Aakhet Movie Review: बाघ के बहाने जिंदा रहने का संघर्ष है 'आखेट'

Aakhet Movie Review: मशहूर कहानी कार रवि बुले जिंदगी को चलाए रखने की जंग की कहानी को 'आखेट' में लेकर आए हैं...

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
Aakhet Movie Review: जानें कैसी है फिल्म 'आखेट'
नई दिल्ली:

Aakhet Movie Review: अकसर लोग टाइगर रिजर्वों में छुट्टियां मनाने जाते हैं. हर कोई इस लालच में जंगल सफारी करता है कि वह बाघ को देख सकेगा. लेकिन 100 में से सिर्फ 5-10 फीसदी लोग ही ऐसे होते हैं, जिन्हें बाघ दिख पाता है. लेकिन सैलानियों का रेला बाघ को देखने को लालच में आता ही रहता है. सफारी पर ले जाने वाले गार्ड कभी बाघ के पंजे दिखाते हैं तो कभी उसका मल. सिर्फ इन्हीं बातों के साथ बाघ का क्रेज जिंदा रखा जाता है, और जिंदगी चलती रहती है. ऐसी ही कुछ कहानी 'आखेट (Aakhet)' की भी है. मशहूर कहानीकार रवि बुले ने फिल्म को डायरेक्ट किया है और बहुत ही सिम्पल स्टारकास्ट के साथ एक गहन विषय को उठाया है. ऐसा टॉपिक जो आधुनिक जिंदगी की भाग-दौड़ में कहीं खो चुके होते हैं और जिनकी तरफ किसी का ध्यान भी नहीं जाता है. 

'आखेट (Aakhet)' की कहानी नेपाल सिंह की है. जिन्हें बाघ का शिकार करके अपने महान पूर्वजों में शामिल होना है. नेपाल अपनी जिंदगी और वैवाहिक जीवन दोनों से नाखुश हैं. इस तरह वह बाघ मारने का फैसला करते हैं, और निकल पड़ते हैं अपने इस जुनून को पूरा करने के लिए. वह बेतला के जंगल पहुंचते हैं और वहां उन्हें मुर्शिद मिलता है. मुर्शिद उन्हें शिकार पर ले जाता है. लेकिन यही फिल्म का खास मोड़ है जो कई सवाल पैदा करता है. लंबे समय बाद जीवन और संघर्ष को लेकर इतनी सिम्पल और मार्मिक फिल्म आई है. जिसमें लग्जरी कुछ नहीं, सिर्फ जद्दोजहद है तो खुद को जिंदा रखने की. फिल्म को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज किया गया है, और इसे वोडाफोन और एयरटेल ऐप पर देखा जा सकता है. 

रेटिंगः 3.5/5 स्टार
डायरेक्टरः रवि बुले
कलाकारः तनिमा भट्टाचार्य, नरोत्तम बैन, प्रिंस निरंजन, पाठक आशुतोष और रजनीकांत सिंह
 

Featured Video Of The Day
Bangladesh Violence: संसद में गूंजा बांग्लादेश का मुद्दा, TMC सांसदों ने की शांति सेना भेजने की बात
Topics mentioned in this article