चाणक्य ने बताया बेटों को कब करना चाहिए प्यार और कब देना है दंड

Story created by Renu Chouhan

29/07/2024

चाणक्य नीति में सिर्फ मित्रों या किसी इंसान को अपने जीवन में चुनने के बारे में ही नहीं बताया गया.

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बल्कि इसमें बेटों की सही परवरिश कैसे करनी है, उसके बारे में भी आचार्य ने अच्छे से समझाया है.

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चाणक्य नीति में एक श्लोक है "लालयेत् पच्च वर्षाणि दश वर्षाणि ताडयेत्।
 प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्।"

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इसके मुताबिक आपको बेटे को 5 साल की उम्र तक तो प्यार करना है और उसकी हर गलती को माफ करना है. क्योंकि अभी वो चीज़ें समझ रहा है.

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इसके बाद 10 साल तक की उम्र में उसे उसकी गलती के लिए दंड दिया जा सकता है, यानी ज्यादा लाड़-दुलार से वो बिगड़ न जाए, इसीलिए उसे डराया या धमकाया जा सकता है.

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लेकिन 16 साल की उम्र का होने के बाद दंड नहीं उसका दोस्त बनना है. ऐसा इसीलिए क्योंकि इस उम्र में 'अहं या ईगो' का विकास हो चुका होता है.

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इस उम्र में वो बातें दोस्त की तरह ही समझेगा. इसीलिए उससे खुलकर बात करनी चाहिए और उसकी सभी बातें भी सुननी चाहिए.

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