जब भी दुखी हों तब पढ़ लें चाणक्य की कही ये बात
Story created by Renu Chouhan
28/07/2024
चाणक्य नीति में एक श्लोक है " कस्य दोषः कुल नास्ति व्याधिना को न पीडितः। व्यसनं केन न सम्प्राप्तं कस्य सौख्ंय निरन्तरम।।"
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इस श्लोक का अर्थ चाणक्य ने बताया कि संसार में ऐसा कोई कुल नहीं जिसमें किसी प्रकार का दोष न हो. कोई व्यक्ति नहीं जो कभी न कभी किसी रोग से पीड़ित न हो.
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इसके आगे उन्होंने कहा कि जो मनुष्य किसी बुरी लत में पड़ जाता है अथवा जिसे बुरे काम करने की आदत पड़ जाती है, उसे भी दुख उठाने पड़ते हैं.
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संसार में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जिसे सदा सुख ही मिलता रहा हो और संकटों ने उसे कभी न घेरा हो.
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यानी कोई मनुष्य पूर्ण नहीं, कोई न कोई दुख सभी को लगा ही हुआ है.
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अब चाणक्य की इस बात से आप सीख सकते हैं कि आप कितनी भी कोशिश कर लें. कोई न कोई दुख आपके जीवन में रहेगा ही.
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क्योंकि पूरी तरह खुश कोई भी नहीं है.
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लेकिन वो दुख हमेशा नहीं रहेगा, दुख आएगा तो सुख भी आएगा ही आएगा.
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इसीलिए हिम्मत न हारे आज अच्छा नहीं लेकिन कल जरूर अच्छा होगा.
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