पैसा तो हर कोई कमा लेता है, लेकिन इज्जत कमाना सबके बस की बात नहीं- बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन के 10 डायलॉग

अमिताभ बच्चन के डायलॉग्स के तो क्या कहने, इनमें से तो कई आज भी सुना जा सकता है. यही नहीं, सुनने में ये जितने धांसू हैं तो वहीं कई बहुत इंस्पायरिंग भी हैं. पेश हैं 10 आइकॉनिक डायलॉग.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
अमिताभ बच्चन के 10 आइकॉनिक डायलॉग
नई दिल्ली:

Shahenshah of Bollywood Amitabh Bachchan 10 Iconic Dialogues: बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन अपनी शानदार एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं. उनकी एक्टिंग देखकर हर कोई उनका दीवाना हो जाता है. इसी वजह से वह कई दशकों से लोगों को एंटरटेन कर रहे हैं. अमिताभ बच्चन हर बार अपनी फिल्म के साथ लोगों के लिए एक सीख लेकर आते हैं. जो लोगों को इंस्पायर करती हैं. कई लोग अमिताभ बच्चन से सीख लेकर उन्हें अपनी लाइफ में अपनाते हैं. कई लोगों के लिए बिग बी इंस्पिरेशन भी हैं. आज हम आपको अमिताभ बच्चन के फिल्मों के उन डायलॉग्स के बारे में बताते हैं जिनसे लोग इंस्पिरेशन ले सकते हैं.

बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन के 10 आइकॉनिक डायलॉग

पिंक

इस फिल्म में अमिताभ बच्चन ने एक वकील का किरदार निभाया था. इस फिल्म का उनका एक डायलॉग था जो ज्यादातर लोगों को अपनी लाइफ में शामिल करना चाहिए. 'ना, सिर्फ एक शब्द नहीं अपने आप में एक पूरा वाक्य है. इसे किसी तरह के स्पष्टीकरण, एक्सप्लेनेशन या व्याख्या की जरुरत नहीं होती है. ना का मतलब ना ही होता है.'

कभी खुशी कभी गम
अमिताभ बच्चन के किरदार को बहुत पसंद किया गया था. इसमें एक था, 'पैसा तो हर कोई कमा लेता है, लेकिन इज्जत कमाना सबके बस की बात नहीं'

वजीर
जिंदगी और शतरंज में ये ही फर्क है, जिंदगी में दूसरा मौका मिलता नहीं, यहां शतरंज में मिल जाता है.

सरकार
मुझे जो सही लगता है मैं करता हूं, फिर चाहे वो भगवान के खिलाफ हो, कानून के खिलाफ हो या पूरे सिस्टम के खिलाफ हो.

शराबी
गोवर्धन सेठ, समुंदर में तैरने वाले कुओं और तालाबों में डुबकी नहीं लगाया करते हैं.

कभी कभी
बड़ी हिम्मत चाहिए, विजय साहब, बड़ा हौसला चाहिए इसके लिए. दाग दामन पे नहीं दिल पे लिया है मैंने.

कुली
बचपन से है अल्ला का हाथ और अल्लारक्खा है अपने साथ. बाजू पे है सात सौ छियासी का बिल्ला, बीस नंबर की बीड़ी पीता हूं काम करता हूं कुली का और नाम है इकबाल. जिसके सर पे हाथ पड़े बचे ना उसका एक भी बाल.

मोहब्बतें
परंपरा, प्रतिष्ठा, अनुशासन. ये इस गुरुकुल के तीन स्तंभ है. ये वो आदर्श हैं जिनसे हम आपका आने वाला भविष्य बनाते हैं.

आखिरी रास्ता
वहां से तुम्हे ये 6 दिख रहा होगा लेकिन यहां से मुझे 9 दिखता है.

त्रिशूल
सही बात सही वक्त पर की जाए तो उसका मजा ही कुछ और है और मैं सही वक्त का इंतजार करता हूं.

Featured Video Of The Day
Maharashtra में आज 14 बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार, नवी मुंबई से हुई गिरफतारी