तलाक की खबरों के बीच अभिषेक बच्चन ने नेगेटिविटी पर दिया रिएक्शन, बोले- मैं बदल नहीं सकता...

ऐश्वर्या राय संग तलाक की खबरों के बीच अभिषेक बच्चन ने आई वॉन्ट टू टॉक के प्रमोशन के दौरान नेगेटिविटी पर रिएक्शन सामने आया है.

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अभिषेक बच्चन ने नेगेटिविटी पर कही ये बात
नई दिल्ली:

अभिषेक बच्चन इन दिनों काफी चर्चा में है, जिसका कारण उनके लेटेस्ट फिल्म आई वॉन्ट टू टॉक और पत्नी ऐश्वर्या राय से उनके तलाक की खबरें चर्चा में हैं. जबकि हाल ही में उनका बेटी अराध्या बच्चन की बर्थडे पार्टी की तस्वीरों में ना नजर आना सुर्खियों में आ गया है. लेकिन इसके कारण उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा. इसी बीच ईटाइम्स को दिए इंटरव्यू में पर्सनल लाइफ पर नेगेटेविटी को हैंडल करने पर अभिषेक बच्चन ने रिएक्शन दिया है. 

नेगेटिविटी से निपटने के अपने नजरिए पर विचार करते हुए, अभिषेक बच्चन ने कहा, हिंदी में एक शब्द है दृढ़ता. कहीं न कहीं, एक व्यक्ति के रूप में आप कौन हैं, यह नहीं बदलना चाहिए. आपके मूल सिद्धांतों को नहीं बदलना चाहिए. आपको अनुकूलन करना और विकसित होना सीखना होगा, वरना आप पीछे रह जाएंगे, लेकिन आपके मूल मूल्यों को नहीं बदलना चाहिए. इसलिए, मैं अभी भी मानता हूं कि ‘जब बुरा अपनी बुराई न छोड़े तो अच्छा अपनी अच्छाईं क्यों छोड़े?' मैं जो व्यक्ति हूं, उसे बदल नहीं सकता. मैं बहुत पॉजीटिव व्यक्ति हूं और आप नेगेटिविट बातों पर ध्यान नहीं दे सकते. जब आप नकारात्मक बातों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो यह आपको अभिभूत कर देगा."

उन्होंने अपनी पहचान और विश्वास के प्रति सच्चे रहने के महत्व के बारे में बताते हुए कहा, " एक आदमी के रूप में, आप कौन हैं? आप किसके लिए खड़े हैं? अगर मैं हवा में एक पत्ता बनकर रहूंगा, तो लोग कहेंगे कि वह एक सॉलिड व्यक्ति नहीं हूं. इसलिए, मेरे अंदर कुछ चीजें नहीं बदलती हैं."

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अभिषेक आगे कहते हैं, जब आप बादल में एक सिल्वर लाइन या धूप की किरण देखते हैं तो उसे थामे रहें. क्योंकि वह तुम्हें लाइफ में आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा और जीवन में आगे बढ़ने का कारण देगा. लोगों के लिए अंधकार और नेगेटिविटी में डूब जाना बहुत आसान है... चाहे कितनी भी मुश्किल क्यों ना हो. और फिल्म में भी यह खूबसूरत मैसेज है. मैं दुनिया को सबसे खूबसूरत इमोशनल ट्रैजेडी में बदल सकता हूं इस फिल्म से और मैं शायद ऐसा कर पाऊंगा. लेकिन शूजित सरदार जैसे आदमी ने सबसे खुशनुमा फिल्म बनाई है, जो लोगों को हंसाती है. यही सीख है. चाहे कितनी भी मुश्किल बाधा क्यों न हो, उम्मीद की किरण ढूंढ़ ही लेनी चाहिए."

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