राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के मुख्य कोच विम कोवरमैन्स की भूमिका की कड़ी आलोचना हो रही है, क्योंकि भारतीय टीम सैफ चैंपियनशिप के फाइनल में अफगानिस्तान से हारकर अपना दबदबा कायम नहीं रख पाई।
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कोलकाता:
राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के मुख्य कोच विम कोवरमैन्स की भूमिका की कड़ी आलोचना हो रही है, क्योंकि भारतीय टीम सैफ चैंपियनशिप के फाइनल में अफगानिस्तान से हारकर अपना दबदबा कायम नहीं रख पाई।
ओलिंपियन पीके बनर्जी जब टीम के मैनेजर और तकनीकी निदेशक थे, तब भारत ने 2005 में खिताब जीता था। उन्होंने कहा कि इस हार के बाद हॉलैंड के कोच के काम की समीक्षा की जानी चाहिए। विदेशी कोचों पर हमला बोलते हुए पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा, वह एक साल से टीम के साथ हैं और उन्हें अच्छा वेतन दिया जा रहा है।
विशेषज्ञ पैनल द्वारा उनकी भूमिका की जांच की जानी चाहिए। यह पूछने पर कि कोवरमैन्स को हटा देना चाहिए, तो बनर्जी ने कहा, मुझे किसी के बारे में राय क्यों देनी चाहिए, जबकि किसी को महासंघ द्वारा नियुक्त किया गया है। एआईएफएफ को इसे देखना चाहिए। भारतीय टीम के प्रदर्शन से निराश बनर्जी ने कहा, जब कमजोर नेपाल से हारने से पहले टीम एक गोल से पिछड़ गई थी, तो मैंने देखना ही बंद कर दिया। प्रदर्शन से सचमुच काफी निराशा हुई।
भारत के महान खिलाड़ी चुन्नी गोस्वामी ने कोच की रणनीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारतीय कप्तान सुनील छेत्री को शुरुआती एकादश से बाहर क्यों किया गया। गोस्वामी ने कहा, यह काफी खराब फैसला था, जो अंत में खराब साबित हुआ। कोच और पूरी टीम को इसके लिए जिम्मेदार ठहराना चाहिए। भारत को इस तरह से हारते हुए देखना दुर्भाग्यपूर्ण था। गोस्वामी ने कहा, भारतीय टीम दक्षिण एशिया की मजबूत टीम है, लेकिन इस हार से उसका दबदबा खत्म हो गया।
पूर्व भारतीय खिलाड़ी और ध्यानचंद पुरस्कार प्राप्त कर चुके शब्बीर अली ने कहा कि इस खराब परिणाम के लिए कोई बहाना नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, पूरी टीम को इस हताशाजनक प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। यह सचमुच हैरानी करने वाला था कि वे अफगानिस्तान से कैसे हार गए, जबकि सेमीफाइनल में मालदीव के खिलाफ उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया था। पूर्व भारतीय कोच सईद नईमुद्दीन ने कहा, मुझे लगता है कि विम को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए। इस समय भारतीय कोच की जरूरत है और उन्हें वही सारी सुविधाएं दी जानी चाहिए, जो एक विदेशी कोच को दी जाती हैं।
सुभाष भौमिक ने भी कोवरमैन्स की छेत्री को बाहर रखने की रणनीति की आलोचना की। उन्होंने कहा, मैं कोच के छेत्री को बाहर रखने के फैसले से हैरान था। मैं कोच के बारे में टिप्पणी नहीं करूंगा, क्योंकि महासंघ को केवल यही लगता है कि वे विदेशी कोच के बिना कुछ नहीं कर सकते।
ओलिंपियन पीके बनर्जी जब टीम के मैनेजर और तकनीकी निदेशक थे, तब भारत ने 2005 में खिताब जीता था। उन्होंने कहा कि इस हार के बाद हॉलैंड के कोच के काम की समीक्षा की जानी चाहिए। विदेशी कोचों पर हमला बोलते हुए पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा, वह एक साल से टीम के साथ हैं और उन्हें अच्छा वेतन दिया जा रहा है।
विशेषज्ञ पैनल द्वारा उनकी भूमिका की जांच की जानी चाहिए। यह पूछने पर कि कोवरमैन्स को हटा देना चाहिए, तो बनर्जी ने कहा, मुझे किसी के बारे में राय क्यों देनी चाहिए, जबकि किसी को महासंघ द्वारा नियुक्त किया गया है। एआईएफएफ को इसे देखना चाहिए। भारतीय टीम के प्रदर्शन से निराश बनर्जी ने कहा, जब कमजोर नेपाल से हारने से पहले टीम एक गोल से पिछड़ गई थी, तो मैंने देखना ही बंद कर दिया। प्रदर्शन से सचमुच काफी निराशा हुई।
भारत के महान खिलाड़ी चुन्नी गोस्वामी ने कोच की रणनीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारतीय कप्तान सुनील छेत्री को शुरुआती एकादश से बाहर क्यों किया गया। गोस्वामी ने कहा, यह काफी खराब फैसला था, जो अंत में खराब साबित हुआ। कोच और पूरी टीम को इसके लिए जिम्मेदार ठहराना चाहिए। भारत को इस तरह से हारते हुए देखना दुर्भाग्यपूर्ण था। गोस्वामी ने कहा, भारतीय टीम दक्षिण एशिया की मजबूत टीम है, लेकिन इस हार से उसका दबदबा खत्म हो गया।
पूर्व भारतीय खिलाड़ी और ध्यानचंद पुरस्कार प्राप्त कर चुके शब्बीर अली ने कहा कि इस खराब परिणाम के लिए कोई बहाना नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, पूरी टीम को इस हताशाजनक प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। यह सचमुच हैरानी करने वाला था कि वे अफगानिस्तान से कैसे हार गए, जबकि सेमीफाइनल में मालदीव के खिलाफ उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया था। पूर्व भारतीय कोच सईद नईमुद्दीन ने कहा, मुझे लगता है कि विम को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए। इस समय भारतीय कोच की जरूरत है और उन्हें वही सारी सुविधाएं दी जानी चाहिए, जो एक विदेशी कोच को दी जाती हैं।
सुभाष भौमिक ने भी कोवरमैन्स की छेत्री को बाहर रखने की रणनीति की आलोचना की। उन्होंने कहा, मैं कोच के छेत्री को बाहर रखने के फैसले से हैरान था। मैं कोच के बारे में टिप्पणी नहीं करूंगा, क्योंकि महासंघ को केवल यही लगता है कि वे विदेशी कोच के बिना कुछ नहीं कर सकते।
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