कोविड के 'भूकम्प' के बाद आ सकती है लंग्स फायब्रोसिस की 'सुनामी', मरीजों के फेफड़ों में देखी जा रही बड़ी परेशानी

इंडियन चेस्ट सोसायटी के रिव्यू पेपर में वरिष्ठ चेस्ट फ़िज़िशियंस ने चेताया है कि 5 से 10% कोविड मरीज़ों में फेफड़े की ये बीमारी है और गम्भीर स्थिति में ये बीमारी हार्ट की पम्पिंग पर असर करती है.

कोविड के 'भूकम्प' के बाद आ सकती है लंग्स फायब्रोसिस की 'सुनामी', मरीजों के फेफड़ों में देखी जा रही बड़ी परेशानी

कोरोना महामारी मरीजों के फेफड़ों को बुरी तरह से प्रभावित कर रही है.

मुंबई:

कोविड ‘भूकम्प' के बाद लंग्स फायब्रोसिस ‘सुनामी' की तरह आ सकती है. इंडियन चेस्ट सोसायटी के रिव्यू पेपर में वरिष्ठ चेस्ट फ़िज़िशियंस ने चेताया है कि 5 से 10% कोविड मरीज़ों में फेफड़े की ये बीमारी है और गम्भीर स्थिति में ये बीमारी हार्ट की पम्पिंग पर असर करती है. ICU,वेंटिलेटर पर रहे मरीज़, बुज़ुर्ग, धूम्रपान- शराब का सेवन करने वाले कोविड मरीज़ ज़्यादा प्रभावित हैं. 

'Post‐COVID lung fibrosis: The tsunami that will follow the earthquake' शीर्षक से यह रिव्यू पेपर छपा है. कोरोना के साईलेंट अटैक ने फेफड़ों की कोशिकाओं को घातक चोट पहुंचाई है. मुंबई-ब्रीच कैंडी, SKIMS, श्रीनगर और इटली के वरिष्ठ चेस्ट फ़िज़िशियन्स द्वारा तैयार किए गए ‘इंडियन चेस्ट सोसाइटी' जर्नल में छपे इस रिव्यू पेपर में  कहा गया है की कोविड के ‘भूकंप' के बाद पोस्ट-कोविड लंग्स फायब्रोसिस ‘सुनामी' की तरह हो सकती है. 

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बता दें कि लंग फाइब्रोसिस बीमारी में फेफड़ों के अंदर मौजूद ऊतक यानी टिश्यू सूजने लगते हैं. जिससे ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. इससे खून का बहाव शरीर में कम होने लगता है. स्थिति गम्भीर हुई तो दिल ढंग से काम नहीं करता. नतीजा मल्टी ऑर्गन फेल्योर, हार्ट अटैक या गंभीर अवस्था में मौत भी हो सकती है. रिव्यू पेपर में बताया गया है की 5 से 10% कोविड मरीज़ों में लंग फाइब्रोसिस की शिकायत दिख रही है.

माना गया है की लम्बे समय तक आईसीयू,वेंटिलेटर पर रहे मरीज़, बुज़ुर्ग, धूम्रपान और शराब का सेवन करने वालों को अधिक प्रभावित करता है. पेपर में इसे पोस्ट कोविड-19 इंटरस्टिशियल लंग डिजीस (PC-ILD) कहा गया है, कई मरीज़ हैं जिन्हें आईवी के ज़रिए स्टेरॉइड दिया गया और लम्बे समय के लिए एंटीवायरल लेते रहे. 

फ़ोर्टिस हॉस्पिटल के डॉ फ़रहा इंग्ले ने कहा, ‘चेस्ट फ़िज़िशियन के पेपर से हम सहमत हैं, हमारे यहां भी सेम फ़िगर है, 5-10% मरीज़ वेंटिलेटर पर जाकर, पहले से इन्हें सांस सम्बंधी दिक्कतें थीं, ये लंग फायब्रोसिस के शिकार होते हैं.''

कोविड टास्क फोर्स के डायरेक्टर ऑफ क्रिटिकल केयर डॉ राहुल पंडित ने कहा,‘आज भी जिन मरीज़ों में हमें फायब्रोसिस लग रहा है उनमें 20% ऐसे पेशेंट हैं जो सच में फायब्रोसिस के शिकार हैं. ज़्यादा इम्प्रूव्मेंट उनमें नहीं दिख रही है, कुछ की हालत तो बदतर दिख रही है.''

मुंबई के आयुष अस्पताल के डॉ सुहास देसाई ने बताया, ‘सीटी स्कैन पर अगर आप लंग्स के फ़्रेम देखेंगे, तो उनमें डैमेज आपको नज़र आएगी. पोस्ट कोविड नेमोनयटिस जो डेवेलप होता है, देखा जा सकता है. ये असर मरीज़ों में कुछ समय तक दिखता है.' उन्होंने कहा कि इसका हार्ट पर असर होता है. हार्ट की पम्पिंग कम होती है.

रिव्यू पेपर में रिकवर होने के लिए वक़्त पर कई दवाइयों के साथ होम ऑक्सीजन थेरेपी, चेस्ट फिजियोथेरेपी, अच्छे पोषण जैसे कई उपाए समझाए गए हैं. एक्सपर्ट्स मानते हैं की चूंकि बीमारी का फ़िलहाल तय इलाज नहीं इसलिए सबसे बड़ा इलाज है बचाव.

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(Except for the headline, this story has not been edited by NDTV staff and is published from a press release)

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