भोले भाले चेहरे की बदौलत ये एक्टर बन गया फिल्मों का चहेता अंकल, वकालत की पढ़ाई करके भी नहीं मिली नौकरी तो की एंकरिंग, देश छोड़...

डेविड ने 150 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. उनकी प्यारी सी मुस्कान देखकर ही उन्हें अंकल पुकारने का मन करता था.

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भोले भाले चेहरे की बदौलत ये एक्टर बन गया फिल्मों का चहेता अंकल, वकालत की पढ़ाई करके भी नहीं मिली नौकरी तो की एंकरिंग, देश छोड़...
ये एक्टर अपने भोले चेहरे की बदौलत बन गया फिल्मों का चहेता अंकल
नई दिल्ली:

बॉलीवुड में ढेर सारे ऐसे एक्टर हैं जो एक खास रोल में काफी पसंद किए गए. कोई एक्टर अपने कॉमिक रोल में जंचा तो कोई पिता के किरदार में अमर हो गया. किसी ने दोस्त के रोल में जान फूंक दी तो कोई पुलिसवाला बनकर पसंद किया गया. ऐसे ही एक एक्टर थे जिनकी भोली मुस्कान ने उन्हें फिल्मों में अंकल, पिता, चाचा और मामा के ढेर सारे रोल दिलाए और वो अंकल के रूप में मशहूर हो गए. जी हां बात हो रही है बॉलीवुड में डेविड अंकल के रूप में मशहूर एक्टर डेविड अब्राहम चेउलकर की. डेविड का कद कम था लेकिन उनकी अदाकारी के लोग दीवाने थे.

खेल कूद के थे शौकीन

डेविड बचपन में खेलने कूदने के शौकीन थी और इसलिए पहलवानी भी करते थे. उस समय पहलवानी को बॉडी बिल्डिंग के रूप में देखा जाता था. हालांकि करियर के रूप में डेविड ने बीए एलएलबी की. कुछ साल नौकरी नहीं मिली तो डेविड शोज में एंकरिंग करने लगे. उनकी एंकरिंग काफी पसंद की जाती थी. कम ही लोग जानते हैं कि डेविड ने फिल्म फेयर अवाई और कई सरकारी कार्यक्रमों की भी एंकरिंग की. उन्हें नाटकों में दिलचस्पी थी. शुरू में वो फ्रेंच नाटकों में काम करने लगे और साथ साथ एंकरिंग का भी काम संभालते थे. ये वही दौर था जब डेविड को फिल्मों में जाने की दिलचस्पी जागी.

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इस फिल्म से बदली लाइफ

डेविड को पहली फिल्म 1937 में मिली और उसका नाम था जैंबो. इसके बाद उनको छोटे मोटे रोल मिलते रहे. कुछ साल वो कैरेक्टर आर्टिस्ट के रूप में थिएटर भी करते रहे. 1954 में आई फिल्म बूट पॉलिश ने डेविड की जिंदगी बदल दी. इस फिल्म में उन्हें जॉन चाचा का रोल मिला जो सड़क पर रहने वाले दो बच्चों की जिंदगी संवार देते हैं. डेविड ने इस रोल के चलते फिल्म फेयर अवार्ड भी जीता. इसके बाद उन्हें अच्छे दिल वाले और खुशमिजाज अंकल और चाचा के रोल मिलने लगे और वो डेविड अंकल के रूप में मशहूर हो गए. किस्मत, उपकार, खूबसूरत, सत्यकाम, कल आज और कल, खट्टा मीठा और गोलमाल जैसी फिल्मों में डेविड के काम को काफी पसंद किया गया. कहते हैं कि पंडित जवाहरलाल नेहरू डेविड के फैन थे और वो चाहते थे कि सरकारी कार्यक्रमों की एंकरिंग डेविड ही करें. 1970 के बाद डेविड देश छोड़कर अपने भतीजे के साथ कनाडा शिफ्ट हो गए.

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