इन 3 मौकों पर शर्म न करने वाला व्यक्ति हमेशा रहता है सुखी

Story created by Renu Chouhan

12/08/2024

एक पुरानी कहावत है "जिसने की शरम उसके फूटे करम".

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चाणक्य ने भी अपनी नीतियों में ऐसी ही एक बात कही है.

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चाणक्य नीति में एक श्लोक है "धन-धान्ययोगेषु विद्यासंग्रहणेषु च। आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्ज: सुखी भवेत्।।"

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चाणक्य ने इसमें बताया कि जो व्यक्ति धन-धान्य के लेन-देन में, विद्या या कला सीखने में, भोजन के समय या व्यवहार में लज्जाहीन होता है, वही सुखी रहता है.

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आसान भाषा में उन्होंने कहा कि व्यक्ति को लेन-देन में किसी भी तरह का संकोच नहीं करना चाहिए. अपनी बात साफ शब्दों में कहनी चाहिए...

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विद्या या किसी गुण को सीखते समय संकोच करने से भी हानि होती है.

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इसी तरह भोजन करते समय जो व्यक्ति संकोच करता है, वह भूखा रह जाता है.

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इसीलिए भोजन के समय, लोकाचार और व्यवहार के समय व्यक्ति को संकोच न करके अपने विचार स्पष्ट रूप से व्यक्त करने चाहिए.

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