100 साल बाद भी शो जारी, 13 से 15 दिसंबर देखें राज कपूर की सुपरहिट फिल्में, मात्र इतने में मिलेगी टिकट

लेजेंड्री राज कपूर की 100वीं जयंती पर आरके फिल्म्स, फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन, एनएफडीसी, एनएफएआई एंड सिनेमाज साथ मिलकर एक उत्सव का आयोजन कर रहे हैं. इसका शीर्षक 'राज कपूर 100- सेलिब्रेटिंग द सेंटेनरी ऑफ द ग्रेटेस्ट शोमैन' है.

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राज कपूर के 100 साल
नई दिल्ली:

लेजेंड्री राज कपूर की 100वीं जयंती पर आरके फिल्म्स, फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन, एनएफडीसी, एनएफएआई एंड सिनेमाज साथ मिलकर एक उत्सव का आयोजन कर रहे हैं. इसका शीर्षक 'राज कपूर 100- सेलिब्रेटिंग द सेंटेनरी ऑफ द ग्रेटेस्ट शोमैन' है. यह तीन दिवसीय उत्सव 13 दिसंबर को शुरू होगा और 15 दिसंबर तक जारी रहेगा. इसके अंतर्गत 40 शहरों और 135 सिनेमाघरों में राज कपूर की 10 फिल्में प्रदर्शित की जाएंगी. स्क्रीनिंग पीवीआर-इनॉक्स और सिनेपोलिस सिनेमाघरों में होगी, ताकि दर्शकों को यह सुनिश्चित हो सके कि देश भर में अत्याधुनिक स्थानों पर इस ट्रिब्यूट का अनुभव कर सकते हैं.

खास बात यह है कि हर सिनेमा घर में टिकट की कीमत मात्र ₹100 रखी गई है, ताकि हर कोई इस जादुई सफर का हिस्सा बन सके. राज कपूर (1924–1988) भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े फिल्म निर्माताओं में से एक माने जाते हैं, जिन्होंने विश्व सिनेमा पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है. "द ग्रेटेस्ट शोमैन" के नाम से मशहूर राज कपूर ने फिल्म निर्माण, अभिनय और निर्देशन में ऐसा अद्भुत काम किया, जो आज भी प्रेरणा देता है. अपने पिता पृथ्वीराज कपूर के कदमों पर चलते हुए राज कपूर ने अपनी अलग पहचान बनाई. उन्होंने इंकलाब (1935) में एक बाल कलाकार के रूप में काम किया. इसके बाद 1948 में उन्होंने आर.के. फिल्म्स स्टूडियो की स्थापना की और कई ऐतिहासिक फिल्में बनाई.

उनकी फिल्मों में आज़ादी के बाद के भारत के आम आदमी के सपने, गांव और शहर के बीच का संघर्ष और भावनात्मक कहानियां जीवंत हो उठती थीं. आवारा (1951), श्री 420 (1955), संगम (1964) और मेरा नाम जोकर (1970) जैसी फिल्में आज भी सिनेमा प्रेमियों के दिलों में बसी हुई हैं. उनका प्रसिद्ध किरदार, चार्ली चैपलिन से प्रेरित एक 'आवारा', दुनिया भर में लोकप्रिय हुआ, खासकर सोवियत संघ में.

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राज कपूर को पद्म भूषण (1971), दादासाहेब फाल्के पुरस्कार (1988) और कई फिल्मफेयर पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. आवारा और बूट पॉलिश जैसी उनकी फिल्में कांस फिल्म फेस्टिवल में भी शामिल हुईं, और जागते रहो ने कार्लोवी वैरी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में क्रिस्टल ग्लोब जीता. अभिनेता और फिल्म निर्माता रणधीर कपूर का मानना है कि, "राज कपूर सिर्फ एक फिल्म निर्माता नहीं थे, वे एक दूरदर्शी थे, जिन्होंने भारतीय सिनेमा की भावनात्मक परंपरा को आकार दिया. उनकी कहानियां केवल फिल्में नहीं, बल्कि भावनात्मक यात्राएं हैं जो पीढ़ियों को जोड़ती हैं. यह उत्सव उनकी दृष्टि को हमारा छोटा सा ट्रिब्यूट है".

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रणबीर कपूर ने कहा, "हमें बहुत  गर्व है कि हम राज कपूर परिवार के सदस्य हैं. हमारी पीढ़ी एक ऐसे दिग्गज के कंधों पर खड़ी है, जिनकी फिल्मों ने अपने समय की भावनाओ को दर्शाया और दशकों तक आम आदमी को आवाज दी. उनकी टाइमलेस कहानियां प्रेरणा देती रहती हैं, और यह फेस्टिवल उस जादू का सम्मान करने और सभी को बड़े पर्दे पर उनकी विरासत का अनुभव करने के लिए आमंत्रित करने का हमारा एक तरीका है. सी यू एट थे मूवीज".

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इस उत्सव में राज कपूर की सबसे प्रसिद्ध फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा, जिनमें शामिल हैं:

* आग (1948)
* बरसात (1949)
* आवारा (1951)
* श्री 420 (1955)
* जागते रहो (1956)
* जिस देश में गंगा बहती है (1960)
* संगम (1964)
* मेरा नाम जोकर (1970)
* बॉबी (1973)
* राम तेरी गंगा मैली (1985)

तो आइए, 13 से 15 दिसंबर, 2024 तक राज कपूर के जादुई सफर को फिर से जीएं और भारत के इस महान शोमैन की अद्भुत विरासत का जश्न मनाएं.

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