टीवी पर आपने कई बार अमिताभ बच्चन की बागबान और सलमान खान की हम साथ साथ हैं देख ली होगी. तो अब अगर आप कुछ नया देखना चाहते हैं तो वनवास को कतई मिस ना करें. ‘ग़दर 2' और ‘अपने' जैसे कालजयी सिनेमाई अनुभव देने वाले अनिल शर्मा इस बार लेकर आ रहे हैं ‘वनवास' – एक ऐसी कहानी, जो दिल को छू लेगी, आंखें नम कर देगी और शायद कई दिलों को सोचने पर मजबूर भी कर देगी. यह फिल्म उन रिश्तों की परख है, जो समय के साथ कमज़ोर हो जाते हैं, उन सवालों का जवाब है, जिनसे हम अक्सर बचते रहते हैं. आज के दौर में जब हर फिल्म पहले ओटीटी पर आती है, ज़ी सिनेमा एक नया इतिहास रचने जा रहा है. ‘वनवास' का वर्ल्ड टेलीविज़न प्रीमियर ओटीटी से पहले होगा! एक ऐसी फिल्म, जो अकेले नहीं, बल्कि पूरे परिवार के साथ बैठकर देखने के लिए बनी है. क्योंकि यह सिर्फ़ एक कहानी नहीं, बल्कि हमारी भावनाओं का आईना है. इस 8 मार्च, रात 8 बजे, अपने परिवार के साथ जुड़िए ज़ी सिनेमा पर और महसूस कीजिए वह हर भावना, जो किसी अपने को खोने के डर से गहराई तक महसूस होती है.
निर्देशक अनिल शर्मा ने कहा, "मैं ऐसी फिल्म बनाना चाहता था, जो हर उम्र के लोगों को छू सके, हर पीढ़ी से जुड़े और परिवारों को एक साथ लाए. 'वनवास' प्यार, मूल्यों और उन दिल छू लेने वाली रिश्तों की बात करता है, जो हमें परिभाषित करते हैं. आज के दौर में 70-80 साल का बुजुर्ग अपने ही घर में खुद को वनवासी महसूस कर रहा है, उससे बात करने वाला कोई नहीं है, समाज की हालत ऐसी हो गई है. कई बुजुर्ग अपने ही घरों में परायापन महसूस करते हैं, यह एक कड़वी सच्चाई है, जिसे हम अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं. एक कहावत है— पिता का कर्म है बच्चों को पालना, बच्चों का धर्म है माता-पिता को संभालना, और मैं इससे पूरी तरह सहमत हूं. 'वनवास' एक ऐसे त्यक्त पिता और अनाथ बेटे की कहानी है, जो एक-दूसरे में परिवार ढूंढ लेते हैं. मिथुन का संगीतमय जादू इस फिल्म की भावनाओं को और ऊंचाई देता है, जबकि नाना सर और उत्कर्ष की जोड़ी कहानी में जान डाल देती है. जब मैंने 'वनवास' बनाने का फैसला किया, तब मुझे पता था कि मैं यह फिल्म सिर्फ नाना सर के साथ करूंगा. उनकी मौजूदगी इसे वो गहराई देती है, जो कोई और नहीं दे सकता. यह फिल्म मेरे उस सपने का विस्तार है, जिसमें मैं परिवार को केंद्र में रखकर कहानियां कहना चाहता हूं. मैं बेसब्री से इंतज़ार कर रहा हूं कि दर्शक 8 मार्च, शनिवार को रात 8 बजे अपने घर पर बैठकर 'वनवास' देखें."
वर्ल्ड टीवी प्रीमियर को लेकर नाना पाटेकर ने कहा, "'वनवास' हमारे समय का प्रतिबिंब है. आज परिवारों में अनकही दूरियां, गलतफहमियां और एक-दूसरे के लिए समय की कमी जैसी कई चुनौतियां हैं. इस फिल्म का मूल भाव माता-पिता और उनकी निस्वार्थ भावनाओं को दर्शाना है, जो बिना किसी उम्मीद के हमेशा हमारे लिए कुछ न कुछ करते रहते हैं. यह प्यार और बलिदान की गहरी भावना को खूबसूरती से उकेरती है. जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, कई बातें भूलने लगते हैं— यह जीवन का स्वाभाविक हिस्सा है. लेकिन जो हमें कभी नहीं भूलना चाहिए, वह है परिवार का महत्व. चाहे कुछ भी हो जाए, परिवार हमेशा हमारा सबसे मजबूत सहारा होता है। मुझे पूरा यकीन है कि दर्शक खुद को इस कहानी में देखेंगे और अपने परिवार व अपनों के साथ अपने रिश्तों को और गहराई से महसूस करेंगे."
फिल्म के बारे में बात करते हुए उत्कर्ष शर्मा ने कहा, "'वनवास' एक ऐसी फिल्म है, जो हमें अपने रिश्तों और उन बंधनों पर सोचने पर मजबूर कर देती है, जो हमें जोड़कर रखते हैं. यह परिवार के प्यार, त्याग और एकजुटता की भावना को इतनी खूबसूरती से दर्शाती है कि हर पीढ़ी इससे जुड़ाव महसूस करेगी. इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने को लेकर मैं बेहद उत्साहित था, क्योंकि मैं नाना पाटेकर सर की फिल्मों का लंबे समय से प्रशंसक रहा हूं. उनकी गहराई और समर्पण ने इस फिल्म में बहुत गहरा दिल छू लेने वाली असर डाला है. उनके साथ स्क्रीन साझा करना मेरे लिए एक अविश्वसनीय सीखने का अनुभव रहा. आज जब एक्शन थ्रिलर्स का दौर है, 'वनवास' एक ताज़गी भरी और दिल को छू लेने वाली याद दिलाता है कि परिवार से बढ़कर कुछ नहीं."
सिमरत कौर ने कहा, "'वनवास' में जो मुझे सबसे अच्छा लगा, वो इसकी ट गहराई थी और यह कि यह किस खूबसूरती से परिवार के रिश्तों और मुश्किलों और उनकी कुर्बानियों को दर्शाती है. यह एक ऐसी फिल्म है, जो आपको हंसाएगी, रुलाएगी और सबसे बढ़कर, अपनों की अहमियत का एहसास कराएगी. मुझे जो बात सबसे पसंद आई, वह यह है कि यह सिर्फ बुजुर्गों की कहानी नहीं है, बल्कि युवाओं से भी बात करती है और दिखाती है कि हर पीढ़ी की अपनी भूमिका होती है, जो परिवार को एक डोर में बांधे रखने में अहम होती है। मैं बेहद उत्साहित हूं कि पूरे भारत के परिवार इसे ज़ी सिनेमा पर देखेंगे."