बैंकर बनने के सपने के साथ गई लंदन, बहन थी टॉप स्टार, किस्मत ने मारी ऐसी पलटी की सीधे YRF से मिली पहली फिल्म

परिणीति चोपड़ा आज यानी 22 अक्टूबर को अपना जन्मदिन मना रही हैं. इस मौके पर जानिए कैसे फिल्मी दुनिया में हुई बैंकर बनने का ख्वाब देखने वाली की एंट्री.

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हैप्पी बर्थडे परिणीति चोपड़ा
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नई दिल्ली:

पंजाबी परिवार की वो लड़की जो अंबाला की सड़कों पर सपने बुन रही थी, वह आज बॉलीवुड की सबसे चहेती हीरोइन बन चुकी है, नाम है परिणीति चोपड़ा. 22 अक्टूबर 1988 को अंबाला के एक मध्यमवर्गीय पंजाबी परिवार में जन्मी परिणीति ने कभी नहीं सोचा था कि वह सिल्वर स्क्रीन की रानी बनेगी. अंबाला में स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने लंदन के मैनचेस्टर बिजनेस स्कूल से मार्केटिंग में डिग्री ली. वह एक इन्वेस्टमेंट बैंकर बनना चाहती थीं, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था.

यश राज फिल्म्स में पब्लिसिटी असिस्टेंट की नौकरी मिली और वहीं से शुरू हुई उनकी फिल्मी यात्रा. 2011 में आई 'लेडीज वर्सेज रिकी बहल' ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया. उसके बाद 'इश्कजादे', 'शुद्ध देसी रोमांस', 'हंसी तो फंसी' और 'नमस्ते इंग्लैंड' जैसी फिल्मों ने साबित किया कि परिणीति हर किरदार में कमाल कर सकती हैं. रोमांटिक, कॉमेडी, एक्शन सबमें फिट! परिणीति की असली पहचान है उनकी सादगी. फिटनेस फ्रीक, जो योग और डांस से दिन शुरू करती हैं. सोशल मीडिया पर पर्यावरण, महिला सशक्तिकरण, और मेंटल हेल्थ की बात करती हैं.

परिणीति चोपड़ा का बॉलीवुड में आना महज एक करियर की कहानी नहीं है; यह किस्मत का एक ऐसा अनोखा दांव है जिसने एक सुव्यवस्थित जीवन योजना को पूरी तरह पलट दिया. जहां हजारों युवा आंखों में सपने लिए अभिनय की दुनिया में आना चाहते हैं, वहीं परिणीति की नजरें लंदन के वित्तीय बाजार पर टिकी थीं.

एक इन्वेस्टमेंट बैंकर बनने के सपने से लेकर राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेत्री बनने तक का उनका सफर भारतीय फिल्म जगत की सबसे अप्रत्याशित और प्रेरणादायक कहानियों में से एक है.

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परिणीति का शुरुआती जीवन मुंबई के फिल्मी सेटों से बहुत दूर था. उन्होंने फाइनेंस और इकोनॉमिक्स में ट्रिपल ऑनर्स की डिग्री हासिल की थी. उनका इरादा एक बड़ी इन्वेस्टमेंट बैंकर बनने का था. कहानी में बड़ा मोड़ 2009 में आया, जब वैश्विक आर्थिक मंदी ने बैंकिंग क्षेत्र में रोजगार के दरवाजे बंद कर दिए.

अपने सपनों पर ताला लगता देख, परिणीति भारत लौटीं और अपनी कजिन, प्रियंका चोपड़ा, की मदद से यश राज फिल्म्स (वाईआरएफ) के मार्केटिंग और जनसंपर्क (पीआर) विभाग में इंटर्नशिप शुरू कर दी. यह वह जगह है जहां उनके करियर का सबसे अनोखा किस्सा शुरू होता है.

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परिणीति ने एक बार एक इंटरव्यू में स्वीकार किया था कि उन्हें अभिनय से खास लगाव नहीं था, बल्कि वह इसे मेकअप और दिखावे का काम मानती थीं. अब उनका काम पर्दे के पीछे से उन्हीं अभिनेताओं के पीआर को संभालना था, जिसमें उनकी पहली फिल्म की सह-कलाकार अनुष्का शर्मा भी शामिल थीं.

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वाईआरएफ में काम करते हुए स्टूडियो के कास्टिंग डायरेक्टर ने उनकी शख्सियत को देखकर मजाक में उन्हें एक डमी ऑडिशन देने को कहा. परिणीति ने इसे महज एक खेल समझा और फिल्म 'जब वी मेट' में करीना कपूर के किरदार 'गीत' के कुछ संवाद रिकॉर्ड करवा दिए.

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यह अनौपचारिक ऑडिशन टेप वाईआरएफ प्रमुख आदित्य चोपड़ा तक पहुंचा. वह परिणीति की स्वाभाविक ऊर्जा और अभिनय प्रतिभा से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने तुरंत उन्हें मार्केटिंग विभाग से हटाकर अभिनय के लिए तीन-फिल्म का करार का ऑफर दे दिया. उन्होंने परिणीति से कहा कि वह पीआर में समय बर्बाद कर रही हैं और उनका स्थान कैमरे के सामने है. इसके बाद साल 2011 में फिल्म ‘लेडीज वर्सेज रिकी बहल' में सहायक भूमिका के साथ धमाकेदार शुरुआत की और सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता. इसके ठीक अगले ही साल 2012 में उन्हें उनकी मुख्य भूमिका वाली फिल्म इश्कजादे के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार- स्पेशल मेंशन मिला. 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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