मुगल का 'चालू' सूबेदार, जो लूटता था सोना-चांदी लेकिन दरबार भेजता था सस्ता सामान
Story created by Renu Chouhan
10/09/2024
यूं घपला करना या फिर भष्ट्राचार करना आजकल का ही ट्रेंड नहीं ये लालच तो मुगलों के समय से चलता आ रहा है.
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इतिहास में ऐसा ही एक किस्सा है इलाहाबाद के सूबेदार आसफ खान का, जो रानी दुर्गावती के 'गढ़-कटंगा' पर कब्जा जमाने आगे बढ़ा.
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रानी पहले ही अपने पति को खो चुकी थीं और उन्होंने गद्दी पर अपने नाबालिक बेटे को बिठाया, लेकिन वह बहादुर थी, साहसी थी.
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रानी दुर्गावती की सुंदरता और दौलत सुन इलाहाबाद का मुगल सूबेदार आसफ खान अपनी 10 हज़ार सेना के साथ बुंदेलखंड की ओर बढ़ा.
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लेकिन रानी के पास सेना कम थी और आसफ से युद्ध के दौरान घायल भी हो चुकी थी, इसी के साथ वो आसफ खान के गंदे इरादे भी जानती थी.
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इसीलिए रानी दुर्गावती ने खुद को अपना ही खंजर मार डाला और ऐसे आसफ ने रानी की राजधानी चौरागढ़ पर अपना अधिकार जमा लिया.
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इस जीत के बाद आसफ को इतना सोना-चांदी, जेवरात और बहुत सी मूल्यवान वस्तुएं मिली जिनका हिसाब लगाना असंभव था.
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लेकिन आसफ खान ने यहां चालाकी दिखाई और जीत के सामान में से सिर्फ 200 हाथी और रानी की छोटी बहन कमला देवी को दरबार अकबर के पास भेज दिए.
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बाकि बचा सारा सोना-चांदी जैसी मूल्यवान सामान अपने कब्जे में कर लिया, लेकिन वो अकबर से बच नहीं पाया.
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अकबर ने आसफ खान को ऐसा मजबूर किया कि उसे सारा गैरकानूनी माल लौटाना पड़ा.
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अकबर ने भी मालवा राज्य को घेरने के लिए दस किले अपने पास रखे और गढ़-कटंगा रानी दुर्गावती के देवर को लौटा दिया.
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