दिग्गज एक्टर सुरेश ओबेरॉय के बेटे विवेक ओबेरॉय ने बॉलीवुड में अपने पहले साल में कंपनी, रोड, साथिया में अपनी शानदार एक्टिंग से लोगों को खूब इंप्रेस किया. तब से एक्टर संघर्ष के दौर से गुजर रहे हैं क्योंकि उन्होंने एक के बाद एक फ्लॉप फिल्में दीं - किसना: द वॉरियर पोएट, प्यारे मोहन, होम डिलीवरी, नक्शा, मिशन इस्तांबुल और प्रिंस जैसी फिल्में. उनकी आखिरी हिट 2013 की सुपरहीरो फिल्म कृष 3 थी, जिसमें उन्होंने ऋतिक रोशन के साथ विलेन काल का किरदार निभाया था.
विवेक ओबेरॉय की पिछली रिलीज केसरी वीर ने बॉक्स ऑफिस पर कमाल दिखाया
विवेक की आखिरी रिलीज ऐतिहासिक एक्शन ड्रामा केसरी वीर: लीजेंड्स ऑफ सोमनाथ थी, जो पिछले महीने मई 2025 में सिनेमाघरों में आई थी. इसमें सुनील शेट्टी और सूरज पंचोली भी लीड रोल में थे. इस फिल्म को लगभग 50 करोड़ रुपये में बनाया गया था. एंटरटेनमेंट ट्रैकिंग पोर्टल सैकनिल्क के मुताबिक यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर असफल रह गई और भारत में सिर्फ 1.53 करोड़ रुपये की कमाई कर पाई.
बॉलीवुड में चुनौतियों का सामना करने के बाद विवेक ओबेरॉय ने बिजनेस पर फोकस करना शुरू किया
जब उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल होने लगीं, तो एक्टर एक बिजनेसमैन बन गए और अपना बिजनेस एम्पायर खड़ा करना शुरू कर दिया. इंडियन एक्सप्रेस स्क्रीन के साथ एक इंटरव्यू में विवेक ने कहा, "यह केवल 2009 के आसपास था जब मैंने फैसला किया कि मैं इस पर पूरी तरह से निर्भर नहीं रहना चाहता और अपनी फाइनैंशियल इंडिपेंडेंस के लिए काम किया. मैं ऐसी पोजीशन में नहीं रहना चाहता था जहां कोई लॉबी आपका भविष्य तय कर सके. कोई आपको कुछ करने के लिए धमका सकता है क्योंकि वे चीजों को कंट्रोल करते हैं."
विवेक ओबेरॉय ने खुलासा किया कि वह दुबई क्यों चले गए कोविड-19 महामारी के बाद, एक्टर दुबई चले गए और BNW रियल एस्टेट डेवलपमेंट्स की शुरुआत की, जो यूएई में लक्जरी प्रॉपर्टी पर फोकस करता है. अपनी रियल एस्टेट कंपनी के बेहद सफल बनने के साथ, विवेक की नेटवर्थ अब 1200 करोड़ रुपये है.
YouTube चैनल ओवैस अंद्राबी: दुबई प्रॉपर्टी इनसाइडर के साथ हाल ही में एक इंटरव्यू में ओबेरॉय ने दुबई में रहने के अपने एक्सपीरियंस के बारे में शेयर किया. उन्होंने कहा, "मैं शुरू में कोविड के दौरान यहां आया था. यह एक थोड़े समय के लिए था लेकिन मुझे यहां अच्छा लगा. मैंने अपने परिवार से बात की तो सभी ने कहा हमें यहां अच्छा लग रहा है हम यहां रहना पसंद करेंगे. यह घर के इतने करीब है कि हमें ऐसा नहीं लगता कि हम दूर हैं. हम वीकएंड के लिए घर जाते हैं, हर छुट्टी पर घर जाते हैं और अब धीरे-धीरे, पिछले 4 साल में, यह घर जैसा लगने लगा है."