आमिर खान को पहली एक्टिंग असाइनमेंट से जब निकाला गया, रोने लगे थे, फिर एक बंद ने बना दिया सुपरस्टार

नेटफ्लिक्स के 'द ग्रेट इंडियन कपिल शो' में आमिर खान ने बताया कि कैसे एक महाराष्ट्र बंद ने उनके एक्टिंग करियर की राह खोली.

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आमिर खान की कैसे बदली बंद से तकदीर
नई दिल्ली:

नेटफ्लिक्स के 'द ग्रेट इंडियन कपिल शो' में इस हफ्ते आमिर खान आए और उन्होंने कपिल शर्मा और उनकी टीम के साथ खूब मस्ती की. यही नहीं, आमिर खान ने बताया कि कैसे महाराष्ट्र बंद ने उन्हें सुपरस्टार बना दिया. आमिर खान ने बताया, 'कॉलेज में थिएटर ग्रुप में काम करने का मन था. लेकिन ऑडिशन में फेल हो गया. लेकिन मैंने हार नहीं मानी. मैंने देखा कि गुजराती प्ले की रिहर्सल चल रही थी, तो उसमें 30-40 लोगों का कोरस था. मैंने उसमें अप्लाई किया और मैं क्राउड का हिस्सा बन गया. उस पूरे प्ले में मेरी एक ही लाइन थी. लेकिन प्ले से कुछ दिन पहले  महाराष्ट्र बंद था. अम्मी ने कहा कि रिहर्सल पर नहीं जा सकते. इस तरह मैं रिहर्सल पर नहीं जा सका. लेकिन जब अगले दिन रिहर्सल पर पहुंचा तो डायरेक्टर ने पूछा कि तुम कल क्यों नहीं आए. मैंने बताया लेकिन उन्होंने एक नहीं सुनी. उन्होंने मुझे वहां से भगा दिया. मेरे आंसू निकल गए. वहीं मैं घास पर बैठ गया और रोता रहा. मुझे इतना बुरा लगा, मैं रो रहा था. इतने में दो बंदे आए और बोले यार सुन मेरा दोस्त है बंसल. यह डिप्लोमा फिल्म बना रहा है. तू फ्री है क्या. मैंने कहा कि अभी फ्री हुआ हूं मैं. पूना इंस्टीट्यूट आज के आज  जाना है तुझे. फिर शूटिंग हो गई. इस फिल्म को दूसरे स्टूडेंट राजीव सिंह ने देखा. उसकी फिल्म मैंने की. दोनों फिल्में देखकर केतन मेहता ने होली में कास्ट किया. इस तरह मंसूर और नासिर साहेब ने मुझे फिल्म में कास्ट करने का फैसला लिया. अगर उस दिन महाराष्ट्र बंद नहीं होता तो क्या पता मैं स्टार बनता या नहीं बनता.'

आमिर खान ऐसे कहलाए मिस्टर परफेक्शनिस्ट
कपिल शर्मा ने आमिर खान से पूछा कि उन्हें मिस्टर परफेक्शनिस्ट क्यों कहा जाता है? इसका जवाब देते हुए आमिर खान ने बहुत  मजेदार किस्सा शेयर किया. आमिर खान ने बताया कि इसके लिए एक ही इंसान जिम्मेदार है और वह शबाना आजमी. उन्होंने बताया कि हम दिल फिल्म की शूटिंग कर रहे थे. फिल्म के डायरेक्टर इंद्र कुमार थे और कैमरामैन बाबा आजमी. बाबा आजमी जानकी कुटीर रहते थे और हम वहां जाते थे. एक दिन वहां बैठकर हम फिल्मों के बारे में डिस्कशन कर रहे थे और तभी शबाना जी चाय लेकर आईं. उन्होंने पूछा कि शक्कर कितनी लोगे. उस समय मैं बातों में इतना मगन था कि मुझे पता ही नहीं चला कि क्या हुआ. उन्होंने फिर पूछा कि शक्कर कितनी लोगे. मैं अपनी सोच से बाहर आया और कहीं एकदम से खो गया. मैं उन्हें घूर कर देखने लगा. मैंने उनसे पूछा गिलास कितना बड़ा है. उन्होंने मुझे कप दिखाया.फिर मैंने पूछा चम्मच कितना बड़ा है. इस तरह मैंने कहा कि एक चम्मच डाल दो. फिर मैं डिसक्सन में लग गया. इसके बाद उन्होंने यह बात सबको बताई. इस तरह मुझ पर मिस्टर परफेक्शनिस्ट का टैग लग गया कि मैं तो चाय में चीनी भी चम्मच और कप का साइज देखकर पीता हूं.

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