साउथ सिनेमा के दिग्गज एक्टर और फिल्म मेकर कमल हासन ने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में तकनीकी और नए क्रिएटिव आइडियाज से अपनी खास पहचान बनाई. उनकी दूर की सोच ने तमिल सिनेमा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया. ‘थेवर मगन' (1992) के लिए उन्होंने मूवी मैजिक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया, तो ‘महानधि' (1994) पहली भारतीय फिल्म थी, जिसमें एविड एडिटिंग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हुआ. डॉल्बी स्टीरियो सराउंड, मोशन कंट्रोल कैमरा और डिजिटल शूटिंग जैसी तकनीकों को कमल ने भारतीय सिनेमा से जोड़ा.
कमल हासन की अधूरी मास्टरपीस
कमल हासन की ड्रीम प्रोजेक्ट ‘मरुधानायगम' आज भी अधूरी है. इस फिल्म की चर्चा वे समय-समय पर करते रहते हैं. इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक स्क्रीन को दिए एक इंटरव्यू में कमल ने बताया कि फिल्म की शुरुआत में ही 20 करोड़ रुपये खर्च हो चुके थे. ‘मरुधानायगम' को उन्होंने लेखक सुजाता के साथ मिलकर लिखा और अपनी कंपनी राज कमल फिल्म्स इंटरनेशनल के बैनर तले बनाया. राजस्थान में टेस्ट शूट के लिए ही 1 करोड़ रुपये लगे. कमल ने कहा, “यह कहानी ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है, जिसमें कल्पना का पुट कम है.”
एक योद्धा की अनोखी कहानी
कमल ने बताया, “मरुधानायगम की कहानी को तीन पार्ट में बनाया जा सकता था, लेकिन इसका ऐतिहासिक महत्व बनाए रखना जरूरी था. ‘गुना' (1991) के बाद मैं कुछ अलग करना चाहता था. मरुधानायगम का किरदार मेरे मन में इस कदर बसा कि मैं इसे अपनी जिंदगी से जोड़ने लगा.” उन्होंने कहा कि यह योद्धा उनके गृह जिले रामनाथपुरम से था. “मैंने अपने खान-पान पर कंट्रोल रखा, अब सिर्फ फल, सब्जियां और अंडे खाता हूं. एक फिल्ममेकर के रूप में मुझे लगता है कि यह फिल्म सही समय पर बननी चाहिए. दर्शकों को समझने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप वह फिल्म बनाएं, जो आप खुद देखना चाहें.”
मरुधानायगम: एक क्रांतिकारी की कहानी
फिल्म की कहानी एक हिंदू योद्धा मरुधानायगम के इर्द-गिर्द है, जिसने अंग्रेजों के खिलाफ पहला विद्रोह छेड़ा. सुधारवादी विचारों के कारण उसे समाज से बहिष्कृत किया गया, जिसके बाद उसने इस्लाम अपनाया और एक ईसाई महिला से शादी की. स्थानीय दान के लिए इकट्ठा धन के दुरुपयोग पर अंग्रेजों की आलोचना करने पर वह उनके निशाने पर आ गया. अपने लोगों और अंग्रेजों, दोनों से नाता तोड़ने के बाद उसे किले के बाहर फांसी दे दी गई. उसके शरीर को टुकड़ों में काटा गया ताकि कोई उसे याद न करे, लेकिन वह इतिहास में अमर हो गया.
क्यों अटकी 100 करोड़ की फिल्म?
‘मरुधानायगम' को बनाने में कई रुकावटें आईं. कमल ने इसे कई बार शुरू करने की कोशिश की, लेकिन हर बार असफल रहे. 2014 तक इसका बजट 100 करोड़ तक पहुंच गया. अपने 60वें जन्मदिन पर एक रेडियो शो में कमल ने मजाक में कहा, “अगर 10 लाख लोग 100 रुपये का योगदान दें, तो मैं यह फिल्म पूरी कर सकता हूं.” जब उनसे पूछा गया कि इतने बड़े बजट की तमिल फिल्म के लिए फाइनेंसर क्यों नहीं मिला, तो उन्होंने हल्के अंदाज में कहा, “यह 100 करोड़ की फिल्म होगी, और यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है.”