अपनी फिल्मों की नाकामयाबी पर अक्षय ने भी हाल में बयान दिया था की उनकी पिछली कुछ फिल्में नहीं चलीं हैं पर वो बहुत मेहनत से काम करते हैं उन्होंने यह भी कहा की फिल्म की असफलता के बाद लोग उन्हें ऐसे मेसेज करते हैं जैसे वो इस दुनिया को अलविदा कह गये हों.

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ये हाल सिर्फ अक्षय और अजय देवगन की फिल्मों का ही नहीं बल्कि इस साल कई बड़े सितारों की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर संघर्ष करती नजर आईं तो क्या बड़े सितारे फिल्मों की कामयाबी की गारंटी नहीं रहे ? फिल्म कारोबार विशेषज्ञ गिरीश वानखेड़े का कहना है, कंटेंट के अलावा फिल्मों की मार्केटिंग और प्रचार ठीक नहीं हो रही है. डेडपूल और वुल्वरिन लोग देखने जा रहे हैं इसका मतलब है लोग फिल्म देखना चाहते हैं पर कंटेंट लोगों को नहीं रिझा रहा है".

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वहीं वरिष्ठ पत्रकार भारती दूबे का मानना है, "पहले फिल्म के गाने देख कर लोग फिल्म देखने जाते थे पर अब ट्रेलर देख कर लोग फिल्म देखते हैं. ऑडियंस ट्रेलर सूंघ लेती है की उन्हें ये फिल्म देखनी है या नहीं. दूसरी बात अक्षय और अजय की फिल्में इसलिए नहीं चलीं क्योंकि इन लोगों ने फिल्में प्रमोट ही नहीं कीं. एक खाली ट्रेलर लॉन्च या सोशल मीडिया से लोगों को कैसे पता चलेगा कि फिल्म किस बारे में है. ये जो नई परंपरा शुरू हुई हैं कि इंटरव्यू नहीं देंगे, मीडिया से बात नहीं करनी है, फिल्म के बारे में बात नहीं करनी है और एक ट्रेलर लॉन्च करके खत्म कर दिया. ये नहीं चल रहा. एक्टर्स को अगर ऑडियंस से कनेक्ट होना है तो अपने सिनेमा के बारे में बात करनी पड़ेगी".

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इसी हफ्ते रिलीज हुई जाह्नवी की उलझ ने दर्शकों को उलझाया तो विकी कौशल की बैड न्यूज भी कोई बड़ी गुड न्यूज नहीं साबित हुई. फिल्मकार हैरान हैं,  परेशान हैं पर अच्छी कहानियां और कंट्रोल्ड बजट ही शायद इस समस्या का समाधान है.

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