82 की उम्र में भी 'काफी बिजी' हैं अमिताभ बच्चन, बताया-'चुनौती' का सामना करते हुए बीत रहा दिन

82 वर्षीय अमिताभ बच्चन ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से नए गैजेट को समझने या सीखने में लगे हैं, जिसमें उनका पूरा समय जा रहा है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
Amitabh Bachchan Routine: अमिताभ बच्चन ने बताई अपनी चुनौतियां
नई दिल्ली:

अमिताभ बच्चन नए-नए डिवाइस सीखने में कोई गुरेज नहीं करते. उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दिनों से नए गैजेट को समझने या सीखने में लगे हैं, जिसमें उनका पूरा समय जा रहा है. हालांकि, नए गैजेट्स को सीखना उनके लिए चुनौतीपूर्ण भी है. अमिताभ ने अपने ब्लॉग पर बताया, "टेक्नोलॉजी गैजेट को बेहतर बनाने पर जोर देती है और इससे काम में तेजी आती है। हालांकि, जब हम नए डिवाइस को सीखने में लगे रहते हैं, तब तक एक और नया डिवाइस सामने आ जाता है.” अभिनेता ने सीखने की चुनौती की ओर इशारा करते हुए कहा, "नए डिवाइस को उसके कामकाज को समझना आसान नहीं है, इससे फिर एक और जंग शुरू हो जाती है। पिछले कुछ दिनों से इन्हीं चीजों में मेरा पूरा समय जा रहा है." उन्होंने कहा कि वह खुद सीखने में भरोसा रखते हैं और ‘मदद' लेने के लिए किसी तकनीशियन के पास बार-बार नहीं जा सकते.

उन्होंने कहा, “हर बात के लिए तकनीकी रूप से दक्ष व्यक्ति के पास जाना सही नहीं है. उस पर कैसे काम करना है, कैसे इस्तेमाल करना है, यह सीखना होगा। यह मेरा है और मुझे इसके बारे में पता होना चाहिए. मदद लेने के लिए किसी तकनीशियन के पास बार-बार नहीं जाया जा सकता.” अभिनेता ने खुलासा किया कि ये काम इतना भारी होता है कि वह इन सब वजहों से थक जाते हैं. उन्होंने कहा, “पूरा दिन सीखने में ही निकल गया और फिर भी नए गैजेट को मैं सीख नहीं पाया.”

बिग बी ने अपने ब्लॉग पर लिखा कि कैसे जेन-जी उनसे "समय के साथ चलने" के लिए कहते हैं. नए गैजेट को सीखने के साथ अमिताभ ने री-रिलीज के चलन पर भी बात की. साल 2024 और 2025 के बीच, ‘करण अर्जुन', ‘राजा बाबू', ‘हम आपके हैं कौन', ‘सनम तेरी कसम', ‘रहना है तेरे दिल में', ‘पद्मावत', ‘बीवी नंबर वन', ‘कहो ना प्यार है', ‘लैला मजनू' और ‘ये जवानी है दीवानी' जैसी कई फिल्में पर्दे पर फिर से रिलीज हो चुकी हैं.

Advertisement

उन्होंने कहा, "पुराने समय की फिल्मों की री-रिलीज ने लोगों को बहुत आकर्षित किया, इसलिए उनके साथ बने रहना ही बेहतर है. इस जेनरेशन के ज्यादातर लोगों ने इन फिल्मों को नेट पर और ज्यादातर मोबाइल पर देखा या सुना है. अमिताभ बच्चन ने इसकी तुलना बड़े पर्दे से की. उन्होंने लिखा, "बड़ी स्क्रीन का वह एहसास और दर्शकों की प्रतिक्रिया बहुत याद आती है और जब उन्हें अवसर मिलता है, तो वे कितने उत्साहित हो जाते हैं. फिल्मों को देखने के बाद खुशी से चिल्लाना, नाचना और जीवन का आनंद लेना बस. जो लोग उस समय से गुजरे हैं, वे मुझे उन दिनों की तस्वीरों और थिएटर के अंदर देखने के लिए इंतजार कर रहे लंबे कतारों की याद दिलाते हैं."

Advertisement

अभिनेता ने आगे लिखा, "उन्हें देखना बहुत अच्छा लगता है लेकिन.. उन्हें यहां या कहीं भी प्रदर्शित करने का विकल्प नहीं चुना गया. संयम या फिर कह लो कि उनके बारे में बात करने में बहुत शर्म आती है. यहां चुप रहने की इच्छा मुंह खोलने और दंग रह जाने से बेहतर विकल्प है, स्वस्थ और खुश रहें.”
 

Advertisement
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Mumbai में कार चालक की गुंडागर्दी, पहले गार्ड से बहस... फिर चढ़ा दी कार | BREAKING NEWS