घमंडी और चालाक लोगों से कैसे करना चाहिए डील, चाणक्य ने समझाया

Story created by Renu Chouhan

30/07/2024

चाणक्य नीति में एक श्लोक लिखा हुआ है "लुब्धमर्थेन गृह्णीयातू स्तब्धमज्जलिकर्मणा।
 मूर्खः छन्दोऽनुवत्तेन यथार्थत्वेन पण्डितम्।।"

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इस श्लोक में बताया गया है कि घमंडी और चालाक लोगों से अपना काम कैसे निकलवाना चाहिए. लेकिन उससे पहले समझिए इस पूरे श्लोक का अर्थ.

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इसका अर्थ है लोभी को धन देकर, अभिमानी को हाथ जोड़कर, मूर्ख को उसकी इच्छा के अनुसार कार्य और विद्वान को सच्ची बात बताकर वश में करने का प्रयत्न करना चाहिए.

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इसे और आसान शब्दों में समझे तों लोभी व्यक्ति अपने स्वार्थ में इतना अंधा होता है कि वह धन प्राप्ति के बिना संतुष्ट नहीं होता. उसे धन देकर वश में किया जा सकता है.

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जिस व्यक्ति को अभिमान यानी अंहकार है, उसे नम्रतापूर्वक व्यवहार करके वश में किया जा सकता है.

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वहीं, मूर्ख इंसान हमेशा हठी होता है इसलिए उसकी इच्छा के अनुसार काम करके अपना काम बनाया जा सकता है.

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इसी तरह विद्वान व्यक्ति को वश में करने का सबसे सही तरीका है कि उसे सच बताया जाए, उससे झूठ न बोला जाए.

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